दैनिक भास्कर, 23 मार्च 2011 : कैसी विडंबना है कि जूलियान असांज जैसा आदमी हमारे प्रधानमंत्री के कथन को सफेद झूठ बता रहा है और यह भी कह रहा है कि वे जानबूझकर लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं| असांज को अदालत में घसीटना तो दूर रहा, भारत सरकार क्या उसके तीखे आरोपों का दो-टूक खंडन करने की स्थिति में भी है ? जब से ‘विकीलीक्स’ के जरिए सांसदों की खरीदी का मामला उठा है, सरकार के पसीने … [Read more...] about ‘मुझे कुछ भी पता नहीं’
Archives for March 2011
‘मुझे कुछ भी पता नहीं’
दैनिक भास्कर, 23 मार्च 2011 : कैसी विडंबना है कि जूलियान असांज जैसा आदमी हमारे प्रधानमंत्री के कथन को सफेद झूठ बता रहा है और यह भी कह रहा है कि वे जानबूझकर लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं| असांज को अदालत में घसीटना तो दूर रहा, भारत सरकार क्या उसके तीखे आरोपों का दो-टूक खंडन करने की स्थिति में भी है ? जब से ‘विकीलीक्स’ के जरिए सांसदों की खरीदी का मामला उठा है, सरकार के पसीने … [Read more...] about ‘मुझे कुछ भी पता नहीं’
ये खड़ाऊ किसकी है ?
Jansatta, 18 March 2011 : किसी भी सरकार के लिए इससे ज्यादा बुरा वक्त क्या हो सकता है, जो मनमोहनसिंह-सरकार को देखना पड़ रहा है| जितने घोटाले इस सरकार के राज में एक साथ हुए हैं, अभी तक किसी भी सरकार के राज में नहीं हुए| इस सरकार ने जनता के पैसे की जैसी लूट मचाई है, अंग्रेज ने भी नहीं बचाई| सांसद राशि को 25-30 करोड़ तक बढ़ाकर इस सरकार ने जनता पर 23 हजार करोड़ रू. का नया बोझ डाल … [Read more...] about ये खड़ाऊ किसकी है ?
ये खड़ाऊ किसकी है ?
Jansatta, 18 March 2011 : किसी भी सरकार के लिए इससे ज्यादा बुरा वक्त क्या हो सकता है, जो मनमोहनसिंह-सरकार को देखना पड़ रहा है| जितने घोटाले इस सरकार के राज में एक साथ हुए हैं, अभी तक किसी भी सरकार के राज में नहीं हुए| इस सरकार ने जनता के पैसे की जैसी लूट मचाई है, अंग्रेज ने भी नहीं बचाई| सांसद राशि को 25-30 करोड़ तक बढ़ाकर इस सरकार ने जनता पर 23 हजार करोड़ रू. का नया बोझ डाल … [Read more...] about ये खड़ाऊ किसकी है ?
भ्रष्टाचार से निपटने का रास्ता
Dainik Hindustan, 16 March 2011 : भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार फिर एक बार बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन हैरत की बात यह है कि किसी के पास उसका कोई ठोस इलाज नहीं दिख रहा। प्रधानमंत्री माफी मांग लेते हैं और विपक्षी दल की नेता उन्हें तुरंत माफ कर देती हैं। विपक्ष संयुक्त संसदीय कमेटी बिठाने की मांग करता है और कुछ नखरों तथा संसद का एक पूरा अधिवेशन ठप्प करने के बाद यह काम भी हो जाता … [Read more...] about भ्रष्टाचार से निपटने का रास्ता
देश को उसी घड़ी का इंतजार
Dainik Bhaskar(BHOPAL), 09 March 2011 : आज सारा देश सदमे में है। वर्तमान सरकार की प्रतिष्ठा जितनी तेजी से पेंदे में बैठती जा रही है, आज तक किसी सरकार की नहीं बैठी। चीनी हमले और बोफोर्स के वक्त भी देश को धक्का लगा था, लेकिन दोनों प्रधानमंत्रियों की बाती बुझते-बुझते दो-ढाई साल लग गए थे। आज तो ऐसा लग रहा है, जैसे कोई जगमगाता बल्ब अचानक फ्यूज हो गया है। लोग पूछ रहे हैं कि इतने … [Read more...] about देश को उसी घड़ी का इंतजार
लीबिया न बने दूसरा वियतनाम
दैनिक हिन्दुस्तान, 5 मार्च 2011 : ट्यूनीसिया और मिस्र के मुकाबले लीब्या की बगावत ज़रा लंबी खिंचती चली जा रही है| अबीदीन बिन अली और हुस्नी मुबारक की तुलना में मुअम्मर कज्ज़ाफी ज्यादा बड़े तानाशाह सिद्घ हो रहे हैं| उन्होंने अपने 41 साल के राज में अपनी जड़ें इतनी गहरी कर ली हैं कि उन्हें उखाड़ना मुश्किल हो रहा है| अपने आप को ‘बादशाहों’ का ‘बादशाह’ कहनेवाले कज्ज़ाफी ने अमेरिका को … [Read more...] about लीबिया न बने दूसरा वियतनाम
लीबिया न बने दूसरा वियतनाम
दैनिक हिन्दुस्तान, 5 मार्च 2011 : ट्यूनीसिया और मिस्र के मुकाबले लीब्या की बगावत ज़रा लंबी खिंचती चली जा रही है| अबीदीन बिन अली और हुस्नी मुबारक की तुलना में मुअम्मर कज्ज़ाफी ज्यादा बड़े तानाशाह सिद्घ हो रहे हैं| उन्होंने अपने 41 साल के राज में अपनी जड़ें इतनी गहरी कर ली हैं कि उन्हें उखाड़ना मुश्किल हो रहा है| अपने आप को ‘बादशाहों’ का ‘बादशाह’ कहनेवाले कज्ज़ाफी ने अमेरिका को … [Read more...] about लीबिया न बने दूसरा वियतनाम
भारत की ढुलमुल नीति
दैनिक भास्कर, 03 मार्च 2011 : संयुक्त राष्ट्र ने लीब्या के विरूद्घ प्रतिबंधों की जो घोषणा की है, वह सर्वसम्मति से की है| 15 में से किसी भी सदस्य ने न तो प्रतिबंधों का विरोध किया और न ही कोई तटस्थ रहा| पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव का समर्थन भारत ने भी किया| इस बार सुरक्षा परिषद के सदस्य बनने के बाद भारत का यह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कदम है| कुछ लोगों का मानना था कि … [Read more...] about भारत की ढुलमुल नीति