नया इंडिया, 01 अप्रैल 2014 : हमारे सामने दो मामले हैं। एक इमरान का और दूसरा साबिर अली का! कांग्रेस मसूद पर डटी हुई है और भाजपा ने साबिर पर अपना पांव पीछे खींच लिया है। दोनों पार्टियां मुसलमानों के वोट पटाने में लगी हुई हैं। क्यों न लगें वे इस काम में? वे ही क्यों, कौन सी ऐसी पार्टी है जो मुसलमानों के वोट के लिए लार नहीं टपकाती? मुसलमानों के वोट थोक जो मिलते हैं। देश की ज्यादातर सीटें बहुत थोड़े–से वोटों से हारी या जीती जाती हैं। ऐसे में थोकबंद वोट बहुत काम आते हैं, फिर चाहे वे जाति के नाम पर मिलें या मज़हब के!
इमरान मसूद सहारनपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उन्हें इसलिए गिरफ्तार कर लिया है कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने मोदी की बोटी-बोटी काटने की बात कही थी। यह भाषण लगभग छह माह पहले दिया गया था। लेकिन इसे आजकल टीवी और इंटरनेट पर दिखाया जा रहा है। इससे भावनाएं भड़कें या नहीं, चुनाव में बदमजगी तो पैदा हो ही रही है।
सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे उम्मीदवार की जीतने की संभावनाएं नगण्य हो गई हैं। लेकिन कांग्रेस की बुद्धि को देखिए, कैसा लकवा मार गया है? वह मसूद की उम्मीदवारी रद्द नहीं कर रही है। सारे देश में उसे बदनामी मोल लेना उसे स्वीकार है लेकिन वह सहारनपुर की सीट खोने को तैयार नहीं है। उसे भरोसा है कि सहारनपुर के सारे मुसलमान इमरान को जिता लाएंगे। यदि ऐसा हो भी जाए याने उसे सभी मुसलमान अपना वोट दे दें तो भी क्या वह जीत सकता है? क्या कांग्रेस ने मुसलमानों को भेड़-बकरी समझ रखा है? कोई भी समझदार मुसलमान मसूद की मूर्खता पर अपनी मुहर नहीं लगा सकता। यह तर्क बिल्कुल बोदा है कि मसूद ने यह बयान तब दिया था, जब वे समाजपार्टी में थे। इसमे कांग्रेस क्या करे? कांग्रेस अपने पांव पर कुल्हाड़ी क्यों मार रही है? खुद राहुल ने सहारनपुर जाकर मसूद की उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी।
लगभग यही गलती भाजपा से हुई बिहार के साबिर अली के बारे में! भाजपा ने जैसे प्रमोद मुतालिक को निकाला, वैसे ही साबिर को भी निकाल बाहर किया। अब जनता ही तय करे कि सांप्रदायिक कौन है? भाजपा ने दोनों कार्ड रद्द कर दिए। हिंदू भी औऱ मुस्लिम भी लेकिन कांग्रेस मुस्लिम कार्ड से चिपकी हुई है। इसके अलावा भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र भी जीवित है। मुतालिक और साबिर, दोनों पर जमकर जुबान चली लेकिन इमरान मसूद को लेकर पूरी की पूरी कांग्रेस के मुंह पर पट्टी बंधी हुई है। बब्बू के आगे सब दब्बू बने हुए हैं।
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