आज मैं कानपुर के तुलसी उपवन में हूं। अब से 36 साल पहले इस उपवन की स्थापना पं. ब्रदीनारायण तिवारी ने की थी। महाकवि तुलसीदास के प्रति तिवारीजी इतने समर्पित हैं, श्रद्धा से इतने भरे हुए हैं, उनके प्रेम में इतने पगे हुए हैं कि अगर वे शाहजहां होते तो तुलसी की याद में ताजमहल खड़ा कर देते लेकिन यह तुलसी उपवन एक अर्थ में हिंदीवालों का ताजमहल ही है। जहां तक मेरा ध्यान जाता है, हिंदी के … [Read more...] about कानपुर में हिंदी का ताजमहल
Archives for July 2017
दोकलाम का क्या हुआ ?
भारत-चीन सीमांत पर चल रहे दोकलाम-विवाद पर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोभाल को कितनी सफलता मिली, कुछ पता नहीं। भारत सरकार भी चुप है और चीन सरकार भी। तीन दिन पहले जब दोभाल चीन जा रहे थे तो कहा जा रहा था कि वे दोकलाम पर चीनी नेताओं से बात करेंगे। यह भी प्रचारित किया गया कि वे चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग से भी मिलेंगे। उसी वक्त मैंने लिखा था कि दोभाल दोकलाम के लिए … [Read more...] about दोकलाम का क्या हुआ ?
नवाज़ की बेदखली
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियाॅ नवाज शरीफ को पहले फौज ने बेदखल कर दिया था और अब अदालत ने कर दिया। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के पांचों जजों ने सर्वसम्मति से नवाज़ को अयोग्य ठहराया है। उन पर यह मुकदमा ‘पनामा पेपर्स’ को लेकर चला था। उनके बेटे और बेटियों की विदेशों में बेहिसाब संपत्तियों का ठीक-ठीक हिसाब वे नहीं दे सके। पाकिस्तान की अदालतों की तारीफ करनी होगी कि वे परवेज़ … [Read more...] about नवाज़ की बेदखली
नीतीश का पुनर्जन्म: मोदी ही मोदी
दैनिक भास्कर, 29 जुलाई 2017: बिहार में नीतीश और भाजपा के गठबंधन को घोर अवसरवादी और अनैतिक भी कहा जा रहा है। लेकिन नीतीश के पास इसके अलावा विकल्प क्या था ? यदि नीतीश और लालू की सरकार बिहार में चलती रहती तो सबसे ज्यादा नुकसान किसका होता ? बिहार का होता। पिछले 20 महिनों में क्या बिहार की सरकार वैसी ही चली, जैसी कि वह जनता दल (ए) और भाजपा के गठबंधन के दौरान चली थी ? नीतीश और लालू … [Read more...] about नीतीश का पुनर्जन्म: मोदी ही मोदी
लाल टोपी में भगवा मोरपंख
पिछले हफ्ते मैंने लिखा था कि नीतीशकुमार के पास कोई और चारा नहीं रह गया है, सिवाय इसके कि वे लालू के साथ गठबंधन को तोड़ दें। यदि वे नहीं तोड़ते तो बिहार की सरकार तो चलती रहती लेकिन नीतीश और लालू, दोनों के पांव टूट जाते। नीतीश-जैसे साफ-सुथरे नेता को जीवन भर मैले कपड़े धोते रहना पड़ते। इस समय नीतीश के इस्तीफे ने उनकी छवि में चार चांद लगा दिए हैं। वे बिहार ही नहीं, राष्ट्रीय फलक पर … [Read more...] about लाल टोपी में भगवा मोरपंख
दक्षिण का हिंदी-विरोध कैसे खत्म हो ?
पिछले कई दिनों से कर्नाटक में हिंदी-विरोधी आंदोलन चल रहा है। रेल्वे स्टेशनों पर लगे हिंदी नामपटों को पोता जा रहा है। कर्नाटक के लिए एक अलग झंडे की मांग की जा रही है। अभी अलग झंडे की मांग को तो दरी के नीचे सरका दिया गया है, क्योंकि कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार इसका खुला समर्थन नहीं कर सकती। यदि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया किसी क्षेत्रीय पार्टी में होते तो इस मांग को वे हाथोंहाथ उठा … [Read more...] about दक्षिण का हिंदी-विरोध कैसे खत्म हो ?
चीन ने बनाया हिंदी को हथियार
चीन हमें आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी वह हमें पटकनी मारने पर उतारु है। उसने चीनी स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए अब हिंदी को अपना हथियार बना लिया है। इस समय चीन की 24 लाख जवानों की फौज में हजारों जवान ऐसे हैं, जो हिंदी के कुछ वाक्य बोल सकते हैं और समझ भी सकते हैं। भारत-चीन सीमांत पर तैनात चीनी जवानों को हिंदी … [Read more...] about चीन ने बनाया हिंदी को हथियार
एक पहलवान और 25 मरीज
गुजरात में शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस छोड़ दी या कांग्रेस ने वाघेला को छोड़ दिया, उससे क्या फर्क पड़ने वाला है ? वाघेला यदि कांग्रेस में रह भी जाते तो क्या वे मुख्यमंत्री बन सकते थे? क्या चुनाव जीतकर वे सरकार बना सकते थे ? गुजरात में कांग्रेस की दाल पहले से पतली है। उसके 11 विधायकों ने राष्ट्रपति के चुनाव में रामनाथ कोविंद को वोट दे दिए याने उन्होंने पाला बदल लिया। ये सब पाला … [Read more...] about एक पहलवान और 25 मरीज
दोकलाम: प्रो.मा : हमारी दरिद्रता
चीन के साथ चल रहे दोकलाम-विवाद पर प्रो. मा जिया ली का बयान हवा के एक नए झोंके की तरह है। चीन के अखबारों में यह बयान जमकर छाया है। पिछले एक माह में चीनी अखबारों, विशेषज्ञों और सरकारी प्रवक्ताओं ने जितने उत्तेजक बयान दिए हैं, लेख लिखे हैं और खबरें छापी हैं, उन्हें देखते हुए लग रहा था कि भारत-चीन सीमांत पर फिर से वही धुआ उठ रहा है, जो 1960-61 में उठ रहा था। युद्ध के नगाड़े न सही, … [Read more...] about दोकलाम: प्रो.मा : हमारी दरिद्रता
ये गोरक्षक हैं या नरभक्षक?
गोरक्षा के नाम पर चल रही पशुता पर अब शायद कुछ रोक लगे। एक तो संसद में तथाकथित गोरक्षकों को दंडित करने का विधेयक लाने की बात चल रही है और दूसरा, यह सराहनीय है कि अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर सरकार की जमकर खिंचाई कर दी है। अदालत के सामने केंद्र सरकार के वकील ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि उन ‘गोरक्षकों’ के खिलाफ कार्रवाई करना राज्य-सरकारों का काम है, केंद्र सरकार का … [Read more...] about ये गोरक्षक हैं या नरभक्षक?