नया इंडिया, 07 सितंबर 2013 : नरेंद्र मोदी ने एक बच्चे के सवाल के जवाब में एक तीर से कई शिकार कर दिए। उन्होंने कह दिया कि वे प्रधानमंत्री बनने के सपने नहीं देख रहे हैं। वे तो 2017 तक गुजरात की जनता की सेवा करेंगे। उन्हें जो जनादेश मिला है, उसे वे पूरा करेंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनका स्वभाव ‘कुछ बनने’ का नहीं बल्कि ‘कुछ करने’ का है। जो लोग कुछ बनने के चक्कर में रहते हैं, वे अपना विनाश खुद कर लेते हैं। मोदी पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि वे अहंकारी हैं। इस आरोप को वे लोग भी सही बताते हैं, जो संघ और भाजपा में मोदी के साथ काम कर चुके हैं। उनका सोचना है कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा बिखर जाएगी। कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति मोदी के साथ काम नहीं कर सकता और फिर जो मोदी से भी वरिष्ठ हैं, उनकी समस्या तो और भी विकट है।
मोदी को लेकर भाजपा के शीर्ष नेताओं में इतनी ज्यादा खींचा-तानी चल रही है कि इस मौके पर अचानक मोदी का यह बयान मोदी की मदद ही करेगा। प्रधानमंत्री-पद के प्रति उनकी अरुचि का पैंतरा उनके विरोधियों के जख्मों पर मरहम लगाएगा लेकिन वे जानते हैं कि ये हाथी के दांत हैं और सिर्फ दिखाने के हैं। मोदी ने अपने धनुष को झुकाया है और तीर को पीछे खींचा है। स्पष्ट है कि यह तीर अब बहुत आगे तक जाएगा और निशाने पर जाएगा। मोदी के प्रतिस्पर्धियों को पता है कि उनकी पार्टी में आज मोदी का विकल्प मोदी ही है। कल चुनाव के बाद क्या होगा, कौन जाने? मोदी ने उक्त बयान देकर अपनी अहंकारी छवि को तोड़ा है, जैसे कि उन्होंने अपने हरिद्वार-भाषण में ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ का नारा देकर संकीर्ण सांप्रदायिकता के आरेाप को पतला कर दिया था। उन्होंने प्रधानमंत्री पद के दावेदारों पर भी हमला बोल दिया है। महत्वाकांक्षी नेताओं पर उन्होंने जो करारा कटाक्ष किया है, क्या वह उनकी समझ में नहीं आएगा? उसका निहित अर्थ यह है कि जो हमसे टकराएगा, वह चूर-चूर हो जाएगा।
उनका बयान भाजपा के लिए भी एक चुनौती है। चुनौती यह कि मेरे नाम की घोषणा करना हो तो जल्दी करो, वरना ‘ले ले अपनी लकुट-कमरिया’। मैं गुजरात में ही खुश हूं। मोदी ने घुमा-फिराकर यह संदेश भी दे दिया है कि यदि आपको सरकार बनानी है तो नाम की घोषणा जल्दी करें। जितनी गर्ज मोदी को है, उससे ज्यादा भाजपा को है। मोदी तो सरकार में है। यदि भाजपा को सरकार में होना है तो वह मोदी की गर्ज करे। मोदी ने ‘कुछ बनने’ और ‘कुछ करने’ की बात इस अदा से कही है कि मानो वे कोई कविता कर रहे हों। इस तरह की बारीक कताई प्रायः नेताओं के बस की बात नहीं होती। या तो मोदी के सलाहकार बहुत चतुर हैं या फिर मोदी का ही विकास हो रहा है।
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