Jansatta, 21 Aug 2005 : चीनियों के बारे में हम भारतीयों की धारणा यह है कि वे सब कुछ खा जाते हैं| कोई ऐसा प्राणी नहीं, जिसे वे न खाते हों| जमीन पर चलनेवाला हर प्राणी, पानी में तैरनेवाला हर प्राणी और आसमान में उड़नेवाला हर प्राणी चीनियों के पेट में आसानी से समा जाता है| चार बार चीन आकर और यहां दस दिन से एक माह तक प्रवास करके मैंने यह जान लिया कि भारतीयों की उक्त धारणा कमोबेश ठीक … [Read more...] about चीन शाकाहारियों के लिए स्वर्गतुल्य है
Archives for August 2005
भारत बने अग्रगण्य या पिछलग्गू
NavBharat Times, 5 Aug 2005 : प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के बीच जो परमाणु समझौता हुआ है, उसके तकनीकी पक्षों पर विशेषज्ञों के बीच काफी बहस हो चुकी है| प्रधानमंत्री ने संसद में अमेरिका के साथ समान पारस्परिकता का आश्वासन देकर अनेक संशय दूर कर दिए हैं| लेकिन फिलहाल यह जरूरी है कि इस समझौते को विदेश नीति की तात्कालिक और दीर्घकालिक दृष्टि से देखा … [Read more...] about भारत बने अग्रगण्य या पिछलग्गू
भारत बने अग्रगण्य या पिछलग्गू
NavBharat Times, 5 Aug 2005 : प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के बीच जो परमाणु समझौता हुआ है, उसके तकनीकी पक्षों पर विशेषज्ञों के बीच काफी बहस हो चुकी है| प्रधानमंत्री ने संसद में अमेरिका के साथ समान पारस्परिकता का आश्वासन देकर अनेक संशय दूर कर दिए हैं| लेकिन फिलहाल यह जरूरी है कि इस समझौते को विदेश नीति की तात्कालिक और दीर्घकालिक दृष्टि से देखा … [Read more...] about भारत बने अग्रगण्य या पिछलग्गू
चिंतित चीन : आंखों देखा हाल
3 Aug 2005 : जब डॉ. मनमोहन सिंह वाशिंगटन में भारत-अमेरिका परमाणु-सहयोग के समझौते पर दस्तखत कर रहे थे, मैं चीन में था| शांघाइ में एकेडेमी ऑफ वर्ल्ड वाच, पेइचिंग विश्वविद्यालय और शांघाइ सामरिक संस्थान के विद्वानों के साथ गहन विचार-विमर्श हुआ| इन चीनी विद्वानों में से कुछ चीनी सरकार के सलाहकार भी थे| अपने दक्षिण एशियाई देशों के कुछ चुने हुए विशेषज्ञ भी थे| विषय था -दक्षिण एशिया … [Read more...] about चिंतित चीन : आंखों देखा हाल