नया इंडिया, 25 मई 2014: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ ने आखिरकार भारत आने की हां भर दी है। उन्होंने हां कहने में तीन दिन लगा दिए। उनकी तुलना में देखा जाए तो अन्य पड़ौसी देशों ने तत्काल स्वीकृति दे दी थी। मियां नवाज का नरेंद्र मोदी के शपथ-समारोह में आना अपने आप में बड़ी घटना है। खास तौर से हेरात में हमारे दूतावास पर तालिबान हमले की वेला में। भारत में ज्यादातर लोगों का मानना यह था कि हेरात में हमला इसलिए करवाया गया है कि मियां नवाज का भारत आना टलवाया जा सके। पाकिस्तान के उग्रवादियों की इच्छा पूरी न हो सकी। भारत ने उनकी तरफ इशारा तो किया लेकिन मियां नवाज को कोई दोष नहीं दिया। अब मियां साहब के भारत आने की खबर से भारत में खुशनुमा माहौल बन गया है। लेकिन अभी डेढ़-दो दिन बाकी हैं। देखना है कि कोई ऐसी बड़ी घटना न हो जाए कि उनका आना ही टल जाए।
मियां नवाज ने हां भरने में इतनी देरी क्यों लगाई, यह सवाल मुझसे भारत और पाकिस्तान के नेता और पत्रकार दोनों पूछ रहे हैँ। इसका जवाब सीधा-सादा है। मियां नवाज अपना भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते थे। यह ठीक है कि वे पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता है लेकिन वहां चार तत्व ऐसे हैं, जिनसे उन्हें सावधान रहना पड़ता है।
पहला फौज, दूसरा आईएसआई, तीसरा उग्रवादी-आतंकवादी और चौथा विरोधी दल। तीन दिनों में उन्होंने इन चारों तत्वों से सलाह करने की कोशिश की। इनके अलावा उन्होने विदेश मंत्रालय और पत्रकार-सलाहकारों से भी बात की। उनकी बेटी मरियम ने आज सुबह ही अपने ट्वीट पर उनके भारत जाने का समर्थन कर दिया था।
उनके भारत आने की घोषणा होते ही जमात-उद्-दावा के मुखिया हाफिद सईद ने हंगामा खड़ा कर दिया। वह कह रहा है कि अब मियां कश्मीरियों को कैसे मुंह दिखाएंगे? मोदी तो कश्मीर को भारत का अटूट अंग बताता है। सईद ने कहा कि अब मियां नवाज हिंदू बनियों और बामन-पंडितों के आगे मत्था टेकेंगे। कुछ तालिबान नेता कह रहे हैं कि मियां भारत तो जा रहे हैं लेकिन हम देखेंगे कि वे पाकिस्तान कैसे लौटेंगे? मियां नवाज के कुछ मंत्री भी उनके भारत आने के विरूद्ध हैं लेकिन उनके वास्तविक विदेश मंत्री सरताज अजीज उनके पक्ष में हैं। वे साथ आ भी रहे हैं।
अगले कुछ घंटों में मियां नवाज के खिलाफ पाकिस्तान में कुछ सख्त माहौल और भी बनेगा लेकिन उन्हें मेरी यह सलाह है कि वे डटे रहें। पाकिस्तान का आम आदमी भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए बेताब है। एक बार उसके दिल से भारत की दहशत हटी कि सारे मामले ठीक होने लगेंगे।
जन-दक्षेस (पीपल्स सार्क) के मेरे विचार से मियां नवाज और उनके विरोधी भी सहमत हैं। मोदी के शपथ-समारोह से ही इस महान विचार को अमली जामा पहनाने की शुरूआत होगी।
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