दैनिक भास्कर, 09 जनवरी 2014 : अपने यहां कहावत है, मरता क्या न करता? कोई जहाज डूब रहा हो तो उसका कप्तान क्या-क्या नहीं करता? उस वक्त उसे जो भी सुझाव दिया जाता है, वह सोचता हे, इसे भी क्यों नहीं आजमा लिया जाए? ऐसे में जहाज के खालासी भी कप्तान बन जाते हैं। आजकल कांग्रेस का हाल यही है। दुनिया की सबसे पुरानी और खानदार पार्टी की इस दुर्दशा पर किसे रोना नहीं आएगा? इसी पार्टी के मंत्री खुले-आम कह रहे हैं कि आप पार्टी से सबक ले लो, वरना नामों-निशां भी मिट जाएगा।
सबक लेना तो बहुत दूर की बात है। वह सबक लेने की बजाए आजकल दिल बहलाने में लगी हुई है। वह भी इस खिलौने को उछलती है तो कभी उस खिलौने का उछलती है। अब उसने दोनए खिलौने उछाले हैं। एक तो राहुल गांधी की छवि निखारने के लिए उसने 500 करोड़ रुपए खर्च करना तय किया है और दूसरा प्रियंका को चुनाव के दौरान में कुदवा रही है। अपने भाई के पंचर हुए फुटबाल में अब वह हवा भरेगी।
यह खबर कि राहुल की छवि सुधारने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, अपने आप में कितनी खतरनाक है। किसी आदमी की छवि को चकनाचूर करने के लिए इससे ज्यादा पथरीली खबर क्या हो सकती है? क्या 500 करोड़ रुपए कुछ नहीं होते? पहला सवाल तो यही है कि ये 500 करोड़ रुपए आए कहां से? किसने दिए और क्यों दिए? यदि वे पैसे कांग्रेस पार्टी के हैं तो पूछा जा सकता है कि उसे ये क्यों दिए गए? जिस-जिसने दिए, जरा उनके नाम तो उजागर कीजिए। सिर्फ उनके नाम उजागर होने से ही पता चल जाएगा कि यह पेसा भ्रष्टाचार के कीचड़ के लथपथ है।
पहली बात तो यह कि इसका ज्यादातर पैसा बेनामी होगी और यदि नाम सामने आए तो वे जुडे पाए जाएंगे, उन लोगों से, जिन्होंने कोयले की खदानों, टेलिकॉम घपलों, राष्ट्रकुल खेलों, रक्षा-सौदों और दूसरे धांधलों में लूट-पाट मचाई है। यह पैसा भ्रष्टाचारी सरकार की इजजत में चार चांद लगा देगा। इन चांदों की चांदनी में जब राहुलजी नहाएंगे तो कितने सुंदर लगेंगे? उनकी छवि दमकने-चमकने लगेगी। राहुल की छवि का जो भी हो,
उसको सब्ज-बाग दिखाने वाली इस विदेशी कंपनी की चांदी ही चांदी है। इस पंचर हुए फुटबाल मेंवह लगातार पम्प मारती रहेगी और उसकी दुकान चलती रहेगी।
जहां तक प्रियंका का सवाल है, वह देखने में आर्कषक शिष्ट और समझदार है। भोले मतदाताओं को यदि ‘आप पार्टी’ के नौसिखिए फुसला सकते है तो वे प्रियंका को देखकर क्यों नहीं फिसल सकते? लेकिन एक बड़ी दिक्कत है। राहुलजी ने तो अपना फुटबाल खुद की पंचर कर लिया है लेकिन प्रियंका क्या करें? वह रॉबर्ट बड्रा से खुद को अलग कैसे करेगी? अगर कांग्रेस 500 नहीं 1000 करोड़ रुपए भ्ाी खर्च करें तो बड्राजी को उसके कंधे पर से कैसे उतारेगी? किसी भी सभा में वह बालने खड़ी होगी और हर तरफ से लगा ‘बड्रा-बड्रा’ करने लगेंगे। तब क्या होगा? जो भ्रष्टाचार कांग्रेस को राज्यों के चुनावों में ले डूबा, अब कांग्रेस उसे ही आगे करके लोकसभा के चुनाव लड़ना चाहती है इस बदहवासी में कांग्रेस का अल्ला ही बेली है।
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