नया इंडिया, 03 सितंबर 2013 : निर्भया के बलात्कार और हत्या ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी| लगता था कि बलात्कार के विरुद्घ हमारी दब्बू सरकार कोई ऐसी कार्रवाई करेगी कि अब बलात्कार की घटनाएं बहुत कम हो जाएंगी लेकिन आठ महिने हो गए अभी तक निर्भया का मामला अदालतों में ही लटका हुआ है| जो पहला फैसला आया है, उसे हम ‘प्रथमग्रासे मक्षिकापात:’ के अलावा क्या कहें? पहले ग्रास में ही मक्खी पड़ी हुई है| इस पहले फैसले में ही किशोर न्याय पर्षद ने उस व्यक्ति को जिसने बलात्कार के दौरान सबसे ज्यादा राक्षसी आचरण किया था, सिर्फ तीन साल की सजा सुनाई है| वह भी बाल-सुधार गृह में रहने की| 16 दिसंबर याने बलात्कार की रात उसकी उम्र उसने 17 साल 6 माह 11 दिन लिखवाई थी याने वह उस दिन नाबालिग था| अब 4 जून को वह 18 साल का हो गया याने बालिग हो गया तो भी उसको सिर्फ तीन साल की सजा हुई है|
यह सजा सिद्घ करती है कि हमारा कानून अंधा है| लकीर का फकीर है लेकिन जो न्याय करते हैं, उनकी तो आंखें हैं, दिमाग हैं, दिल हैं| उन्हें क्या हुआ है? क्या उन्होंने कभी सोचा है कि बाल अपराध क्या होते हैं? किन अपराधों को बच्चे कर सकते हैं या करते हैं? बाल-अपराधियों को नरम सजा क्यों दी जाती हैं? यदि इन सब प्रश्नों पर माननीय न्यायाधीशगण विचार करें तो नृशंस अपराधी को नाबलिग होने की ओट में इतने सस्ते में छोड़ा नहीं जाता| क्या बच्चे बलात्कार कर सकते हैं और कोई बच्चा क्या इतनी क्रूरता कर सकता है कि बलात्कार के बाद लोहे की छड़ से युवती की आंतडि़यां बाहर खींच ले? यह अपराध तो कोई बहुत ही मंजा हुआ अपराधी कर सकता है| ऐसे अपराधी को बाल-सुधार गृह में रखकर आप दूसरे बच्चों को बिगड़ने का मौका देंगे| उससे भी ज्यादा देश के समस्त नाबालिगों को संदेश जाएगा कि वे कितना ही जघन्य अपराध करें, उनकी उम्र उनका कवच बन जाएगी| वास्तव में कोई नाबलिग यदि बालिगों जैसा अपराध करे तो उसे बालिगों से भी अधिक कठोर सजा मिनी चाहिए| बि्रटेन में 1999 में एक शिशु की हत्या करनेवाले दो दस-वर्षीय नाबालिगों को बालिगों की तरह ही अदालत का सामना करना पड़ा था| ‘निर्भया’ मामले की भयंकरता देखते हुए इस प्रथम अपराधी को सार्वजनिक मृत्युदंड दिया जाना चाहिए था|
बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए अब सर्वोच्च न्यायालयों के जजों ने भी नई व्यवस्था कायम करने के सुझाव दिए हैं| बलात्कार संबंधी कानून 1861 में अंग्रेजों ने बनाया था| उस समय ज्यादातर बलात्कार कौन करता था? अंग्रेज अफसर करते थे| यह कानून उन्हें बचाने के लिए बनाया गया था| यह अभी भी लागू है| इसीलिए बलात्कार की सैकड़ों घटनाएं देश में रोज होती हैं| देश में अंग्रेजी राज अभी भी कायम है| ज्यादातर बलात्कारी बच निकलते हैं| जब तक बलात्कारियों को तत्काल मृत्युदंड नहीं दिया जाता और उसका विशेष प्रचार नहीं किया जाता, भारतीय स्त्रियां कभी भी निर्भय होकर जी नहीं सकती|
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