R Sahara, 28 Sept. 2003 : अब से ठीक ढाई साल पहले राष्ट्रपति नारायणनजी अपने साथ मुझे भी मोरिशस लाए थे| उसके पहले कई बार यहॉं आना हुआ है लेकिन उसके बाद यह मेरी पहली मोरिशस-यात्रा है| नारायणनजी का विशेष आग्रह था कि मैं उनके साथ मोरिशस जाउॅं| जब राष्ट्रपतिजी का जहाज दिल्ली से उड़ा तो वे अपने केबिन से निकलकर मेरी सीट के पास आए| मैंने उन्हें धन्यवाद दिया तो कहने लगे कि “मोरिशस आते वक्त मैं आपको कैसे भूलता? यहीं तो उप-राष्ट्रपति पद की नींव रखी गई थी|” नारायणनजी को उप-राष्ट्रपति बनाया जाए, यह बात प्रधानमंत्री नरसिंहरावजी को मैंने 12 मार्च 1992 को यहीं सुझाई थी| नारायणनजी उस समय साधारण सांसद की तरह प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य थे| साथ में राजा दिनेशसिंह और श्री भागवत झा आज़ाद भी थे| उस समय श्री अनिरुद्घ जगन्नाथ प्रधानमंत्री थे और श्री पाल बेरांजे उप-प्रधानमंत्री थे| जब बेरांजे से डॉ.मुरली मनोहर जोशी ने मेरा परिचय कराया तो बेरांजे ने जार का ठहाका लगाया और कहा कि ‘इन्हें जितने वर्षों से आप जानते हैं, शायद उनसे भी ज्यादा वर्षों से मैं जानता हॅूं|’
यही पॉल बेरांजे अब 30 सितंबर को मोरिशस के प्रधानमंत्री बनेंगे| पॉल बेरांजे फ्रांसीसी मूल के हैं| गोरे हैं| ईसाई हैं| फ्रांसीसी उनकी मातृभाषा है| मोरिशस में गोरों की संख्या 10-12 हजार से ज्यादा नहीं है, लेकिन कई चुनावों में बेरांजे की पार्टी ‘मूअमॉं मिलितॉं मोरिस्यें’ को इतनी सीटें मिली हैं कि जो भी हिन्दू प्रधानमंत्री बना, उसे उन्हें उप-प्रधानमंत्री बनाना पड़ा| उप-प्रधानमंत्री रहते हुए बेरांजे का दबदबा इतना रहता रहा कि प्रधानमंत्रियों की नाक में दम होता रहा| वे विदेश मंत्री हों या वित्तमंत्री हों, बेरांजे अपनी छाप छोड़े बिना नहीं रहे| वे कितनी ही बार उप-प्रधानमंत्री बन जाएं लेकिन वे कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते, यह बात सारा मोरिशस कहता था और वे भी मुझसे कई बार कहते रहते थे| ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि मोरिशस के 12 लाख लोगों में से लगभग 8 लाख भारतवंशी हैं| वे किसी गोरे को प्रधानमंत्री क्यों बनने देंगे? यह सच भी है| मोरिशस की राजनीति बड़ी विचित्र है| यहॉं 70 प्रतिशत भारतवंशी हैं, 25 प्रतिशत काले अफ्रीकी मूल के लोग हैं और शेष पॉंच प्रतिशत में गोरे, चीनी, वर्णसंकर आदि हैं| 70 प्रतिशत भारतीय आपस में लड़ते रहते हैं लेकिन वे किसी गैर-भारतीय को प्रधानमंत्री नहीं बनने देते| प्रधानमंत्री हमेशा कोई न कोई भारतवंशी ही बनता है| पहली बार एक गोरा प्रधानमंत्री बन रहा है| यहॉं सभी भारतीय डरे हुए हैं| बेरांजे के समर्थक भी अगर हिन्दू हैं तो वे भी सकपकाए हुए हैं| सबको सॉंप-सा सूंघा हुआ है| बेरांजे को बहुत खतरनाक माना जाता है| उन्हें चालाक और गुस्सैल कहा जाता है| यह माना जा रहा है कि मोरिशस के लोग दुबारा गुलामी के दौर में प्रवेश कर रहे हैं| अभी तक आर्थिक सत्ता फ्रांसीसी मिल-मालिकों के हाथ में थी और राजनीतिक सत्ता हिन्दुओं के हाथ में लेकिन अब दोनों सत्ताऍं गोरों के हाथ में चली जाऍंगी, यह भय सबको सता रहा है| हिन्दू नेताओं का यह कहना भी