R Sahara, Dec 2003 : पॉच राज्यों के चुनाव-परिणाम आने के बाद जिस सोनिया गॉंधी को कई समीक्षक ‘गॅूगी गुडि़या’ कहने लगे थे, उसे सोनिया गॉंधी ने आज एक अन्तरराष्ट्रीय समारोह में अचानक पूछे गए टेढ़े-मेढ़े सवालों के सटीक जवाब देकर श्रोताओं का मन मोह लिया| तथाकथित ‘गॅूंगी गुडि़या’ ने अपने आपको ‘मनमोहक गुडि़या’ सिद्घ कर दिया| श्रीमती सोनिया गॉंधी ‘दक्षिण एशिया में शांति-प्रक्रिया के लाभ’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दोपहर-सत्र में बोल रही थीं| सुबह के सत्र का उद्रघाटन प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने किया था|
श्री वाजपेयी की तरह श्रीमती सोनिया गॉंधी ने भी दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने के उपायों पर जैसे हीअपना भाषण समाप्त किया, गोष्ठी के संचालक ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के सम्पादक श्री वीर संघवी ने कहा कि श्रोतागण कुछ सवाल पूछना चाहते हैं| इस पर सोनियाजी ने हॉं या ना कुछ नहीं कहा| श्री संघवी ने जब जोर दिया तो उन्होंने कहा, हॉं पूछिए| इस पर भारत के पूर्व विदेश सचिव श्री महाराजकृष्ण रसगोत्र ने पूछा कि विदेश नीति सर्वसम्मति से चलनी चाहिए या नहीं ? और सरकार हर निर्णय के पहले आपसे सलाह लेती है या नहीं ? सोनिया ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा कि विदेशनीति पर प्राय: सर्वसम्मति ही होती है| पाकिस्तान से भारत शांति-वार्ता चलाए, यह हम तब भी कहते रहे, जबकि सरकार झिझक रही थी| जहॉं तक हर मुद्दे पर सलाह लेने का प्रश्न है, उन्होंने बहुत झिझकते हुए कहा कि ज्यादातर मुद्दों पर सरकार सलाह नहीं लेती लेकिन वे इसे कोई मुद्दा नहीं बनाना चाहतीं| जब उनसे पूछा गया कि किन मुद्दों पर सरकार सलाह लेती है और किन पर नहीं तो उन्होंने बहुत ही संकोचपूर्वक कहा कि “उन मुद्दों पर, जिनपर वह पहले से ही निर्णय कर चुकी होती है|” इस जवाब पर ठहाकों से सभाकक्ष गॅूंज उठा|
एक श्रोता ने पूछा कि तीनों हिन्दी राज्यों में उनकी पार्टी बुरी तरह से क्यों हारी ? उनका जवाब था कि दो राज्यों म.प्र. और छत्तीसगढ़ में तो सत्ता की दुगुनी थकान (डबल इंकम्बेसी) के कारण हारी| दोनों राज्यों में कॉंग्रेस दस साल से राज कर रही थी| लोग नए चेहरे चाहते थे| हमसे कुछ गलतियॉं भी हुई हैं| उन्हें हम सुधारेंगे| जब पूछा गया कि राजस्थान में क्या हुआ तो बोली उसका तो मुझे भी अफसोस है| वहॉं तो बहुत काम हुआ था| फिर किसी ने पूछा कि तीनों राज्यों में कॉंग्रेस क्यों हारी ? तो सोनिया ने बच्चों की-सी सरल मुद्रा में कहा “क्योंकि वह पिछली बार तीनों राज्यों में जीत गई थी|” इस जवाब पर फिर जबर्दस्त ठहाका हुआ| दिल्ली की जीत का पूरा श्रेय उन्होंने श्रीमती शीला दीक्षित को दिया|
जब उनसे पूछा गया कि आपने अजीत जोगी को क्या सिर्फ इसलिए निलंबित किया कि उन्होंने आपकी अनुमति के बिना विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख दिया था ? अपने रुपयों के लेन-देन पर बिल्कुल भी ध्यान क्यों नहीं दिया ? उन्होंने कहा कि जोगी ने मुझसे क्या, केंद्र में किसी से भी नहीं पूछा| उनका पत्र अनधिकृत था, इसीलिए उनके खिलाफ कार्रवाई हुई | प्रश्नकर्त्ता ने फिर चिकौटी काटी| आपने जोगी द्वारा किए गए लेन-देन पर कुछ नहीं कहा ? इस पर सोनियाजी ने कहा कि सरकार क्या कर रही है ? वह जू देव की रक्षा कर रही है और जोगी पर प्रहार कर रही है| इस पर प्रश्नकर्ता ने पूछा, ‘तो क्या आप जोगी की रक्षा करेंगी ?’ इस पर सोनिया गॉंधी ने कहा ‘उनका मामला सी.बी.आई. के पास है| देखें, जॉंच में क्या निकलता है ? प्रश्नकर्ता ने फिर गोल दागा कि क्या आप सी.बी.आई. पर भरोसा करती हैं ? तो उन्होंने कहा, करना चाहिए| प्रश्नकर्ता ने पूछा कि क्या सी.बी.आई. निष्पक्ष होगी ? सोनिया ने तपाक से कहा कि इसका जवाब आपके सवाल में ही छिपा हुआ है| फिर ठहाका हुआ| प्रश्नकर्त्ता ने पूछा कि ‘क्या आप जोगी का तब भी पक्ष लेंगी, जबकि जॉंच उनके विरुद्घ सिद्घ होगी ?’ सोनियाजी ने कहा ‘सवाल ही नहीं उठता|’ इतने टेढ़े-मेढ़े सवालो के इतने सटीक उत्तर चले आ रहे थे कि देश के जाने-माने लोग मंत्र-मुग्ध होकर घंटे-दो-घंटे और बैठ सकते थे लेकिन अगला सत्र शुरू होना था| इसीलिए इस अचानक और अपूर्व सम्वाद को समाप्त करना पड़ा| श्रोताओं के बीच बैठे वे लोग जो सोनिया गॉंधी के तीव्र आलोचक रहे हैं, वे भी कह रहे थे कि आज सोनिया गॉंधी ने कमाल कर दिया|
Leave a Reply