नया इंडिया, 17 सितंबर 2014: क्या अजब संयोग है कि हमारे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी वियतनाम में हैं और चीन के राष्ट्रपति शी जिन फिंग मालदीव में हैं। वियतनाम के साथ जैसा खट्टा-मीठा रिश्ता चीन का है, वैसा मालदीव के साथ भारत का नहीं है। मालदीव के साथ भारत का रिश्ता काफी घनिष्ट है लेकिन पिछले तीन-चार साल में दोनों के बीच थोड़ी खींच-तान उसकी आंतरिक राजनीति को लेकर हुई थी। मालदीव की वर्तमान सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण भारतीय ठेके रद्द कर दिए थे।
अब चीनी राष्ट्रपति के वहां जाने का मतलब यह भी हो सकता है कि मालदीव भारत का वियतनाम बन जाए। मालदीव जाने वाले शी पहले चीनी राष्ट्रपति हैं। उन्होंने मालदीव को अपने ‘सामुद्रिक रेशम पथ’ योजना का महत्वपूर्ण स्तंभ बनाने की घोषणा की है। चीन का प्राचीन रेशम पथ तो थल मार्ग था, जो मध्य एशिया होता हुआ यूरोप तक जाता था लेकिन यह नया सामुद्रिक रेशम पथ काफी लंबा-चौड़ा है। यह पूरे आग्नेय एशिया (दक्षिण-पूर्व एशिया) को घेरता हुआ हिंद महासागर, फारस की खाड़ी और अरब सागर तक आएगा और वहां से भूमध्यसागर तक पहुंचेगा। यह योजना व्यापारिक तो है ही, सामरिक भी है। इसे कारगर बनाने में मालदीव की सामरिक अवस्थिति का विशेष योगदान रहेगा।
यों ब्रिटिशकाल से ही मालदीव, श्रीलंका, अंडमान-निकोबार आदि भारत की सामरिक सुरक्षा के अभिन्न अंग रहे हैं। पिछले 50 वर्षों में जब भी श्रीलंका और मालदीव में तख्ता-पलट या अराजकता की स्थिति बनी है, भारत ने सीधा सैन्य हस्तक्षेप किया है। अब ऐसा लगता है कि इन क्षेत्रों पर भारत का एकाधिकार नहीं रह पाएगा। चीन कोई न कोई भूमिका अवश्य निभाना चाहेगा।
यदि चीन भारत के इन पड़ौसी राष्ट्रों से अपने व्यापारिक और राजनीतिक संबंध घनिष्ट करना चाहता है तो उसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन यदि वह इन राष्ट्रों को भारत के विरुद्ध अपनी शतरंज के मोहरे की
तरह इस्तेमाल करना चाता है तो भारत के लिए यह चिंता का विषय होगा।
इस मामले में भारत पहले से ही सतर्क है। हमारे राष्ट्रपति का इस समय वियतनाम में होना मात्र संयोग नहीं है। इसके अलावा चीनी रेशम पथ की टक्कर में भारत ‘मौसम’ नामक योजना का श्रीगणेश कर रहा है, जिसके अंतर्गत अरब सागर और पूर्वी अफ्रीका तथा हिंद महासागर और आग्नेय एशिया के सामुद्रिक क्षेत्र भी आ जाएंगे। इन तटों के किनारे बसे देशों के साथ प्राचीन भारत का घनिष्ट व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध रहा है। उसी प्राचीन सामुद्रिक पथ को सरकार अब बेहतर ढंग से सक्रिय करेगी।
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