दुनिया के कई देशों में राजनीति शास्त्र पढ़ने और पढ़ाते वक्त हम कहते रहे हैं कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं— विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका याने संसद, सरकार और अदालत। मैंने इसमें चौथा स्तंभ भी जोड़ दिया है। वह है— खबरपालिका याने अखबार, टीवी और इंटरनेट। इन सारे स्तंभों में कुछ न कुछ सुधार हमेशा होता रहता है या इन पर लगाम भी लगाई जाती है लेकिन न्यायपालिका ऐसा खंभा है, हमारे … [Read more...] about अदालतों के गले में अंग्रेजी का फंदा
Uncategorized
गिरजाघर में ब्रह्मचर्य का ढोंग
ईसाइयों के केथोलिक संप्रदाय में ब्रह्मचर्य का महत्व भारत के आर्यधर्मों से भी ज्यादा है। स्वयं ईसा मसीह अविवाहित थे। केथोलिक पादरी अपने अविवाहित रहने और ब्रह्मचर्य-पालन पर गर्व करते हैं लेकिन ईसाइयत के इतिहास में पादरियों ने जितना भ्रष्टाचारण किया है, किसी और धर्म के इतिहास में देखने को नहीं मिलता। पाखंड, अंधविश्वास और दुश्चारित्र्य के कारण ही सन 500 से लेकर 1500 तक के एक हजार … [Read more...] about गिरजाघर में ब्रह्मचर्य का ढोंग
गठबंधन या गड़बड़-बंधन ?
कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने प्रमुख विरोधी दलों की बैठक बुलाई ताकि अगले आम चुनाव के पहले एक बड़ा संयुक्त मोर्चा खड़ा किया जा सके। ऐसी कोशिशें पिछले तीन साल में कई बार हो चुकी हैं लेकिन वे इतनी बांझ साबित हुईं कि लोगों को उनकी याद तक नहीं है। लेकिन सोनिया की पहल पर 17 पार्टियों का मिलना अपने आप में महत्वपूर्ण है। इस जमावड़े में मायावती, ह.द. देवेगौड़ा और मुलायमसिंह जैसे वरिष्ठ … [Read more...] about गठबंधन या गड़बड़-बंधन ?
भला, दो करोड़ क्या होते हैं?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आप पार्टी, दोनों ही रोज़-रोज़ कीचड़ में धंसते चले जा रहे हैं। अब उनके एक मंत्री रहे साथी, कपिल मिश्रा ने ही उन पर दो करोड़ रु. की रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया है। यह आरोप अपने आप में विचित्र है। एक अन्य मंत्री, सत्येंद्र जैन, अपने मुख्यमंत्री को रिश्वत क्यों देगा? जैन पर आरोप लगाया गया है कि उसने मुख्यमंत्री के रिश्तेदार का 50 करोड़ का … [Read more...] about भला, दो करोड़ क्या होते हैं?
ढाई इंच का मुंह और 56 इंच का सीना
कश्मीर के सवाल पर सर्वोच्च न्यायालय ने वही बात कही है, जो उसने राम मंदिर-विवाद के बारे में कही है। मामला बातचीत से हल करें। यों तो अदालतें बनाई जाती हैं, दो-टूक फैसले देने के लिए लेकिन कई मामले इतने नाजुक होते हैं कि सबसे उंची अदालत के फैसले को भी लागू करना असंभव हो जाता है। ऐसे में अदालतें सत्परामर्श की शैली अपनाती हैं लेकिन इसका अर्थ यह भी हुआ कि सरकारें जब अपने कर्तव्य में … [Read more...] about ढाई इंच का मुंह और 56 इंच का सीना
हमारे काले धनवाले ‘किसान’!
नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय ने कबूतरों के दड़बे में बिल्ली छोड़ दी है। कई किसान नेता और ड्राइंग रुम नेता बौखला गए हैं। वे कह रहे हैं कि यदि किसानों पर आयकर लगाया गया तो देश में बगावत हो जाएगी। बगावत हो या न हो, नेताओं के वोट की मंडियां जरुर लुट सकती हैं। हमारे वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने मुंह पर संविधान का दुशाला डाल लिया है और कह दिया है कि खेती तो राज्य का विषय है। … [Read more...] about हमारे काले धनवाले ‘किसान’!
प्रियंका के प्रति मेरी सहानुभूति
नया इंडिया, 5 मई 2014: प्रियंका वाड्रा ने शिकायत की है कि उनके भाई और मां के चुनाव क्षेत्र में कई लोग ऐसी पुस्तिकाएं बंटवा रहे हैं, जो घोर आपत्तिजनक हैं। ये पुस्तिकाएं वे रात के अंधरे में लोगों के घरों में डलवा रहे हैं। प्रियंका का कहना है कि इन पुस्तकों में गंदी और झूठी बातें लिखी गई हैं। उनकी मां-सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी का चरित्र हनन किया गया है। पुस्तकें बांटने वाले … [Read more...] about प्रियंका के प्रति मेरी सहानुभूति
आम आदमी का अपमान
17 मार्च 2014 : खबर है कि ‘आम आदमी पार्टी’ अब पैसे उगाहने के लिए ऐसी हरकतों पर उतर आई है, जिनका आम आदमी से कोई लेना—देना नहीं है। अब वह बड़े—बड़े शहरों में ऐसे पैसा—भोजों का आयोजन करेगी, जिसमें उसके नेताओं के साथ भोजन करनेवाले मालदार लोग अपने खाने के बादले 10—10 या 20—20 हजार रु. देंगे। इसे मैं प्रीति—भोज नहीं, पैसा—भोज कहता हूं। आम आदमी का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है? क्या … [Read more...] about आम आदमी का अपमान
नवाज के खुले-बंधे हाथ
राष्ट्रीय सहारा, 18 मई 2013 : पाकिस्तान में चुनाव पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें लगी थीं। इसलिए कि इसके माध्यम से एक आधुनिक लोकतांत्रिक समाज-राज्य के रूप में माने जाने की पाकिस्तान की अधूरी महत्त्वाकांक्षा सतत होने की दिशा में अभिव्यक्त हो रही थी। लोकतांत्रिक पर्व के पहले चरण चुनाव में पाकिस्तान पास हो गया है। दूसरा अनिवार्य चरण सत्ता हस्तांतरण होना बाकी है। खंडित और … [Read more...] about नवाज के खुले-बंधे हाथ
मुशर्रफ सिंहासन खाली करो कि नवाज़ आते है
जनसत्ता, 7 सितंबर 2007 : रावलपिंडी में हुए दो बम-विस्फोटों ने मुशर्रफ-बेनज़ीर सौदेबाजी के कोढ़ में नई खाज पैदा कर दी है| जिस आधार पर अमेरिका इस समझौते को बढ़ावा दे रहा है, वह ढहता हुआ नज़र आ रहा है| अमेरिका का लक्ष्य बहुत सीमित है| तानाशाह से भी हाथ मिलाना पड़े तो उसे कोई एतराज़ नहीं है| आतंकवादियों ने पाकिस्तान के फौजी मुख्यालय के निकट बम-विस्फोट करके यह स्प”ट संदेश दे दिया है … [Read more...] about मुशर्रफ सिंहासन खाली करो कि नवाज़ आते है