नया इंडिया, 10 जनवरी 2014 : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपना वादा पूरा किया। उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकयुद्ध छेड़ दिया है। उन्होंने दिल्ली के आम अदमियों से कहा है कि वे अपने मोबईल फोन का इस्तेमाल करें। उसमें फोटो लेने और बातचीत रिकार्ड करने की सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। जो कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत मांगे पहले उसकी शिकायत 2735-7169 नंबर पर नोट कराएं। इस नंबर से एक आधिकारी आपको बुलाकर जाल बिछाना सिखाएगा और फिर आप रिश्वतखोर कर्मचारी को रंगे हाथ पकड़वा दीजिए।
यह योजना इतनी शानदार है कि आधे रिश्वतखोर इसके डर के मारे ही ठंडे पड़ जाएंगे। कुछ हजार या कुछ सौ रुपयों के लालाच में कौन अपनी नौकरी से हाथ धोना चाहेगा? जो दुस्साहसी और बेशर्म कर्मचारी हैं, जब वे रंगे हाथ पकड़े जाएंगे तो उन्हें कौन बचा सकेगा? बड़े से बड़ा वकिल उनकी पेरवी करने से मना कर देगा। उसे पैसे तो मिल सकते हैं लेकिन उनसे ज्यादा उसे बादनामी मिलेगी। ऐसे रिश्वत के मामलों की टंकार पूरे देश में होगी। टीवी चैनलों और अखबारों को गर्मागर्म मसला मिलेगा। आप पार्टी को पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसका प्रचार अपने आप होगा।
‘आप’ की यह अलोचना बिल्कुल गलत है कि इस सरकार ने भ्रष्टाचार को पकड़ने की अपनी जिम्मेदारी जनता पर डाल दी। क्यों नही डाले? यदि जनता रिश्वत देना बंद कर दे तो लेने वाले अपने आप खत्म होते चले जाएंगे। लोकतंत्र में अगर लोक के सहयोग से शासन नहीं चलेगा तो क्या सिर्फ नौकरशाही के दम पर चलेगा? पिछले 66 साल से यही हो रहा है। अरविंद केजरीवाल को बधाई कि उसने देश के सारे नेताओं को लोकतंत्र का पहला पाठ पढ़ा दिया है। लेकिन इससे समस्या अभी पूरी तरह हाल नहीं होगी। यदि रिश्वत देनेवाला और लेनेवाला, दोनों ही राजी हैं तो उन्हें कौन पकाड़वाएगा? सरकार और कानून की पहुंच बहुत सीमित है। इस समस्या का हल एक ही है। देश के करोंड़ों लोगों से प्रतिज्ञा कराई जाए कि न तो रिश्वत देंगे और न ही लेंगे। यह नैतिक वातावरण बनाना नेताओं के बस की बात नहीं है, क्योंकि वे तो अपनी रानीति का श्री गणेश ही रिश्वत लेने और देने से करते हैं। यह काम देश का कोई महात्मा, कोई संत या कोई सच्चा अध्यात्म–पुरुष ही कर सकता है?
Leave a Reply