नया इंडिया, 13 अगस्त 2014: भारत के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने उन लोगों को आड़े हाथों लिया है, जो ‘कॉलेजियम सिस्टम’याने निर्णायक मंडल पद्धति को बदनाम कर रहे हैं। कॉलेजियम सिस्टम का सीधा-सादा अर्थ यही है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की देखरेख में ही उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालयों के जजों की नियुक्ति होती है। इस परंपरा पर आजकल कई दिशाओं से प्रहार हो रहे हैं। कई जजों की नियुक्तियों में पक्षपात, सरकारी दबाव, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद आदि के ठोस उदाहरण पेश किए जा रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं है कि इन आरोपों से न्यायपालिका की छवि विकृत हो रही है। इसी प्रवृत्ति की निंदा करते हुए न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा है कि उनके जैसे जज भी इसी कॉलेजियम पद्धति की संतान हैं। इस पद्धति को बदनाम करना ठीक नहीं है। उन्होंने जजों पर भ्रष्टाचार के अनाप-शनाप आरोपों की तो निंदा की है लेकिन यह नहीं कहा है कि सरकार जो नया कानून बना रही है, वह गलत है या वह न बनाया जाए। उन्होंने ‘कॉलेजियम’ के बदले जो नया ‘न्यायिक नियुक्ति आयोग’ बन रहा है, उसकी निंदा नहीं की है।
सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए संसद में जो नया विधेयक पेश किया है, वह इस कॉलेजियम-पद्धति को बदलेगा। अब सिर्फ मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य वरिष्ठ पांच जज मिलकर नई नियुक्ति नहीं करेंगे। अब कुल छह लोग होंगे। एक मुख्य न्यायाधीश और दो अन्य उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ जज, दो प्रसिद्ध कानूनविद और एक विधि मंत्री! इन छह लोगों में से अगर पांच किसी के नाम पर सहमत हों तो वह नियुक्त हो सकेगा। एक व्यक्ति की असहमति को कोई महत्व नहीं मिलेगा, वह चाहे फिर मुख्य न्यायाधीश ही हो या विधि मंत्री ही हो लेकिन यदि छह में से कोई दो सदस्य किसी नाम पर सहमत नहीं हों, तो उसे नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। याने किसी एक व्यक्ति को ‘वीटो’ का अधिकार नहीं होगा।
यह प्रावधान काफी तर्कसंगत लगता है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश इस प्रावधान को शायद पचा नहीं पाएंगे। इसीलिए इसे संविधान संशोधन की तरह लाया जा रहा है लेकिन उच्चतम न्यायालय चाहे तो इसे भी असंवैधानिक कहकर रद्द कर सकता है।
यदि देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका में इस मुद्दे पर मुठभेड़ होगी तो उसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। न्यायपालिका की स्वतंत्रता तो परम आवश्यक है लेकिन सरकार के तीनों अंगों- विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका- में संतुलन और अंकुश रहना भी उतना ही जरुरी है।
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