कल दिल्ली समेत देश के कई शहरों में अकस्मात ही कई प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में न लोगों को ढो कर लाया गया, न उन्हें किसी नेता या संगठन ने बुलाया और न ही उन्होंने कोई जोशीले नारे लगाए। ये स्वतः स्फूर्त प्रदर्शन कुछ उसी तरह के थे, जैसे कि निर्भया के बलात्कार के बाद हुए थे। इन प्रदर्शनों की उपेक्षा कैसे की जा सकती है ? ये हुए हैं, 15 वर्षीय नौजवान जुनैद खान की हत्या के विरोध में … [Read more...] about जुनैद की हत्या और सच्चा हिंदुत्व
Archives for June 2017
मोदी-ट्रंप: जबानी जमा-खर्च ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह पहली मुलाकात इतनी सरस होगी, इसकी संभावना पर सभी को शक था लेकिन ट्रंप ने जैसा भावभीना स्वागत किया, उसने सभी संदेहों को दूर कर दिया है। दोनों नेताओं के बीच जैसा वार्तालाप हुआ, दोनों ने जैसा संयुक्त वक्तव्य जारी किया और जैसी संयुक्त पत्रकार-वार्ता की, उससे सभी विश्लेषकों को यह मानने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि … [Read more...] about मोदी-ट्रंप: जबानी जमा-खर्च ?
पाक में से रास्ता दिलवाए चीन
दक्षिण एशिया में जो भूमिका भारत को अदा करनी चाहिए, वह अब चीन करने लगा है। पाकिस्तान तो पिछले कई दशकों से उसका पक्का दोस्त है ही, अब वह भूटान में अपना राजदूतावास खोलने की तैयारी में है और उधर वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मनमुटाव को खत्म करने पर कमर कसे हुआ है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी पाकिस्तान के बाद अब अफगानिस्तान में हैं। यदि चीन की मध्यस्थता के कारण इन दोनों पड़ौसी देशों … [Read more...] about पाक में से रास्ता दिलवाए चीन
पत्रकारों पर हमला
कर्नाटक विधानसभा ने बेंगलूरु के दो पत्रकारों को साल-साल भर की सजा दे दी है और 10-10 हजार रु. जुर्माना कर दिया है। यह सजा विधानसभा की एक विशेषाधिकार समिति की सलाह पर अध्यक्ष ने दी है। विधानसभाएं ऐसी सजा जरुर दे सकती हैं। पहले भी कुछ विधानसभाओं ने ऐसी सजा दी हैं लेकिन मुख्य प्रश्न यह है कि अदालतों का यह अधिकार विधानसभाओं और संसद को क्यों दिया गया है ? संविधान ने यह अधिकार … [Read more...] about पत्रकारों पर हमला
हिंदी लाओ बनाम अंग्रेजी हटाओ
केंद्रीय मंत्री वैंकया नायडू ने ऐसी बात कह दी है, जो मैं अमित शाह और नरेंद्र मोदी के मुंह से सुनना चाहता हूं। जो बात नायडू ने कही है, उससे सर संघचालक मोहन भागवत पूर्णतया सहमत हैं लेकिन वे भी जरा खुलकर बोले, यह जरुरी है। यदि मोहन भागवत इस मुद्दे पर जमकर बोले तो हमारे नेताओं और नौकरशाहों की नींद जरुर खुलेगी। कौनसी है, वह बात जो नायडूजी ने बोल दी है ? नायडू ने देश की सड़ती हुई … [Read more...] about हिंदी लाओ बनाम अंग्रेजी हटाओ
नेताओं के अहं की मालिश
हवाई जहाजों में यात्रा करते वक्त हमारे नेताओं को क्या ‘प्रोटोकाॅल’ (विशेष व्यवहार) मिलना चाहिए, इसे लेकर नागर विमानन मंत्रालय ने सभी गैर-सरकारी हवाई कंपनियों की एक बैठक बुलाई है। अब एयर इंडिया भी बिकनेवाली है, इसीलिए नेताओं को अपने प्रोटोकाॅल की चिंता सता रही है। यदि देश में कोई सरकारी हवाई कंपनी ही नहीं रहेगी तो नेताओं के नखरे कौन उठाएगा ? अब गैर-सरकारी हवाई कंपनियों को भी … [Read more...] about नेताओं के अहं की मालिश
पत्रकारों की आज़ादी और साख
कल दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों का बड़ा जमावड़ा हुआ। कुछ दिन पहले एनडीटीवी के सिलसिले में भी हुआ था। मैंने ऐसा जमावड़ा पूरे 42 साल पहले यहां देखा था। 26 जून 1975 को आपात्काल की घोषणा हुई थी और उसके दो-तीन दिन बाद ही श्री कुलदीप नय्यर की पहल पर हम दो-तीन सौ पत्रकार जमा हो गए थे। आपात्काल के विरुद्ध भाषणों के बाद जब कुलदीपजी ने कहा कि आपात्काल और सेंसरशिप के निंदा-प्रस्ताव पर … [Read more...] about पत्रकारों की आज़ादी और साख
अब तक भोग किया, अब योग करें
योग दिवस पर कुछ कांग्रेसी मित्रों ने योग और मोदी का मजाक बनाया है। मोदी की जो भी आलोचना उन्हें करना है, वह जरुर करें। वरना वे विपक्षी कैसे कहलाएंगे ? लेकिन योग और योग-दिवस के बारे में तो मैं उनसे उत्तम प्रतिक्रिया की उम्मीद करता था। मैं तो सोचता था कि कांग्रेसी मित्र लोग भी बढ़-चढ़कर योग-दिवस मनाएंगे और इस विश्व-व्यापी कल्याण-कार्य पर अकेले मोदी की छाप नहीं लगने देंगे लेकिन … [Read more...] about अब तक भोग किया, अब योग करें
राष्ट्रपतिः बलि का बकरा कौन बने ?
राष्ट्रपति के चुनाव में रामनाथ कोविंद की जीत में जरा भी संदेह नहीं है। भाजपा-गठबंधन के पास यों ही वोटों का स्पष्ट बहुमत है। ज्यों ही कोविंद के नाम की घोषणा हुई, कई प्रांतीय पार्टियों ने उनके प्रति अपना समर्थन प्रकट कर दिया। जो पार्टियां अभी असमंजस में हैं, उनमें से भी कई उनका समर्थन करने पर विचार कर रही हैं। जो पार्टियां अक्सर भाजपा के विरुद्ध वोट करती हैं या हर मुद्दे पर … [Read more...] about राष्ट्रपतिः बलि का बकरा कौन बने ?
अस्थिरता ही नेपाल की पहचान
हमारा पड़ौसी देश नेपाल भारत के बड़े-बड़े प्रांतों से भी छोटा है लेकिन उसकी हालत यह है कि वहां हर साल एक नया प्रधानमंत्री आ जाता है। कोई भी प्रधानमंत्री साल दो साल से ज्यादा चलता ही नहीं है। पिछले दो प्रधानमंत्री तो एक-एक साल भी नहीं टिके। अब शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री बने हैं। माओवादी पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने प्रधानमंत्री पद से अभी-अभी इस्तीफा दिया है। नेपाली कांग्रेस के देउबा … [Read more...] about अस्थिरता ही नेपाल की पहचान