दैनिक भास्कर, 10 अक्टूबर 2013 : मालदीव में अजीब तमाशा हो रहा है। पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के विरुद्ध ऐसी साजिश की गई कि उनका तख्ता-पलट हो गया और इस तरह हुआ कि वे शिकायत भी न कर सके और अब चुनाव हुए तो उनकी प्रचंड विजय को भी पराजय में बदलने की कोशिश हो रही है। पिछले माह हुए राष्ट्रपति के चुनाव में उन्हें 45 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट मिले लेकिन क्योंकि वे 51 प्रतिशत से कम थे, इसलिए वहां की संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार दुबारा चुनाव की घोषणा हुई। यदि चुनाव दुबारा होते तो उसमें वे दो उम्मीदवार ही आमने-सामने होते, जिन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे।
पहले उम्मीदवार नशीद और उनके प्रतिद्वंदी रे उम्मीदवार पुराने खुर्राट राष्ट्रपति गयूम के छोटे भाई यामीन अब्दुल गयूम होते, जिन्हें सिर्फ 25 प्रतिशत वोट मिले थे। जाहिर है कि दूसरे दौर के चुनाव में गयूम बुरी तरह से मात खा जाते। लेकिन देखिए अब बड़े गयूम और उनके द्वारा नियुक्त किए गए पुराने जजों की कलाबाजियां! इन्हीं जजों के वजह से नशीद का तख्ता-पलट पहले हुआ था। चुनाव का दूसरा दौर सम्पन्न होता, उसके पहले ही तीसरे नंबर पर आए उम्मीदवार ने कानूनी अडंगा लगा दिया। कासिम इब्राहिम नामक इस तीसरे उम्मीदवार को कुल 24 प्रतिशत वोट मिले थे। उसे गयूम के मुकाबले सिर्फ ढाई हजार वोट कम मिले थे। उसने अदालत में याचिका लगा दी कि 5623 वोट अवैध थे।
इनकी वजह से उसे तीसरे नंबर पर खिसकना पड़ा। वरना वह दूसरे नंबर पर होता और गयूम की बजाय उसे नशीद से लड़ने का मौका मिलता। अदालत ने इब्राहिम की बात मान ली और पहले दौर के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। अब पहले दौर का चुनाव 20 अक्तूबर के पहले कभी भी हो सकता है। इब्राहिम की जम्हूरी पार्टी के गवाह आदि गोलमोल थे और अदालत की सारी कार्रवाई में कोई पारदर्शिता भी नहीं थी लेकिन उसने यह दूसरी हिमाकत की है, नशीद के खिलाफ! सो अब नशीद को एक बार नहीं, शायद दो बार चुनाव लड़ना पड़ेगा। नशीद काफी बौखलाए हुए हैं।
उनको लग रहा है कि इस बार उनके खिलाफ सारे विरोधी एक हो जाएंगे और उनको हरा देंगे। इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन अदालत के इस फैसले पर आम लोगों की प्रतिक्रिया काफी तीव्र हो सकती है। पिछली बार उन्होंने 2 लाख 40 हजार वोटों में से 95000 वोट नशीद को दे दिए थे। कोई आश्चर्य नहीं कि इस बार उन्हें 25-30 हजार वोट पहले से भी ज्यादा मिल जाएं और वे पहले दौर में ही विजयी घोषित हो जाएं। इस समय जरुरी यह है कि वे तत्काल जोड़-तोड़ करें। कासिम इब्राहिम को वे उप-राष्ट्रपति पद देने का वादा करें और वे उनके साथ शामिल हो जाएं तो 50 हजार वोट उन्हें अतिरिक्त मिल सकते हैं। इस समय जो लोग नशीद का विरोध कर रहे हैं, यह संयोग है कि वे छद्म रुप से भारत-विरोधी भी हैं। इसलिए भारत को चाहिए कि वह औपचारिक रुप से तो बिल्कुल नहीं लेकिन हर तरह से कोशिश करे कि नशीद प्रचंड बहुमत से चुनकर आएं। अन्यथा मालदीव में अस्थिरता और हिंसा का बोलबाला हो जाएगा। उसका खामियाजा और किसी को नहीं, हमें ही भुगतना पड़ेगा। हमारा चुप रहना ठीक नहीं।
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