Navbharat Times, 30 November : लिस्बन में हुए नाटो-अफगान समझौते ने स्पष्ट कर दिया है कि जुलाई 2011 में विदेशी फौजें अफगानिस्तान से विदा न हीं होंगी। हालांकि समझौता यह भी कहता है कि नाटो फौजें वहां अनंत काल तक टिकी नहीं रहेंगी, लेकिन वह यह नहीं बताता कि वे कब लौटेंगी। इस समझौते में यह इशारा है कि 2014 तक अफगान फौज आत्मनिर्भर हो जाएगी। नाटो के महासचिव एंडर्स फोघ … [Read more...] about भारत के जरिए सुलझ सकती है अफगान गुत्थी
Archives for November 2010
भारत के जरिए सुलझ सकती है अफगान गुत्थी
Navbharat Times, 30 November : लिस्बन में हुए नाटो-अफगान समझौते ने स्पष्ट कर दिया है कि जुलाई 2011 में विदेशी फौजें अफगानिस्तान से विदा न हीं होंगी। हालांकि समझौता यह भी कहता है कि नाटो फौजें वहां अनंत काल तक टिकी नहीं रहेंगी, लेकिन वह यह नहीं बताता कि वे कब लौटेंगी। इस समझौते में यह इशारा है कि 2014 तक अफगान फौज आत्मनिर्भर हो जाएगी। नाटो के महासचिव एंडर्स फोघ … [Read more...] about भारत के जरिए सुलझ सकती है अफगान गुत्थी
अंधेर नगरी, चौपट राजा !
दैनिक भास्कर, नई दिल्ली, 27 नवंबर 2010 | भारत के इतिहास की यह कितनी बड़ी विडंबना होगी| हमारे समाज के बारे में लिखा जाएगा कि भारत की सबसे भ्रष्ट सरकार उस समय हुई, जब डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे| सबसे स्वच्छ प्रधानमंत्री की सबसे भ्रष्ट सरकार ! सचमुच भ्रष्टाचार के इतने बड़े और इतने सारे मामले पिछली किसी भी सरकार के दौरान सामने नहीं आए| ये तो हैं, जो सामने आए हैं| जो … [Read more...] about अंधेर नगरी, चौपट राजा !
रूस-अमेरिका सहयोग का नया युग
Dainik Hindustan, 27 Nov 2010 : लिस्बन में हुआ नाटो, रूस और अफगानिस्तान का शिखर सम्मेलन विश्व राजनीति पर अपना गहरा प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहेगा। यदि इस सम्मेलन में रूस और अफगानिस्तान भाग नहीं लेते तो भी यह महत्वपूर्ण होता, क्योंकि इसमें यूरोप के 27 देशों के अलावा अमेरिका की भी भागीदारी होती, लेकिन इन दो गैर-नाटो देशों ने भाग लेकर इस सम्मेलन को एक ऐतिहासिक घटना बना … [Read more...] about रूस-अमेरिका सहयोग का नया युग
रूस-अमेरिका सहयोग का नया युग
दैनिक हिंदुस्तान, 27 नवंबर 2010: लिस्बन में हुआ नाटो, रूस और अफगानिस्तान का शिखर सम्मेलन विश्व राजनीति पर अपना गहरा प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहेगा। यदि इस सम्मेलन में रूस और अफगानिस्तान भाग नहीं लेते तो भी यह महत्वपूर्ण होता, क्योंकि इसमें यूरोप के 27 देशों के अलावा अमेरिका की भी भागीदारी होती, लेकिन इन दो गैर-नाटो देशों ने भाग लेकर इस सम्मेलन को एक ऐतिहासिक घटना बना … [Read more...] about रूस-अमेरिका सहयोग का नया युग
सू ची की रिहाई के फलितार्थ
जनसत्ता, 20 नवंबर 2010 | श्रीमती आंग सान सू ची की रिहाई से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि सारी दुनिया उन्हें मानव-स्वतंत्र्ता की मशाल मानती हैं| सूची की रिहाई ने म्यांमार-जैसे अलग-थलग पड़े राष्ट्र को दुबारा विश्व-राजनीति के मानचित्र् पर ला खड़ा किया है| सू ची की तुलना नेल्सन मंडेला और बेनज़ीर भुट्रटो से भी की जाती है| कुछ हद तक यह ठीक है लेकिन नेल्सन मंडेला की … [Read more...] about सू ची की रिहाई के फलितार्थ
सू ची की रिहाई के फलितार्थ
जनसत्ता, 20 नवंबर 2010 | श्रीमती आंग सान सू ची की रिहाई से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि सारी दुनिया उन्हें मानव-स्वतंत्र्ता की मशाल मानती हैं| सूची की रिहाई ने म्यांमार-जैसे अलग-थलग पड़े राष्ट्र को दुबारा विश्व-राजनीति के मानचित्र् पर ला खड़ा किया है| सू ची की तुलना नेल्सन मंडेला और बेनज़ीर भुट्रटो से भी की जाती है| कुछ हद तक यह ठीक है लेकिन नेल्सन मंडेला की … [Read more...] about सू ची की रिहाई के फलितार्थ
अमेरिका को अधिक लाभ
Dainik Bhaskar, 17 Nov 2010 : ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा आशा से अधिक सफल रही, क्योंकि उनकी यात्रा से बहुत आशाएं किसी ने नहीं लगा रखी थीं। भारत सरकार को भी पता नहीं था कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर वे क्या कहेंगे या भारत को वे विश्व परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता देंगे या नहीं। यह भी ठीक से पता नहीं था कि आतंकवाद पर … [Read more...] about अमेरिका को अधिक लाभ
भारत को छठी महाशक्ति मानने से परहेज क्यों?
Rashtriya Sahara, 3 Nov 2010 : ओबामा की भारत-यात्रा के दौरान क्या भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने का आश्वासन मिलेगा? यदि मिलेगा तो भी काफी घुमा-फिराकर। फ्रांस और ब्रिटेन की तरह अमेरिका साफ-साफ बोलने से कतराता है। क्यों? इसलिए कि भारत ने पिछले छह दशकों में संयुक्त राष्ट्र महासभा में और सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर जिनती बार भी मतदान किया उसका 90 प्रतिशत … [Read more...] about भारत को छठी महाशक्ति मानने से परहेज क्यों?