नया इंडिया, 29 सितंबर 2014: संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दे उठाए लेकिन भारतीय अखबारों और चैनलों ने सबसे ज्यादा उनके पाकिस्तान संबंधी बयान को उछाला| वह बयान सिर्फ दो-ढाई मिनट का था, लेकिन उसके इतने उछलने की वजह क्या थी? सिर्फ एक थी| मोदी के एक दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां नवाज़ शरीफ महासभा में बोले थे और उन्होंने वहां राग कश्मीर छेड़ा था| नवाज ने कश्मीर में जनमत-संग्रह की बात जोर-शोर से उठाई थी| कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच उन्होंने ‘कोर’ इश्यू भी बताया|
मैं सोच रहा था कि नवाज के बयान का मोदी काफी कड़ा जवाब देंगे, क्योंकि मोदी का स्वभाव ही ऐसा है लेकिन मुझे खुशी है कि मोदी की प्रतिक्रिया बहुत ही संतुलित और मर्यादित रही| उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि कश्मीर जैसे मुद्दे को अब संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर उठाने की कोई तुक नहीं है| यह दोनों देशों का आपसी मामला है| उसे हम बातचीत से हल करें| उन्होंने साथ-साथ यह भी कह दिया कि वे पाकिस्तान के साथ सघन वार्ता करने के लिए तैयार हैं लेकिन वह आतंकवाद के साये में कैसे हो सकती है? उसके लिए उचित वातावरण होना चाहिए|
मोदी की यह नरम प्रतिक्रिया सही हैं। इससे यह भी संकेत मिल रहा है कि वे मध्यम मार्ग पर चलना चाहते हैं| वरना वे काफी आक्रामक भाषण भी दे सकते थे| निकिता ख्रुश्चौफ की तरह महासभा की मेजें भी ठोक सकते थे| मियां नवाज ने महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाकर अपना सालाना कर्मकाण्ड पूरा कर दिया| यदि वे नहीं करते तो पाकिस्तान की फौज, इमरान, कादरी और मजहबी लोग उनके पीछे पड़ जाते| पाकिस्तान के सभी प्रधानमंत्रियों और फौजी शासकों को पता है कि वे कश्मीर में जनमत-संग्रह करवा ही नहीं सकते, क्योंकि उसकी पहली शर्त को ही वे पूरा नहीं कर सकते| संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव की पहली शर्त यह है कि पाकिस्तानी कश्मीर से पाकिस्तान के एक-एक फौजी की वापसी हो| कौन तैयार है, यह करने के लिए? इससे भी बड़ी बात यह है कि दोनों कश्मीरों के लोगों को क्या पाकिस्तान तीसरा विकल्प देने को तैयार है? क्या वह उन्हें एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बनने देगा? भारत इसका जितना विरोधी है, उससे कहीं ज्यादा पाकिस्तान विरोधी है| इसलिए जनमत संग्रह की बात बेमानी है|
जिसे नवाज़ ‘कोर इश्यू’ कहते हैं, उसे मैं ‘बोर इश्यू’ कहता हूं| इस मुद्दे ने भारत का जितना नुकसान किया है, उससे ज्यादा पाकिस्तान का किया है| कश्मीर की वजह से युद्ध तो हुए ही, आतंकवाद भी फैला| आतंकवाद ने पाकिस्तान का खून ज्यादा पिया| पाकिस्तान की जनता की छाती पर फौज भी इसीलिए सवार है| कश्मीर ने पाकिस्तानी लोकतंत्र का कचूमर बना दिया| इस ‘बोर इश्यू’ को आपस में बातचीत से हल करें और जितनी जल्दी करें, उतना अच्छा!
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