नया इंडिया, 26 मार्च 2014: क्या हमारे देश में कोई ऐसा भी स्कूल है, जिसका हर बच्चा हर साल पास हो जाता है? वह भी प्रथम श्रेणी में! यह खबर-फीचर आज के अखबार में पढ़कर मुझे बहुत ही सुखद आश्चर्य हुआ। जी हां, ऐसा एक प्राथमिक स्कूल छत्तीसगढ़ के जशपुर नगर के एक गांव में 1923 से चल रहा है। इस गांव का नाम है-गोलीडीह! यह गांव, गोलीडीह, जशपुर से 70 कि.मी. अंदर जंगल में बसा है। इस गांव के लोगों ने यह स्कूल अपनी पहल पर खोला था। शुरु-शुरु में ईसाई मिशनरियों ने भी कुछ मदद की थी लेकिन लगभग 40 साल से यह अपने पांव पर खड़ा है। इसे कोई सरकारी मदद नहीं मिलती। गांव के लोग ही 20 रु. से 100 रु. तक चंदा देते रहते हैं। बच्चों को कोई फीस नहीं देनी पड़ती। शिक्षकों को 700 से 1500 रु. माहवार तक मिलता है। इस स्कूल में कोई दिखावटी टीम-टाम नहीं है। गांव के जो लोग चंदा नहीं दे पाते, वे स्कूल में आकर श्रमदान करते हैं। यह स्कूल उनके अपने घर-परिवार का ही विस्तार है। हर साल दिसंबर माह तक पूरा पाठ्यक्रम पढ़ा दिया जाता है और जनवरी माह में सिर्फ पुनर्पाठ होता है। इसी का नतीजा है कि हर बच्चा पास हो जाता है।
इसी गांव में सरकार ने कुछ साल पहले एक स्कूल खोला है। जैसे आजकल कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ाने के लिए उम्मीदवार खोजती फिर रही है, वैसे ही यह स्कूल भी छात्र खोजता फिरता है। तीन पक्के कमरों के इस सरकारी स्कूल में दो शिक्षक भी हैं, जिनका वेतन उस ग्रामीण स्कूल के शिक्षकों से बहुत ज्यादा है। तो भी गांववाले अपने बच्चों को उसी पुराने स्कूल में भेजना पसंद करते हैं। इस स्कूल के तीनों शिक्षक सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक बच्चों को पढ़ाते हैं। इस स्कूल के बच्चे बड़े होकर राज्य के शिक्षा सचिव तक बने हैं और उन्होंने विज्ञान में पीएच.डी. की उपाधि तक ली है। अब से 20 साल पहले इस गांव के हर घर में एक स्नातक जरुर होता था।
ऐसे अद्भुत स्कूल भारत के हर गांव में खुल जाएं तो अगले पांच-दस साल में पूरा भारत साक्षर हो जाए। निजी शिक्षा-संस्थाएं आज देश में भारी लूट-पाट मचा रही हैं। अगली नई सरकार को चाहिए कि भारत में शिक्षा और चिकित्सा को वह सर्वसुलभ बनाए। उसे मुनाफाखोरों के शिकंजो से मुक्त करवाए। देश के हर व्यक्ति को शिक्षा और चिकित्सा मुफ्त मिलनी चाहिए, हवा और पानी की तरह। इसका अर्थ यह नहीं कि शिक्षा और चिकित्सा का पूर्ण सरकारीकरण कर दिया जाए। इस संबंध में गोलीडीह के स्कूल से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
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