नया इंडिया, 11 अक्टूबर 2014: कैलाश सत्यार्थी को हार्दिक बधाई! सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार नहीं मिलता तो भी मेरे दिल में उनके लिए किसी भी पुरस्कार प्राप्तकर्ता से अधिक प्रेम और सम्मान सदैव रहता| वे मेरे अनुज और सहयोगी रहे हैं| उनका जन्म विदिशा, मप्र में हुआ और एक ऐसे आर्य परिवार में हुआ, जहां समाज-सेवा और समाज-सुधार बच्चों को जन्म-घुट्टी में पिलाए जाते हैं| कैलाश जब नवयुवा हुए तो दिल्ली आ गए और यहां आकर वे शुरु से जन-आंदोलनों से जुड़ गए| हम लोगों ने जब भी भारतीय भाषाओं के समर्थन, सती-प्रथा के विरोध, जातीय जन-गणना की समाप्ति आदि के आंदोलन चलाए, कैलाश और सुमेधा ने उनमें बढ़ चढ़कर भाग लिया|
सुमेधा उनकी धर्मपत्नी हैं| सुमेधा भी एक प्रसिद्घ आर्य परिवार की बेटी हैं| सुमेधा के पिता पं. भारतेंद्रनाथ ने चारों वेदों के हिंदी भाष्य किए, जो भारत और विदेशों के लाखों घरों में बड़े सम्मान के साथ सुशोभित होते हैं| भारतेंद्रनाथ ने कई अन्य ग्रंथों की रचना भी की| वे बरसों-बरस एक आर्यापत्रिका भी चलाते रहे| सुमेधा की वयोवृद्घ माता अभी भी अपने पति के काम को आगे बढ़ा रही हैं| सत्यार्थी का सौभाग्य है कि उन्हें सुमेधा जैसी पत्नी मिली है| सुमेधा उनकी शक्ति हैं| वे ही उनका राजस्थान स्थित आश्रम सम्हालती हैं|
उस आश्रम में मैं जाकर रहा हूं| वहां हजारों अनाथ और परित्यक्त बच्चों को पालकर सत्यार्थी दम्पती ने उन्हें नवजीवन प्रदान किया है| दोनों पति-पत्नी के अलावा उनका बेटा और बहू भी पूरे मनोयोग से बचपन बचाओ आंदोलन में लगे रहते हैं| वकील बेटा उन बच्चों को बंधन मुक्त करवाने पर डटा रहता है, जिन्हें हमारे देश में बंधुआ मजदूर बनाकर रखा जाता है| पूरा सत्यार्थी परिवार पूर्ण मनोयोग से समाज सेवा में लगा रहता है|
कैलाश सत्यार्थी निष्काम समाजसेवी हैं| उन्होंने कभी भी आत्म-प्रचार को प्राथमिकता नहीं दी| उन्हें नोबल के अलावा कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं लेकिन उन्होंने उनको भुनाने की कभी कोई कोशिश नहीं की| संसार के सभी महाद्वीपों में उनकी मित्र-मंडली है लेकिन उनका और उनके परिवार का रहन-सहन मालवा के किसी कस्बाई अध्यापक की सादगी लिये रहता है| कैलाश सत्यार्थी को मिला नोबल सम्मान उन महान मूल्यों का सम्मान है, जो महर्षि दयानंद सरस्वती और महात्मा गांधी ने संसार को दिए हैं|
कैलाश और सुमेधा की लोक-सेवा को मिला यह विश्व-सम्मान देश के उन हजारों समाजसेवियों का सम्मान है, जो अत्यंत शुद्घ और विनम्र भाव से अपना जीवन समाज के लिए होम कर रहे हैं| कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसुफजई को मिला संयुक्त सम्मान भारत-पाक एका को रेखांकित कर रहा है|
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