बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद अब भारत के राष्ट्रपति होंगे। वे भाजपा के उम्मीदवार घोषित हो गए हैं तो उनकी विजय निश्चित ही होगी। कोविंद का नाम जैसे ही टीवी चैनलों ने उछाला, बहुत से पत्रकार-बंधुओं के फोन आने लगे और वे पूछने लगे कि यह कोविंद कौन हैं ? संयोग की बात है कि रामनाथजी कोविंद और मेरा परिचय लगभग 50-52 साल पुराना है। यह उन्होंने ही मुझे बताया था। उस समय वे किसी भी दल में … [Read more...] about कोविंद का राष्ट्रपति बनना
Archives for June 2017
गोरखा मोर्चे का अलगाववाद
दार्जिलिंग में चल रहे गोरखा आंदोलन ने जो हिंसक रुप धारण किया है, उसके लिए कौन जिम्मेदार है ? गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को कहना है कि प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोर्चे के तीन कार्यकर्त्ताओं की मौत और दर्जनों कार्यकर्ताओं के बुरी तरह से घायल होने के लिए जिम्मेदार है जबकि ममता का कहना है कि यह हिंसा मोर्चे के लोगों ने शुरु की। उन्होंने पुलिस के एक जवान की लगभग हत्या की, … [Read more...] about गोरखा मोर्चे का अलगाववाद
मुंबई—हत्याकांड: देर आयद, सुस्त आयद !
1993 में मुंबई में हुए हत्याकांड का फैसला अब आया है, पूरे 24 साल बाद। इस फैसले का अर्थ क्या है ? यदि कुछ अपराधियों ने पिछले 24 साल जेल में काट लिये या कुछ कम साल भी काट लिये तो पूछना पड़ेगा कि यह फैसला किस काम का है? यदि इसके आने में 10-20 साल और लग जाते तो ज्यादातर अपराधी, वकील और जज भी अपने-अपने नरक या स्वर्ग में सिधार जाते। ऐसे सामूहिक हत्याकांड के फैसले तो कुछ हफ्तों में ही … [Read more...] about मुंबई—हत्याकांड: देर आयद, सुस्त आयद !
राष्ट्रपति कौन बने ?
एक सप्ताह बाद हमारे अगले राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवारों के नाम सामने आ जाएंगे। जहां तक लालकृष्णजी आडवाणी और डाॅ. मुरलीमनोहर जोशी के नामों का सवाल है, उन्हें तो सीबीआई ने ही बाहर कर दिया है। अन्यथा ये दो सज्जन राष्ट्रपति के सर्वथा योग्य हैं और यह उनका प्राप्तव्य भी बनता है। इनके अलावा सुषमा स्वराज और सुमित्रा महाजन भी सही उम्मीदवार हो सकती हैं। यह तर्क बिल्कुल बोदा है कि … [Read more...] about राष्ट्रपति कौन बने ?
बैंक-ठगों को मिले सख्त सजा
भारतीय रिजर्व बैंक का यह संकल्प सराहनीय है कि जिन लोगों ने बैंकों से 5000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले रखा है और उसे चुका नहीं पा रहे हैं, उनके खिलाफ शीघ्र ही सख्त कार्रवाई की जाए। अभी ऐसे 12 लोगों या संस्थाओं को चुना गया है। इनके ऊपर बैंकों का 175,000 करोड़ रु.बाकी है। बैंकों का कुल फंसा हुआ पैसा लगभग 7 लाख करोड़ रु. है याने अभी तो सिर्फ 25 प्रतिशत कर्ज की वसूली पर कार्रवाई शुरु … [Read more...] about बैंक-ठगों को मिले सख्त सजा
स्वागत, नौकरशाहों की हिम्मत का !
देश के 65 सेवा-निवृत्त नौकरशाहों ने एक सार्वजनिक अपील जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत में तानाशाही, असहिष्णुता और अल्पसंख्यक उत्पीड़न तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं से अपील की है कि वे इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाएं। देश के वरिष्ठ नौकरशाह, जिन्होंने कई-कई दशक तक सरकार चलाई है, उनके द्वारा ऐसा संयुक्त बयान जारी करना अपूर्व घटना है। ऐसा बयान तो आपातकाल के पहले या … [Read more...] about स्वागत, नौकरशाहों की हिम्मत का !
किसान-आंदोलन: कुछ अच्छी पहल
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को बधाई कि उन्होंने अपने किसानों की सुध ली। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने तो किसी आंदोलन का इंतजार किए बिना ही किसानों को बिना ब्याज के 32 हजार करोड़ रु. के कर्ज की माफी की घोषणा कर दी। उत्तरप्रदेश सरकार ने तो पहले ही 30000 करोड़ रु. का किसानी कर्ज माफ कर दिया है। यदि भाजपा के ये चार मुख्यमंत्री ऐसा किसानपरस्त कदम उठा सकते हैं तो दूसरे … [Read more...] about किसान-आंदोलन: कुछ अच्छी पहल
शंघाई के अखाड़े में भारत-पाक
इस साल भारत और पाकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन के बाकायदा सदस्य बन गए हैं। इस संगठन में दोनों की सदस्यता एक साथ हुई, यह अपने आप में विशेष बात है। अब सवाल है कि ये दोनों राष्ट्र क्या उस संगठन में भी एक-दूसरे के साथ वैसा ही बरताव करेंगे, जैसा कि वे दक्षेस में करते रहे हैं? यदि हां, तो उस संगठन का कोई खास नुकसान तो होगा नहीं, क्योंकि जैसे दक्षेस के राष्ट्रों में ये दोनों सबसे बड़े हैं, … [Read more...] about शंघाई के अखाड़े में भारत-पाक
आपातकाल का कुआरंभ, बुजुर्गों ने थामा हाथ!
एनडीटीवी के मालिक के घर और दफ्तर पर सीबीआई ने छापे मारे। इसके विरोध में दिल्ली के बुजुर्ग और प्रसिद्ध पत्रकारों ने कल एक साथ हमला बोला। ये सारे पत्रकार सेवा-निवृत्त हैं। कोई भी कार्यरत टीवी एंकर या हिंदी और अंग्रेजी अखबार का संपादक इस गुस्साई सभा में क्यों दिखाई नहीं दिया ? क्योंकि सब डरे हुए हैं। उनके मालिक सरकारी विज्ञापनों के मोहताज़ हैं। पत्रकारों को यह भी डर है कि उन्होंने … [Read more...] about आपातकाल का कुआरंभ, बुजुर्गों ने थामा हाथ!
किसानों की सिर्फ मरहमपट्टी ?
अभी महाराष्ट्र के किसान आंदोलन की आग बुझी भी नहीं कि मध्यप्रदेश में भी उसने विकराल रुप धारण कर लिया। धीरे-धीरे उत्तर भारत के सभी राज्यों में यह फैल सकता है। भारत के किस राज्य में किसान नहीं हैं? ये बात अलग है कि जिन क्षेत्रों में यह आंदोलन उग्र हुआ है, वे अपेक्षाकृत बेहतर हैं। मध्यप्रदेश के मालवा और महाराष्ट्र के नाशिक-पुणें आदि क्षेत्रों की जमीनें उपजाऊ हैं, वहां सिंचाई का … [Read more...] about किसानों की सिर्फ मरहमपट्टी ?