जार्ज फर्नांडीस जब 1967 में पहली बार लोकसभा में चुनकर आए तो सारे देश में उनके नाम की धूम मची हुई थी। वे बंबई के सबसे लोकप्रिय मजदूर नेता थे। उन्होंने कांग्रेस के महारथी एस के पाटील को मुंबई में हराया था। तब जार्ज संसोपा के उम्मीदवार थे। संयुक्त समाजवादी पार्टी के नेता थे, डॉ. राममनोहर लोहिया। लोहियाजी ने डॉ. परिमलकुमार दास और मेरी ड्यूटी लगाई कि हम दोनों जाएं और जार्ज को नई … [Read more...] about जार्ज फर्नांडीसः कुछ संस्मरण
Archives for January 2019
मोदी के उपहारों की नीलामी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले उपहारों की नीलामी हो रही है। यह खबर पढ़कर मुझे अच्छा लगा। इस नीलामी से मिलने वाला पैसा ‘नमामि गंगे’ परियोजना में खर्च होगा। आज हमारे देश में नेताओं का जो हाल है, वह किसी से छिपा नहीं है। वे अपने स्वार्थ के लिए किसी भी चीज़ को नीलाम कर सकते हें। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मिलने वाले उपहारों के बारे में कायदा यह है कि वे सरकारी तोशाखाने में जमा … [Read more...] about मोदी के उपहारों की नीलामी
ये कैसे भारत-रत्न हैं?
‘भारत-रत्न’ सम्मान को देश का सबसे ऊंचा सम्मान कहा जाता है लेकिन इस बार जिन तीन लोगों को यह सम्मान दिया गया है, उन्हें देकर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार अपना अपमान करवा रही है। कई अखबारों और टीवी चैनलों ने इन सम्मानों के पीछे कई दुराशय खोज निकाले हैं। प्रणव मुखर्जी को इसलिए भारत-रत्न बनाया गया है कि प. बंगाल में ममता लहर को रोकना है। यह लहर अब बंगाल के बाहर भी फैलती नजर आ रही है। … [Read more...] about ये कैसे भारत-रत्न हैं?
वेनेजुएला: नया शीत युद्ध ?
लातीन अमेरिका के देश वेनेजुएला में वैसी ही स्थिति बनती दिखाई पड़ रही है, जैसी कि 1962 में क्यूबा में बन रही थी। जो तनाव वहां अभी चल रहा है, यदि एक हफ्ते में वह नहीं सुलझा तो कोई आश्चर्य नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी सरकार वहां अपनी फौजें चढ़ा दे। अमेरिका का समर्थन लगभग सभी प्रमुख यूरोपीय राष्ट्र कर रहे हैं लेकिन रुस और चीन उसका विरोध कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने फिदेल कास्त्रो … [Read more...] about वेनेजुएला: नया शीत युद्ध ?
अपने-अपने तुरुप के पत्ते
इस समय देश की कोई भी राजनीतिक पार्टी ऐसी नहीं है, जिसे विश्वास हो कि वह चुनाव जीत जाएगी और वह सरकार बना लेगी। भाजपा और कांग्रेस अखिल भारतीय पार्टियां हैं। देश के लगभग हर जिले में इनका संगठन मौजूद है। इन्होंने अपने दम पर केंद्र और प्रांतों में सरकारें भी बनाई हैं। अब भी ये दोनों पार्टियां दावा कर रही हैं कि 2019 के चुनावों के बाद वे ही सरकार बनाएंगी लेकिन दोनों पार्टियों के … [Read more...] about अपने-अपने तुरुप के पत्ते
प्रियंका होगी मोदी की मददगार
प्रियंका गांधी के कांग्रेस- महासचिव बनने पर देश के खबरतंत्र में खलबली-सी मच गई है। सारे टीवी चैनलों और अखबारों में यही सबसे बड़ी खबर रही। कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओं में इतना जोश दिखाई पड़ रहा है कि जैसे अब उप्र की 80 संसदीय सीटों में से कम से कम 50 सीटें तो वे ले ही जाएंगे। मायावती और अखिलेश ने कांग्रेस को अछूत घोषित कर रखा था। अब कांग्रेस उनको मजा चखा देगी। उधर भाजपा कह रही है … [Read more...] about प्रियंका होगी मोदी की मददगार
राम मंदिरः सबक लें सबरीमाला से
कितनी विडंबना है कि सबरीमाला मंदिर में केरल की जिन दो महिलाओं ने अंदर जाकर पूजा करने की हिम्मत दिखाई, उनके साथ निकृष्ट कोटि का बरताव किया जा रहा है। ये दो महिलाएं हैं, कनकदुर्गा और बिंदु! इन दोनों को किसी सरकारी आश्रय गृह में रहना पड़ रहा है, वह भी पुलिस सुरक्षा में। कनकदुर्गा के सुसराल और पीहर, दोनों ने उसका बहिष्कार कर दिया है। वह अपने सुसराल यानी अपने घर में गई तो उसे उसके … [Read more...] about राम मंदिरः सबक लें सबरीमाला से
गरीबी- अमीरी की खाई कैसे पटे?
दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक सम्मेलन में ऑक्सफॉम ने जो रपट पेश की है, वह बहुत चिंता पैदा करती है। दुनिया के दूसरों देशों की बात जाने दे, जहां तक भारत का सवाल है, यहां गैर-बराबरी सुरसा के बदन की तरह फैल रही है। भारत के 9 अमीरों के पास देश की आधी संपत्ति है। भारत के अरबपतियों के संपत्ति में रोजाना 22,000 करोड़ रू की वृद्धि होती है। देश के 10 प्रतिशत अमीरों के पास 77.4 प्रतिशत … [Read more...] about गरीबी- अमीरी की खाई कैसे पटे?
या मोदी या अराजकता ?
कोलकाता में हुई विपक्ष की महारैली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने काफी तीखी प्रतिक्रियाएं की हैं। मोदी और राहुल गांधी की प्रतिक्रियाओं पर प्रतिक्रिया करने की हिम्मत किसकी है ? उस स्तर तक पहुंचना ही मुश्किल है लेकिन जावड़ेकर ने बड़े पते की बात कही है। उनका कहना है कि 2019 में या तो मोदी आएंगे या फिर अराजकता आएगी। यदि मोदी नहीं आए तो अराजकता का आना … [Read more...] about या मोदी या अराजकता ?
विपक्ष क्या करे: देवेगौड़ा
कोलकाता में हुई विशाल जन-सभा के बारे में मैंने कल लिखा था। आज मैं महागठबंधन के बारे में लिखूंगा। देश की चार-पांच छोटी-बड़ी पार्टियों के अलावा वहां सभी का जमावड़ा था लेकिन क्या यह जमावड़ा किसी महागठबंधन में बदल सकता है ? ऐसे पांच-छह जमावड़े अभी देश में और भी होने हैं। इससे देश में नेतृत्व-परिवर्तन का माहौल तो खड़ा हो जाएगा लेकिन जैसा कि हमारे गांवों में एक कहावत है कि ‘काणी के ब्याह … [Read more...] about विपक्ष क्या करे: देवेगौड़ा