नया इंडिया, 25 जनवरी 2014 : पिछले दिनों दिल्ली में हुई बलात्कार की घटनाओं ने सारी दुनिया में भारत को बदनाम कर दिया था। पश्चिमी राष्ट्रों के प्रचारतंत्र ने भी कमी नहीं छोड़ी थी। दिल्ली को वे राजधानी कहने की बजाय भारत की बलात्कारधानी कहने लगे थे। कई पश्चिमी टिप्पणीकार भारत को असभ्य और पिछड़ा देश कहने की जुर्रत करने लगे थे। ऐसे में अभी अमेरिका से आई एक सरकारी रपट ने हमारी आंखें खोल दी हैं। ऐसा नहीं है कि उसे पढ़कर हमें खुशी हुई है। बस यह लगा कि भारत पर कीचड़ उछालने के पहले उन्होंने अपने दामन पर लगे दागों को तो देख लिया होता।
अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा को दी गई इस रपट में कहा गया है कि अमेरिका में रहनेवाली हर पांच औरतों में से एक के साथ बलात्कार हुआ है याने 2 करोड़ 20 लाख औरतें मर्दों की हवस की शिकार बनी हैं। इन औरतों में काली और गैर-गोरी औरतें सबसे ज्यादा हैं। वे ही गरीब और अकिंचन होती हैं। लेकिन गोरी महिलाओं की संख्या थोड़ी ही कम है। याने औरतें किसी भी जाति या वंश की हों या फिर किसी भी देश की हों, उन्हें ही जुल्म सहना पड़ता है। इसके साथ-साथ इस रपट में एक और आश्चर्यजनक आंकड़ा भी सामने आया है। वह यह कि अमेरिका के लगभग 10 वें पुरुष के साथ भी बलात्कार हुआ है। बलात्कार और पुरुष के साथ? यह कैसे होता है? इस रपट का कहना है कि इस बलात्कार के शिकार ज्यादातर वे लड़के होते हैं, जिनकी उम्र 10 से 18 वर्ष तक की होती है। कालेज में पढ़नेवाले लड़कों और लड़कियों के साथ बलात्कार ज्यादा होते हैं। विदेशी मूल के लेागों को यह अत्याचार ज्यादा बर्दाश्त करना पड़ता है।
क्या भारत में भी यही स्थिति है? अमेरिका के मुकाबले भारत कहीं बेहतर हैं। आबादी के हिसाब से भारत अमेरिका से चार गुना बड़ा है तो यहां कम से कम 20-25 करोड़ मर्द और औरतों के साथ बलात्कार होना चाहिए लेकिन प्रामाणिक आंकड़ों के अनुसार भारत में ऐसी घटनाओं की संख्या कुछ ही लाख तक सीमित है और जो भी घटना प्रकाश में आती है, उसकी जमकर निंदा होती है। यदि कोई कानून के शिकंजे से बच निकले तो भी समाज उनको नहीं बख्शता। यदि भारत में यह रोग बढ़ा है तो यह पश्चिम की ही कृपा है। उसके टीवी, इंटरनेट, अश्लील सिनेमा और साहित्य ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रवाह-पतित कर दिया है। यह और बात है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटता है।
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