NavBharat Times, 18 March 2004 : स्पेन-जैसे देश में होनेवाले चुनाव पर कौन ध्यान देता है? खबरों की दुनिया में कभी स्पेनी-गृहयुद्घ को याद किया जाता था| वह कई दशकों पुरानी बात हो गई| लेकिन पिछले हफ्ते के चुनावों ने स्पेन को एक बार फिर खबरों के शीर्ष पर पहॅुंचा दिया है| यह स्पेनी चुनाव अन्तरराष्ट्रीय राजनीति का छोटा-मोटा भूकम्प ही है| पहले यह देखें कि वहॉं हुआ क्या है? स्पेन में … [Read more...] about स्पेन में हारे बुश और ब्लेयर
Archives for May 2004
भारत के नेता का पद अब भी खाली है
Dainik Bhaskar, May 2004 : जैसा अजूबा इस बार हुआ, पहले कभी नहीं हुआ| इस चुनाव में कोई ऑंधी नहीं आई जैसी कि 1971 के गरीबी हटाओ, 1977 के इंदिरा हटाओ और 1984 के इंदिरा-बलिदान चुनाव में आई थी| अन्य चुनावों में भी जो परिणाम आए थे, उनका लगभग सही अंदाजा लोगों को लग गया था लेकिन इन चुनावों ने सारे चुनावी-विशेषज्ञों, राजनीतिक विश्लेषकों और खुद नेताओं को हतप्रभ कर दिया है| जीतनेवालों को … [Read more...] about भारत के नेता का पद अब भी खाली है
न दल, न नेता, न मुद्दा !
NavBharat Times, 15 May 2004 : इस चुनाव में कौन जीता और कौन हारा, यह सबको पता है लेकिन इस इबारत में से क्या कोई अखिल भारतीय निष्कर्ष पढ़े जा सकते हैं? जी हॉं, पहला निष्कर्ष तो यही है कि इन चुनाव परिणामों ने नेतृत्व की अखिल भारतीयता भंग कर दी है| हम यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि फलॉं-फलॉं भारत का नेता है इसीलिए भाजपा के हारने और कॉंग्रेस के जीतने का श्रेय क्रमश: अटलबिहारी … [Read more...] about न दल, न नेता, न मुद्दा !
पश्चिमी सभ्यता और अमेरिकी फौजियों की करतूत
R Sahara, 13 May 2004 : अमेरिकी सभ्यता कितनी खोखली है, इसका ठोस प्रमाण आजकल निरंतर उभरता जा रहा है| सारी दुनिया को बताया जा रहा है कि देखो, अमेरिकी जनता कितनी प्रबुद्घ है कि वह अपने राष्ट्रपति, अपने रक्षामंत्री और अपनी फौज पर आग-बबूला हो रही है| उनसे वह पूछ रही है कि एराकी कैदियों के साथ राक्षसी बर्ताव के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है| अमेरिकी टेलिविजन, अखबार, सांसद, विशेषज्ञ – सभी … [Read more...] about पश्चिमी सभ्यता और अमेरिकी फौजियों की करतूत
यूरोप में उभरती नई विश्व शक्ति
R Sahara, 4 May 2004 : भारत के अखबारों और नेताओं को क्या दोष दिया जाए? वे चुनाव में इतने व्यस्त हैं कि इधर विश्व राजनीति का एक महाघोष हुआ लेकिन वह उनके कान तक ही नहीं पहॅुंचा| यह महाघोष है, यूरोपीय संघ के सदस्यों की संख्या का एक साथ 15 से 25 जो जाना ! यूरोपीय संघ की तरह राष्ट्रों के पारस्परिक सहयोग के अनेक संगठन लगभग सभी महाद्वीपों पर कार्य कर रहे हैं, जैसे दक्षेस, एसियान, … [Read more...] about यूरोप में उभरती नई विश्व शक्ति
यूरोप में उभरती नई विश्व शक्ति
R Sahara, 4 May 2004 : भारत के अखबारों और नेताओं को क्या दोष दिया जाए? वे चुनाव में इतने व्यस्त हैं कि इधर विश्व राजनीति का एक महाघोष हुआ लेकिन वह उनके कान तक ही नहीं पहॅुंचा| यह महाघोष है, यूरोपीय संघ के सदस्यों की संख्या का एक साथ 15 से 25 जो जाना ! यूरोपीय संघ की तरह राष्ट्रों के पारस्परिक सहयोग के अनेक संगठन लगभग सभी महाद्वीपों पर कार्य कर रहे हैं, जैसे दक्षेस, एसियान, … [Read more...] about यूरोप में उभरती नई विश्व शक्ति
त्रिशंकु संसद : कई विकल्प
NavBharat Times, 2 May 2004 :चुनाव ज्योतिषियों ने यह कहकर तहलका मचा दिया है कि इस बार संसद त्रिशंकु होगी| किसी भी मोर्चे का स्पष्ट बहुमत नहीं होगा| याने संसद अधर में लटक जाएगी| वह लटकेगी या नहीं, यह बाद में पता चलेगा लेकिन भारत की राजनीति अभी से अधर में लटक गई है| सभी दल अपने-अपने हवामहल खड़े कर रहे हैं| इन हवामहलों में कमरों की बंदरबॉंट पर कहीं तलवारें खिंच रही हैं तो कहीं … [Read more...] about त्रिशंकु संसद : कई विकल्प