नया इंडिया, 16 नवंबर 2013: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश नीति सलाहकार याने विदेश मंत्री सरताज अजीज के साथ कश्मीरी अलगाववादियों की भेंट पर इधर काफी शोर शराबा मच रहा है। सबसे पहले तो यह कहा जा रहा है कि उन्हें पाकिस्तानी नेता से मिलने ही क्यों दिया गया, यह भयंकर कूटनीतिक भूल है। वास्तव में ये अलगाववादी अनेक पाकिस्तानी नेताओं से पहले भी दिल्ली में मिल चुके हैं। यदि उनको मिलने से रोका जाएगा तो आप क्या समझते हैं कि वे उनसे कोई बात कर ही नहीं पाएंगे। आजकल मोबाइल फोन, इंटरनेट, स्काइप आदि का जमाना है। आप उनके संवाद को कैसे रोकेंगे? वे पाकिस्तान न जाएं और यूरोप भले जाएं, वे वहां मिल लेंगे, इसलिए इस सरकार ने और पिछली सरकारों ने कश्मीरी अलगाववादियों को जो मिलने का मौका दिया है, वह कोई अजूबा नहीं है। यह मौका देकर सरकार ने ठीक ही किया है। अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनसे पता चल रहा है कि सरताज अजीज और इन कश्मीरी नेताओं के बीच काफी खरी-खरी ले-दे हुई है। कश्मीरी नेताओं से यासीन मलिक, उमर फारुक और आसिया अंदराबी के शाब्दिक हमलों से सरताज अजीज हिल गए।
इन तीनों ने पाकिस्तान पर ढोंग करने का आरोप लगाया। इनका कहना था कि पाकिस्तान को कश्मीर की आजादी से कोई मतलब नहीं है। वह कश्मीर के नाम पर अपनी जनता को बरगलाता है और भारत का भय दिखाकर पश्चिमी महाशक्तियों से पैसा ऐंठता है। वह कश्मीरियों को सिर्फ सब्ज़बाग दिखाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने भाषणों में पाकिस्तानी नेता कश्मीर के सवाल को कर्मकांड के हिस्से की तरह उठा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझते हैं। इन कश्मीरी नेताओं ने अजीज को यह नहीं बताया कि अब पाकिस्तान उनके लिए क्या करे? उन्होंने भी अपने लिए पैसों की मांग करके अपना कर्मकांड पूरा कर लिया होगा। पाकिस्तान पश्चिमी देशों को चूसता है और कश्मीरी पाकिस्तान को चूसते हैं। वे जानते हैं कि पाकिस्तान के सारे हथकंडे फेल हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव निरर्थक हो गया, तीन-तीन युद्धों ने कश्मीर नहीं दिलवाया, आतंकवाद विफल हो गया और कूटनीतिक वार्ताएं हरिकथा अनंता बन गई हैं। इससे भी ज्यादा बुरी बात यह है कि पाकिस्तान का कब्जाया हुआ कश्मीर भयंकर गुलामी और जुल्म में सिसक रहा है। इसकी असलियत पूछना है तो उसके पूर्व प्रधानमंत्री कय्यूम और उनके बेटे से पूछिए। क्या हमारे कश्मीरी नेताओं को पता है कि आजाद कश्मीर कितना गुलाम है? पाकिस्तान के नेता कश्मीर की आजादी के घनघोर विरोधी हैं। वे भारतीय कश्मीर को भी अपने कश्मीर की तरह गुलाम बनाना चाहते हैं। एक पाकिस्तानी लेखक के अनुसार हमारा कश्मीर हमारे पंजाबी सामंतों और सेठों के लिए गर्मियों में विराट वेश्यालय बन जाता है। वे भारतीय कश्मीर को भी क्या गुलामी के इसी सांचे में ढालना चाहते है?
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