नया इंडिया, 09 सितंबर 2013 : प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के मुंह से यह बात कितनी माकूल है कि वे राहुल गांधी के मातहत काम करके प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल जी से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता। यह बात उन्होंने तब कही, जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना चाहेंगे? डा. मनमोहन सिंह की विनम्रता पर कुरबान जाने का मन करता है। उनकी विनम्रता अपरंपार है। वे सचमुच उनके पौत्र की उम्र के एक व्यक्ति के मातहत काम करने को तैयार हैं!
कोई आदमी भारत-जैसे राष्ट्र का दस साल तक प्रधानमंत्री रह जाए और उस पद से हटा दिया जाए तो भी वह किसी और पद पर किसी के मातहत काम करने को तैयार है यानी कि ईसा मसीह ने बाइबिल में जो कहा है कि ‘व्यक्ति विनम्र ही स्वर्ग के साम्राज्य के अधिकारी बनेगा’, इस कथन का मनमोहन सिंह से बेहतर कोई जीता जाता उद्धाहरण दुनिया में नहीं मिल सकता। शायद उनका यहीं गुण उन्हें प्रधानमंत्री पद तक ले आया। दुनिया के सभी महत्वकांक्षी लोगों के लिए मनमोहन सिंह एक जीवंत सबक हैं। प्रधानमंत्री पद पर बिठा देने के बाद भी किसी न किसी पद पर लटके रहना चाहते है। किसी पद के लिए चाहे न्यूनतम योग्यता भी नहीं हो लेकिन यदि आप अत्यंत विनम्र हैं, घनघोर खुशामदी हैं और आप किसी के लिए कोई भी खतरा खड़ा नहीं करने वाले है तो आप किसी दिन सर्वोच्च पद पर पहुंच सकते हैं। ये बात दूसरी है कि उस पद पर पहुंचते ही आपकी कलई खुलना शुरू हो जाती है। कलई खुले तो खुल जाए।
उन्हें क्या फर्क पड़ता है? उनका क्या बिगड़ना है वे तो जस की तस धर देंगे चदरिया! जो होगा, सो भुगतेंगे बेचारे कांग्रेसी। कांग्रेसी लोग तो अभी से भुगत रहे हैं। उन्हें पता है कि प्रधानमंत्री के उक्त कथन का आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। लोग समझ रहे है कि यह कांग्रेस की चलाचली की बेला है। इसलिए कि नेतृत्व इतना अधिक उदासीन और अकर्मण्य हो गया है। आम कांग्रेसी कार्यकर्ता बेहद परेशान है लेकिन वह क्या करे? उसकी सहमति से ही देश की यह महान पार्टी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई है। उसका सीईओ कह रहा है कि मालिक के मातहत काम करने में मुझे कोई संकोच नहीं तो अब उसे गलत कौन कहे? मनमोहन सिंह जी का कहना भी सही है कि राहुल से बेहतर कोई विकल्प नहीं। राहुल तो अभी ही प्रधानमंत्री के ‘बास’ हैं। उनके लिए प्रधानमंत्री बनना कौन बड़ी बात है? प्रधानमंत्री बनकर तो वे एक सीढ़ी नीचे ही उतरेंगे। कांग्रेस के प्रधानमंत्री तो वे अभी से हैं। लेकिन यह देश तो कांग्रेस नहीं है। कांग्रेस के बॉस बनने के लिए किसी खास व्यक्ति का बेटा, बेटी, पत्नी या बहू होना काफी है लेकिन देश का नेता बनने के लिए करोड़ों लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है। पर अपने प्रधानमंत्री तो ऐसे है जिन्होने नगरपालिका के एक मोहल्ले का चुनाव भी कभी नहीं जीता। यदि वे अपनी कुर्सी वापिस सुपुर्द कराने की तत्परता दिखा रहे है तो क्या आश्चर्य?
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