नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में पांच-छह प्रांतीय दलों ने भाग नहीं लिया। भाजपा इस पर खुश हो रही है कि कांग्रेस की मुहीम नाकाम हो रही है। यह भाजपा की गलतफहमी है। जिन दलों ने इस बैठक का बहिष्कार किया है, उनमें से कुछ दल ऐसे हैं, जो नागरिकता रजिस्टर और शरणार्थी कानून दोनों का विरोध कांग्रेस से भी ज्यादा जोरों से कर रहे हैं। जैसे … [Read more...] about नागरिकताः फर्जी प्रलय?
Archives for January 2020
केरल से सीखे सारा देश
केरल में कल-परसों ऐसा काम हुआ है, जो पूरे देश में बड़े पैमाने पर होना चाहिए। कोची के समुद्रतट के किनारे चार गगनचुंबी भवनों को कुछ ही सेकेंड में जमीदोज़ कर दिया गया। ये भवन 17 से 19 मंजिले थे। इनमें तीन सौ से ज्यादा फ्लैट बने हुए थे। इन फ्लैटों में 300 से ज्यादा परिवार कई वर्षों से रह रहे थे। इन फ्लैटों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत गिराया गया। ये फ्लैट निजी बिल्डरों ने … [Read more...] about केरल से सीखे सारा देश
भाजपा का भस्मासुरी कानून
नागरिकता संशोधन कानून लगभग वैसी ही भूल है, जैसी मोदी सरकार ने नोटबंदी की भयंकर भूल की थी। इन दोनों कामों के करने के पीछे भावना तो बहुत अच्छी रही लेकिन इनके दुष्परिणाम भयावह हुए हैं। नोटबंदी से सारा काला धन सफेद हो गया। काले धनवालों ने उल्टे उस्तरे से सरकार की मुंडाई कर दी। सैकड़ों लोगों ने अपनी जान से हाथ धोए और 30 हजार करोड़ रु. नए नोट छापने में बर्बाद हुए। लेकिन नोटबंदी ने … [Read more...] about भाजपा का भस्मासुरी कानून
कश्मीर: अदालत की सफ़ाई
कश्मीर के सवाल पर सर्वोच्च न्यायालय का जो फैसला आया है, उस पर विपक्षी दल क्यों बहुत खुश हो रहे हैं, यह समझ में नहीं आता। क्या अदालत ने सब गिरफ्तार नेताओं की रिहाई के आदेश दे दिए हैं ? क्या उसने कश्मीर के हर जिले में हर नागरिक को इंटरनेट सेवा की वापसी करवा दी है ? क्या उसने हजारों लोगों के प्रदर्शनों, जुलूसों और सभाओं पर जो रोक लगी हुई है, उसे हटा लिया है ?क्या अदालत ने केंद्र … [Read more...] about कश्मीर: अदालत की सफ़ाई
विश्व-हिंदीः नौकरानी है, अब भी
आज विश्व हिंदी दिवस है लेकिन क्या हिंदी को हम विश्व भाषा कह सकते हैं? हां, यदि खुद को खुश करना चाहें या अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना चाहें तो जरुर कह सकते हैं, क्योंकि यह दुनिया के लगभग पौने दो सौ विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है (इनमें भारत के भी हैं), दुनिया के लगभग आधा दर्जन प्रवासी भारतीयों के देशों में किसी न किसी रुप में यह बोली और समझी जाती है। कई देशों में विश्व हिंदी … [Read more...] about विश्व-हिंदीः नौकरानी है, अब भी
अब भारत की भूमिका ज्यादा जरुरी
ईरानी सेनापति कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध छिड़ जाने की जो आशंका थी, वह अभी तक आशंका ही है, यह संतोष का विषय है। ईरान ने इराक के अमेरिकी सैनिक अड्डों पर जो हवाई हमला किया था, उसमें उसने 80 अमेरिकी सैनिकों को मार डालने का दावा किया था और इस दावे को सुलेमानी की हत्या का पूरा बदला या जवाब कहा था। यह संकेत भी ईरानी नेताओं ने दिया था कि उन्होंने काम … [Read more...] about अब भारत की भूमिका ज्यादा जरुरी
ईरान व कश्मीर: नई पहल जरुरी
ज्यों ही ईरानी सेनापति कासिम सुलेमानी की हत्या हुई, मैंने लिखा और टीवी चैनलों पर कहा था कि भारत को अमेरिका और ईरान के नेताओं से तुरंत बात करनी चाहिए। मुझे खुशी है कि दूसरे ही दिन डा. जयशंकर (विदेश मंत्री) ने दोनों विदेश मंत्रियों और अब नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात की। हमारी सरकार के बयान में यह बात छिपाई गई है कि इन दोनों के बीच ईरान पर कोई बात हुई है … [Read more...] about ईरान व कश्मीर: नई पहल जरुरी
भाजपा सरकार अब क्या करे?
युवा आंदोलनों और प्रदर्शनों की आग अब सिर्फ भारत के कोने-कोने में ही नहीं, विदेशों में भी फैल रही है। पिछले पांच साल में नरेंद्र मोदी ने विदेशों में भारत की छवि को जो चमकाया था, वह धूमिल पड़ रही है। दबी जुबान से ही हमारे मित्र राष्ट्र भी हमारी आलोचना कर रहे हैं। इसका कारण क्या है ? यदि गृहमंत्री अमित शाह की माने तो इन सारे आंदोलनों और तोड़-फोड़ के पीछे कांग्रेस और कम्युनिस्ट … [Read more...] about भाजपा सरकार अब क्या करे?
जनेवि: पार्टियों का मोहरा न बनें
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच कल जो मार-पीट हुई, उसकी निंदा कौन नहीं कर रहा है? क्या कांग्रेस, क्या कम्युनिस्ट, क्या आप पार्टी और क्या भाजपा- सभी पार्टियां उसकी निंदा कर रही हैं। कल रात टीवी चैनलों पर जब मैंने वह शर्मनाक दृश्य देखा तो कुछ पार्टियों के शीर्ष नेताओं को मैंने फोन किए। उनका जोर इस बात पर ज्यादा था कि ‘हमारे छात्रों’ पर ‘उनके छात्रों’ ने हमला किया। … [Read more...] about जनेवि: पार्टियों का मोहरा न बनें
ये अस्पताल हैं या कब्रिस्तान?
भारत में सरकारी अस्पतालों की कितनी दुर्दशा है, इस पर मैं पहले भी लिख चुका हूं। लेकिन इधर राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में सौ से भी ज्यादा बच्चों की मौत ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। अब धीरे-धीरे मालूम पड़ रहा है कि अन्य कई शहरों में सैकड़ों नवजात शिशु अस्पतालों की लापरवाही के कारण मौत के घाट उतर जाते हैं। भारत में पांच साल की उम्र तक के 25 लाख बच्चों की मौत हर साल हो … [Read more...] about ये अस्पताल हैं या कब्रिस्तान?