कोलकाता में हुई ममता बनर्जी की विशाल जनसभा 1977 की याद ताजा कर रही है। उस समय रामलीला मैदान में इंदिरा गांधी के विरुद्ध इतनी ही जबर्दस्त जनसभा हुई थी। विरोधी दलों के नेता दहाड़ रहे थे और इंदिरा का सिंहासन डोल रहा था। सारा रामलीला मैदान खचाखच भरा हुआ था और हमें पास में स्थित हिंदी संस्था संघ की छत पर चढ़ कर नेताओं के भाषण सुनने पड़े थे। ममता की सभा में भी लाखों श्रोता थे और वक्ताओं … [Read more...] about ममता ने दिखाया आपातकाल
Archives for January 2019
धूर्त्त संत और निर्भीक पत्रकार
हरियाणा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के हत्यारे तथाकथित संत या संतों के कलंक गुरमीत राम रहीम और उसके तीन चेलों को उम्रकैद की सजा हुई है। इस फैसले का सारे देश में स्वागत होगा। 16 साल बाद यह फैसला आया, लेकिन सही आया, बड़े संतोष का विषय है। स्वर्गीय रामचंद्र छत्रपति एक अत्यंत निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार थे। वे पत्रकार तो थे ही, मूलतः वे समाजसेवी थे। वे हमारे साथी थे। वे स्वामी … [Read more...] about धूर्त्त संत और निर्भीक पत्रकार
शिक्षा में करें क्रांति
आर्थिक आधार पर शिक्षा-संस्थाओं में आरक्षण स्वागत योग्य है। वह दस प्रतिशत क्यों, कम से कम 60 प्रतिशत होना चाहिए और उसका आधार जाति या कबीला नहीं होना चाहिए। जो भी गरीब हो, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या भाषा का हो, यदि वह गरीब का बेटा है तो उसे स्कूल और कालेजों में प्रवेश अवश्य मिलना चाहिए। किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति या पिछड़े वर्ग का कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। … [Read more...] about शिक्षा में करें क्रांति
भाजपा फूंक-फूंककर कदम बढ़ाए
कर्नाटक और मध्यप्रदेश, इन दोनों प्रांतों की सरकारों को गिराने की खबरें गर्म हैं। दोनों प्रदेशों में भाजपा विपक्ष में है। भाजपा इन दोनों प्रदेशों में सत्तारुढ़ होते-होते रह गई। मप्र में तो उसे वोट भी कांग्रेस से ज्यादा मिलें लेकिन सीटें कम रह गईं। दोनों राज्यों में भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ रहा है। केंद्र में उसकी सरकार है, राज्यपाल भी इसी सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हैं। फिर … [Read more...] about भाजपा फूंक-फूंककर कदम बढ़ाए
कौन देशभक्त और कौन देशद्रोही ?
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कन्हैया कुमार और उनके साथियों पर सरकार ने देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया है और ऐसा ही एक मुकदमा असम के एक विद्वान हीरेन गोहैन, अखिल गोगोई और पत्रकार मंजीत मंहत पर पुलिस ने दायर किया है। इन दोनों मुकदमों में आरोप लगभग एक-जैसे हैं। एक में कश्मीर की आजादी और भारत के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाए गए थे और दूसरे में नागरिकता विधेयक का विरोध करते हुए … [Read more...] about कौन देशभक्त और कौन देशद्रोही ?
काबुलः भारत चुप क्यों हैं?
अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के प्रयास आजकल जितने जोरों से हो रहे हैं, शायद पिछले तीस साल में कभी नहीं हुए। कभी काबुल, कभी इस्लामाबाद, कभी दोहा, कभी तेहरान, कभी मास्को, कभी वाशिंगटन डीसी और अब नई दिल्ली में भी नेता और अफसर लगातार मिल रहे हैं। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत जलमई खलीलजाद ने भारत आ कर हमारे नेताओं … [Read more...] about काबुलः भारत चुप क्यों हैं?
कौन मजबूत और कौन मजबूर?
भाजपा की राष्ट्रीय समिति के अधिवेशन पर मायावती और अखिलेश का गठबंधन काफी भारी पड़ गया। गठबंधन की खबर अखबारों और टीवी चैनलों पर खास खबर बनी और उसे सर्वत्र पहला स्थान मिला जबकि मोदी और अमित शाह के भाषणों को दूसरा और छोटा स्थान मिला। भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं का तो कहीं जिक्र तक नहीं है। ऐसा क्यों हुआ ? क्योंकि यह अकेला प्रादेशिक गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति को नया चेहरा दे सकता है। … [Read more...] about कौन मजबूत और कौन मजबूर?
भाजपा के लिए खतरे की घंटी
उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन सिर्फ प्रादेशिक राजनीति तक सीमित नहीं है। यह गठबंधन इतना शक्तिशाली है कि यह राष्ट्रीय राजनीति में भी गजब का उलट-फेर कर सकता है। कोई आश्चर्य नहीं कि 2014 में जो स्थिति उप्र में विरोधी दलों की हुई, वही स्थिति 2019 में भाजपा की हो जाए। याने संसद की 71-72 सीटें इस गठबंधन को चली जाएं और 5-7 सीटें भाजपा के पल्ले पड़ … [Read more...] about भाजपा के लिए खतरे की घंटी
अपने-अपने भ्रष्टाचारी
सीबीआई, सवर्णों का आर्थिक आरक्षण और अध्योध्या विवाद- इन तीनों मसलों पर गौर करें तो हम किस नतीजे पर पहुंचेंगे? सरकार, संसद, सर्वोच्च न्यायपालिका और विपक्ष - सबकी इज्जत पैंदे में बैठी जा रही है। सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को सर्वोच्च न्यायालय ने 77 दिन के बाद अचानक बहाल कर दिया लेकिन सरकार ने फिर उन्हें हटा दिया। सीबीआई के निदेशक को लगाने और हटानेवाली कमेटी के तीन सदस्य होते … [Read more...] about अपने-अपने भ्रष्टाचारी
आर्थिक आरक्षण: सरासरा फर्जीवाड़ा ?
सवर्णों के लिए आर्थिक आरक्षण के विधेयक को संसद के दोनों सदनों ने प्रचंड बहुमत से पारित कर दिया है। आरक्षण का आधार यदि आर्थिक है तो उसे मेरा पूरा समर्थन है। वह भी सरकारी नौकरियों में नहीं, सिर्फ शिक्षा-संस्थाओं में! इस दृष्टि से यह शुरुआत अच्छी है लेकिन इस विधेयक को संसद ने जिस हड़बड़ी और जिस बहुमत या लगभग जिस सर्वसम्मति से पारित किया है, उससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है। … [Read more...] about आर्थिक आरक्षण: सरासरा फर्जीवाड़ा ?