राष्ट्रीय सहारा, 30 अक्टूबर 2009 : भारत की विदेश नीति तो बनाई जवाहरलाल नेहरू ने और चलाई कई प्रधानमंत्रियों ने लेकिन जैसे झंडे इंदिरा गांधी ने गाड़े, कोई और नहीं गाड़ सका| ऐसे चमत्कारी काम कभी-कभी सुसंयोग और अनुकूल परिस्थितियों के कारण भी हो जाते हैं लेकिन जिन कामों का यहां जिक्र किया जा रहा है, वे हो ही नहीं सकते थे, अगर इंदिरा गांधी नहीं होतीं| इंदिरा गांधी नहीं होतीं तो क्या … [Read more...] about इंदिरा ने गाड़े नए झंडे
Archives for October 2009
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
अल्लामा इक़बाल की यह पंक्ति भारत का ताबीज है। सारा रहस्य इसी में छिपा है। यह अपने आप में एक रहस्य है, पहेली है, यक्ष-प्रश्न है। सिर्फ भारत ही नहीं है, जो नहीं मिटा है। नहीं मिटनेवाले याने क़ायम रहनेवाले और देश भी हैं। चीन है, यूनान है, रोम है, बेबीलोन है, ईरान है। ये देश क़ायम तो हैं लेकिन क्या भारत की तरह क़ायम हैं ? शायद नहीं है। इसीलिए इक़बाल ने कहा है कि अगर वे क़ायम हैं तो भी … [Read more...] about कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
राहुल गांधी जैसा कोई और नहीं
दैनिक भास्कर, 24 अक्टूबर 2009 : राहुल गांधी वास्तव में गांधी नहीं हैं| वह हैं, राहुल-सोनिया या राहुल-राजीव या राहुल-इंदिरा या राहुल-नेहरू या राहुल-फिरोज गांधी ! गांधी से उनकी दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी नहीं है| राहुल के दादा, जिन्हें हम गलती से फिरोज गांधी कहते हैं, वे अपना उपनाम ‘घंदी’ लिखा करते थे, जैसे कि पारसी लोग अक्सर लिखा करते हैं लेकिन अपने आचरण से राहुल गांधीजी के … [Read more...] about राहुल गांधी जैसा कोई और नहीं
नोबेल : ओबामा का नया सिरदर्द
राष्ट्रीय सहारा, 20 अक्टूबर 2009 : ओबामा चाहते तो नोबेल पुरस्कार को अस्वीकार कर सकते थे, जैसे कि प्रसिद्घ फ्रांसीसी साहित्यकार ज्यां पाल सार्भ या वियतनामी बौद्घ भिक्षु थिच कुआंग दो ने कभी किया था| यदि वे ऐसा कर देते तो शायद उनकी हैसियत अमेरिका के राष्ट्रपति से भी ज्यादा हो जाती| अमेरिका के राष्ट्रपति-पद में चार चांद लग जाते| पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों-रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन और … [Read more...] about नोबेल : ओबामा का नया सिरदर्द
भारत को बचाएं काबुल में
दैनिक भास्कर, 14 अक्टूबर 2009 : क्या यह आखिरी हमला है ? सवा साल में यह दूसरा हमला है| यदि हमारे काबुल के दूतावास पर किलेनुमा दीवारें खड़ी नहीं की जातीं तो इस बार पूरा दूतावास ही उड़ जाता| दूतावास तो हमने बचा लिया लेकिन क्या अफगानिस्तान में हम भारत को बचा पाएंगें ? भारत सिर्फ उस दूतावास में ही नहीं है, जो काबुल के शहरे-नव में है| इस समय भारत की उपस्थिति लगभग पूरे अफगानिस्तान में … [Read more...] about भारत को बचाएं काबुल में
बड़ी दुविधा में फिर फंसा पाकिस्तान
राष्ट्रीय सहारा, 13 अक्टूबर 2009 : पाकिस्तान जैसी संकरी गली में अब फंसा है, पिछले 62 साल में पहले कभी नहीं फंसा| उसके मुंह में ऐसी मीठी गोली आ गई है, जिसे न वह उगल पा रहा है और न ही निगल पा रहा है| यह गोली है, डेढ़ बिलियन डॉलर की| लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रू. अमेरिका पाकिस्तान को हर साल देने को तैयार है लेकिन उसने कुछ शर्तें भी लगा दी हैं| पाकिस्तान की ज़रदारी सरकार को ये … [Read more...] about बड़ी दुविधा में फिर फंसा पाकिस्तान
राहुल गांधी जैसा कोई और नहीं
दैनिक भास्कर, 24 अक्टूबर 2009 : राहुल गांधी वास्तव में गांधी नहीं हैं| वह हैं, राहुल-सोनिया या राहुल-राजीव या राहुल-इंदिरा या राहुल-नेहरू या राहुल-फिरोज गांधी ! गांधी से उनकी दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी नहीं है| राहुल के दादा, जिन्हें हम गलती से फिरोज गांधी कहते हैं, वे अपना उपनाम ‘घंदी’ लिखा करते थे, जैसे कि पारसी लोग अक्सर लिखा करते हैं लेकिन अपने आचरण से राहुल गांधीजी के … [Read more...] about राहुल गांधी जैसा कोई और नहीं
चीन को दें करारा जवाब
दैनिक भास्कर, 8 अक्टूबर 2009 : आखिर चीन ऐसा क्यों कर रहा है ? क्या कारण है कि वह हमारे कश्मीरी और अरूणाचली नागरिकों को वीज़ा वैसे नहीं दे रहा है, जैसे अन्य भारतीय नागरिकों को देता है? इन नागरिकों के पासपोर्टों पर वह वीज़ा नहीं छापता| उसका दूतावास इन नागरिकों को वीज़ा का एक अलग कागज पकड़ा देता है| वह कागज दिखाकर वे चीन में प्रवेश कर सकते हैं याने वह उन्हें वीज़ा तो दे रहा है … [Read more...] about चीन को दें करारा जवाब