NavBharat Times, 24 Dec 2004: भारत और श्रीलंका के संबंध इस समय जितने अच्छे हैं, शायद पहले कभी नहीं रहे। इतने अनुकूल वातावरण में श्रीलंका की यात्रा सार्थक और सुखद ही रह सकती है। अब से 21 साल पहले वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मुख से इंदिराजी के विरुद्ध मैंने इतनी कटु उक्तियों को भोगा था कि वहां दुबारा जाने का मन नहीं हुआ। इस बार ‘वर्ल्ड एलायंस फॉर पीस इन श्रीलंका` और … [Read more...] about भारत को मान रहे त्राता
Archives for 2004
दक्षेस को नई दिशा के आसार
नवभारत टाइम्स, 16 दिसम्बर 2004 : दक्षेस को बने 20 साल हो गए लेकिन वह 20 कदम भी आगे नहीं बढ़ा| यदि यूरोपीय समुदाय और आसियान की तरह वह सफल हो जाता तो आज दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब लोग दक्षिण एशिया में नहीं होते| करोड़ों लोगों को अभाव और अशिक्षा से छुटकारा मिलता| दक्षेस के सातों राष्ट्रों की आपसी सुरक्षा सुदृढ़ हो जाती| आखिर वह आगे क्यों नहीं बढ़ पाया, यह ढाका में हुई एक … [Read more...] about दक्षेस को नई दिशा के आसार
ढाका में चार दिन
राष्ट्रीय सहारा, 12 दिसम्बर 2004: ढाका पहली बार नहीं आया हॅूं| पहले भी दो बार आ चुका हॅूं| पहली बार प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव और दूसरी बार प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा के साथ| इन दोनों यात्राओं के बाद ऐसा लगा कि बांग्लादेश आकर भी मैं यहॉं नहीं आया| दोनों यात्राओं में हम लोग होटल सोनारगांव और शेराटन में घिरे रहे| ढाका कैसा है, क्या है, कुछ पता नहीं चला| इस बार बांग्लादेश के … [Read more...] about ढाका में चार दिन
भारत को खाली झुनझुना
R Sahara 5 Dec 2004 : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन अगर ढुलमुल हैं तो बुश और ब्लेयर के क्या कहने? अमेरिका और बि्रटेन ने कभी नहीं माना कि भारत सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बन सकता है| अब तो लगता है कि चीन और फ्रांस भी इस मिलीभगत में शामिल हैं| फ्रांस खुले-आम भारत का समर्थन करता रहा है और चीन ने भी अक्तूबर में संकेत दिए थे कि वह भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर सकता है … [Read more...] about भारत को खाली झुनझुना
कश्मीर के बावजूद रथ आगे बढ़ेगा
Dainik Bhaskar, 3 Dec 2004 : प्रधानमंत्री तो दोनों ही हैं, डॉ. मनमोहनसिंह और श्री शौकत अजीज भी, लेकिन दोनों बराबर नहीं हैं| मनमोहन भारत के नम्बर-एक हैं जबकि पाकिस्तान के नम्बर-एक जनरल मुशर्रफ हैं| इसीलिए मनमोहन-अज़ीज़ वार्ता में से कुछ चमत्कारी निष्कर्षों की आशा कोई भी नहीं कर रहा था| इसके अलावा शौकत अज़ीज़ भारत की द्विपक्षीय-यात्रा पर नहीं आए थे| वे सिर्फ भारत नहीं आए थे| वे … [Read more...] about कश्मीर के बावजूद रथ आगे बढ़ेगा
धर्म के कंधे पर अपराध
R Sahara, 28 Nov 2004 :राजनीति के अपराधीकरण की बात तो हम कई वर्षों से सुनते चले आ रहे हैं लेकिन अब धर्म का अपराधीकरण एक नया मुद्दा बन गया है| शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को काफी तूल दे दिया है| जयेंद्र सरस्वती के पहले भी उनसे अधिक विख्यात धर्मगुरुओं के अपराधों की वीभत्स कहानियॉं उजागर हुई हैं लेकिन उन्हें सफलतापूर्वक दबा दिया गया| वे कुकृत्य दब गए, … [Read more...] about धर्म के कंधे पर अपराध
शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
नवभारत टाइम्स, 25 नवम्बर 2004: लगता है कि शंकराचार्य के मामले में हमारे नेता गच्चा खा गए। वे जनता का मूड भॉंप नहीं पाए। हिन्दुत्ववादियों से लेकर समाजवादियों और सेक्यूलरवादियों तक सभी ऑंसुओं की गंगा में नहा रहे हैं। जो चुप थे, वे भी बोल पड़े। कहीं भाजपा हिन्दू वोटों की फसल अकेली न काट ले जाए, इस डर ने सभी दलों की घिग्घी बॉंध दी। कोई कह रहा है, शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को … [Read more...] about शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
नवभारत टाइम्स, 25 नवम्बर 2004: लगता है कि शंकराचार्य के मामले में हमारे नेता गच्चा खा गए। वे जनता का मूड भॉंप नहीं पाए। हिन्दुत्ववादियों से लेकर समाजवादियों और सेक्यूलरवादियों तक सभी ऑंसुओं की गंगा में नहा रहे हैं। जो चुप थे, वे भी बोल पड़े। कहीं भाजपा हिन्दू वोटों की फसल अकेली न काट ले जाए, इस डर ने सभी दलों की घिग्घी बॉंध दी। कोई कह रहा है, शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को … [Read more...] about शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
प्रधानमंत्री के रसगुल्ले
R Sahara, 21 Nov 2004 : क्या सिरदर्द का इलाज रसगुल्लों से हो सकता है? शायद हो सकता है| हॉं सिर्फ रसगुल्लों से, दवा से नहीं| इसीलिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने कश्मीरियों के मॅुंह में 24000 करोड़ रु. का रसगुल्ला रख दिया है| इस तरह के रसगुल्ले देवेगौड़ा और वाजपेयी जैसे प्रधानमंत्रियों ने भी रखे थे लेकिन सिरदर्द का इलाज तो दूर रहा, कश्मीरियों के मॅुंह का ज़ायका भी ठीक नहीं … [Read more...] about प्रधानमंत्री के रसगुल्ले
अपनी आदिम मॉंद में लौटता अमेरिका
R Sahara, 16 Nov. 2004 : दुनिया के छह अरब लोगों की जिंदगी पर सिर्फ छह करोड़ लोग कितना असर डाल सकते हैं, इसका प्रमाण है, अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव| जॉर्ज बुश के पक्ष में मतदान करनेवालों की संख्या छह करोड़ भी नहीं है, लेकिन उन्होंने सारी दुनिया में सिहरन दौड़ा दी है| जहॉं तक दुनिया का सवाल है, वहॉं तो बुश अपना चुनाव लड़ने के पहले ही हार गए थे| जैसे प्रदर्शन बुश के खिलाफ … [Read more...] about अपनी आदिम मॉंद में लौटता अमेरिका