है कि बेरांजे ने कुछ ऐसी तिकड़म चलाई है कि लगभग 17 प्रतिशत मुसलमानों ने अपने आपको हिन्दुओं से अलग काट लिया है| वे बेरांजे के साथ हो गए हैं और बेरांजे ने हिन्दुओं में भी फूट डाल दी है| हिन्दुओं में हिन्दीभाषियों का अलग समूह बन गया है और तमिल, तेलुगु, मराठीवालों का अलग| ये अहिन्दीभाषी लोग अपने आपको हिन्दू कहने में भी संकोच करते हैं| दूसरे शब्दों में तर्क यह बनता है कि क्रेओल (काले), मुसलमान, चीनी आदि तथा अहिन्दीभाषी – सब मिलकर अगर बेरांजे का समर्थन करें तो लगभग 55 प्रतिशत मोरिशसवासी अब हिन्दू नेताओं – जगन्नाथ और नवीन रामगुलाम – की पकड़ के बाहर हो गए हैं| सन्र 2000 के चुनावों में यों भी बेरांजे की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं| यदि अगले दो वर्षों में बेरांजे ने अपना काम चतुराई से किया तो वे बिना किसी गठबंधन के ही दुबारा प्रधानमंत्री बन सकते हैं| अभी वे इसलिए प्रधानमंत्री बन रहे हैं कि तीन साल पहले उनकी पार्टी और जगन्नाथ की पार्टी ने गठबंधन करते समय यह समझौता किया था कि यदि उनका गठबंधन जीत गया तो पहले तीन सालग जगन्नाथ प्रधानमंत्री होंगे और बाद के दो साल बेरांजे| अब यह जो सत्ता-परिवर्तन हो रहा है, बिल्कुल शांतिपूर्ण है और ईमानदाराना है| कोई और देश होता तो बड़ा खून-खराबा होता| ऐसा नहीं हो रहा, इसका कारण यह भी है कि जगन्नाथ स्वयं राष्ट्रपति बन रहे हैं और उनका बेटा प्रवीण उप-प्रधानमंत्री ! एक कारण यह भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम, जो कि विपक्ष के नेता हैं, प्रधानमंत्री जगन्नाथ की घृणा के पात्र बने हुए हैं| अभी पॉंच-छह दिन पहले ही जगन्नाथजी ने एक सभा में कहा कि हजार नवीनों की बजाय एक बेरांजे बेहतर है| यदि जगन्नाथ और नवीन में सॉंठ-गॉंठ हो जाती तो सरकार भंग करके नए चुनाव कराए जा सकते थे| आज सुबह नवीन से फोन पर लंबी बात हुई| उनमें काफी परिपक्वता आ गई है| उन्होंने कहा कि वे बेरांजे को बधाई देनेवालों में सबसे आगे होंगे|
यहॉं यह भी कहा जा रहा है कि बेरांजे अगले दो वर्षों में इतने दुश्मन खड़े कर लेंगे कि 2005 में नवीन की लहर चलेगी और वे दुबारा प्रधानमंत्री बन जाएंगे| अपने पहले प्रधानमंत्री-काल में नवीन से जो भूलें हुई हैं, उनसे उन्होंने काफी सीखा है| जहॉं तक बेरांजे का सवाल है, परसों उनसे लगभग आधा घंटा भेंट हुई| वे घनघोर व्यस्त हैं और ज़्रा बदहवास भी हैं| फिर भी उन्होंने मेरे साथ गए भारत जैन महामंडल के 40 भारतीयों का भाव-भीना स्वागत किया| सबके सामने उन्होंने मुझसे कहा कि भारत के साथ मोरिशस के संबंधों को इतने उचे स्तर पर ले जाउगा कि वे ‘अनन्य’ बन जाऍं| इसीलिए मध्य नवंबर में सबसे पहले वे भारत आऍंगे| उन्होंने यह भी कहा कि वे अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सचिवालय को सकि्रय करेंगे और दुनिया में फैले समस्त प्रवासी भारतीयों को एकजुट करने का प्रयत्न करेंगे| ये दोनों वायदे उन्होंने दो साल पहले दिल्ली में मुझसे मेरे घर पर किए थे| क्या यह फ्रांसीसी मूल का नेता कुछ ऐसे काम भी करेगा, जो हमारे भारत मूल के नेता अभी तक नहीं कर पाए?
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