राष्ट्रीय सहारा, 29 दिसंबर 2010 | ‘स्टार्ट’ नामक संधि पर मुहर लगाकर अमेरिकी सीनेट ने न सिर्फ ओबामा की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए हैं बल्कि विश्व निरस्त्रीकरण और विश्व शांति को नया आयाम प्रदान कर दिया है| यह वह संधि है जिस पर अप्रैल माह में अमेरिका और रूस ने मिलकर प्राहा में दस्तखत किए थे| स्टार्ट याने स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी ! अब दोनों राष्ट्रों ने घोषणा की है कि … [Read more...] about विश्व शांति के नए युग का ‘स्टार्ट’
Archives for December 2010
विश्व शांति के नए युग का ‘स्टार्ट’
‘राष्ट्रीय सहारा, 29 दिसंबर 2010 | ‘स्टार्ट’ नामक संधि पर मुहर लगाकर अमेरिकी सीनेट ने न सिर्फ ओबामा की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए हैं बल्कि विश्व निरस्त्रीकरण और विश्व शांति को नया आयाम प्रदान कर दिया है| यह वह संधि है जिस पर अप्रैल माह में अमेरिका और रूस ने मिलकर प्राहा में दस्तखत किए थे| स्टार्ट याने स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी ! अब दोनों राष्ट्रों ने घोषणा की है कि … [Read more...] about विश्व शांति के नए युग का ‘स्टार्ट’
बिनायक पर हंगामा क्यों ?
Dainik Bhaskar, 29 Dec 2010 : डॉ बिनायक सेन को लेकर देश का अंग्रेजी मीडिया और हमारे कुछ वामपंथी बुद्धिजीवी जिस तरह आपा खो रहे हैं, उसे देखकर देश के लोग दंग हैं। इतना हंगामा तो प्रज्ञा ठाकुर वगैरह को लेकर हमारे तथाकथित राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी तत्वों ने भी नहीं मचाया। वामपंथियों ने आरएसएस को भी मात कर दिया। आरएसएस ने जरा भी देर नहीं लगाई और ‘भगवा आतंकवाद’ की भत्र्सना कर दी। … [Read more...] about बिनायक पर हंगामा क्यों ?
सुरक्षा परिषद खुद आएगी भारत के पास
नवभारत टाइम्स, 27 दिसंबर 2010 : भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बने, यह मुद्दा आजकल हमारी विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। किसी भी देश का नेता भारत आए और भारत का कोई भी नेता विदेश जाए तो हमारी कोशिश यही होती है कि संयुक्त वक्तव्य या संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में वह देश हमें आश्वस्त करे कि वह भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा। फिलहाल चीन के अलावा दुनिया के सभी … [Read more...] about सुरक्षा परिषद खुद आएगी भारत के पास
सुरक्षा परिषद खुद आएगी भारत के पास
Navbharta Times, 27 Dec 2010 : भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बने, यह मुद्दा आजकल हमारी विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। किसी भी देश का नेता भारत आए और भारत का कोई भी नेता विदेश जाए तो हमारी कोशिश यही होती है कि संयुक्त वक्तव्य या संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में वह देश हमें आश्वस्त करे कि वह भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा। फिलहाल चीन के अलावा दुनिया के सभी … [Read more...] about सुरक्षा परिषद खुद आएगी भारत के पास
भारत-रूस रिश्ते फिर पटरी पर
Dainik Hindustan, 23 December 2010 : इस साल पांचों महाशक्तियों के नेता भारत आए, लेकिन रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने सबको पीछे छोड़ दिया। वे सबसे बाद में आए, लेकिन वे सबसे आगे रहे। उन्होंने भारत की हर राजनीतिक शिकन की चिंता की और उसको दूर करने में सहयोग का वादा किया। जो बातें केमरॉन, सरकोजी, ओबामा और वेन जियाबाओ नहीं कह सके या कहते वक्त हकलाते रहे, वे उन्होंने दो-टूक … [Read more...] about भारत-रूस रिश्ते फिर पटरी पर
उजली चादर का मौन
संसद का यह सत्र जितना निष्फल रहा, पहले कोई सत्र नहीं रहा। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को लेकर पहले भी हंगामे हुए, लेकिन सरकारों ने आखिरकार विपक्ष की बात मान ली। इस बार सरकार अड़ी रही, क्योंकि उसे पता है कि संसद में चाहे उसके गठबंधन का बहुमत है, लेकिन जेपीसी में वह अल्पमत में ही रहती। उसे अपने गठबंधन के सभी दलों पर विश्वास नहीं है। जेपीसी शायद ढाई-तीन साल तक चलती और ऐन चुनाव … [Read more...] about उजली चादर का मौन
रहस्यों का लोकतंत्र
Dainik Bhaskar (Bhopal), 01 Dec 2010 : लोकतंत्र में गोपनीयता का क्या काम है ? जब सारा शासन जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता का है तो उसमें कोई भी बात छिपाने लायक क्यों होनी चाहिए ? यह तो आदर्श स्थिति है लेकिन व्यवहार में तो कुछ और ही होता है| जितनी बातें बताई जाती हैं, उनसे ज्यादा छिपाई जाती हैं| अमेरिका दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र् माना जाता है लेकिन देखिए, ‘विकीलीक्स’ ने … [Read more...] about रहस्यों का लोकतंत्र
क्यों न बने यह यात्रा असाधारण
Dainik Hindustan, 14 Dec 2010 : चीनी प्रधानमंत्री विन च्या पाओ (सही उच्चारण) की यह भारत-यात्रा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह असाधारण नहीं लग रही है, क्योंकि इस माह के अंत तक दुनिया की सभी महाशक्तियों के नेता भारत आ चुके होंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरॉन, अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा और फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोजी पिछले कुछ हफ्तों में भारत आ ही चुके हैं और अगले हफ्ते रूस के … [Read more...] about क्यों न बने यह यात्रा असाधारण
रहस्यों का लोकतंत्र
Dainik Bhaskar (Bhopal), 01 Dec 2010 : लोकतंत्र में गोपनीयता का क्या काम है ? जब सारा शासन जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता का है तो उसमें कोई भी बात छिपाने लायक क्यों होनी चाहिए ? यह तो आदर्श स्थिति है लेकिन व्यवहार में तो कुछ और ही होता है| जितनी बातें बताई जाती हैं, उनसे ज्यादा छिपाई जाती हैं| अमेरिका दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र् माना जाता है लेकिन देखिए, ‘विकीलीक्स’ ने … [Read more...] about रहस्यों का लोकतंत्र