R Sahara, 30 Jan 2005 : राष्ट्रपति भवन का स्वागत समारोह । एक कोने में श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री नटवरसिंह, श्री प्रणव मुखर्जी, डॉ कर्णसिंह और मैं खड़े हुए थे। कुछ लोग डॉ कर्णसिंह को पद्म विभूषण की बधाई दे रहे थे। डॉ कर्णसिंह ने मेरी तरफ्ऎ देखा तो मैंने कहा, “क्या करुँ, बधाई दॅूं, आपको या सहानुभूति व्यक्त करऎँ, आपसे? उन्होंने कहा, “इसमें बधाई क्या है, इससे ऊपरवाला (याने … [Read more...] about बधाई?
Archives for January 2005
हिंदी को अपच
रा. सहारा 23 Jan 2005 : हिंदी को आजकल अपच हो रहा है। टी वी चैनलों और कुछ अखबारों की मेहरबानी के कारण । हर हिंदी वाक्य में अटपटे अंग्रेजी शब्दों को घुसा दिया जाता है। भाषाएँ नए-नए शब्दों को स्वीकार करें तो उनका हाजमा जरुर बढ़ता है लेकिन नए के नाम पर बेढब, अनगढ़ और अप्रचलित शब्दों को ठॅूंस लिया जाए तो भाषाई अपच के अलावा क्या हासिल हो सकता है? अपनी भाषा में सरल और सटीक शब्द … [Read more...] about हिंदी को अपच
हिंदी को अपच
R Sahara 23 Jan 2005 : हिंदी को आजकल अपच हो रहा है। टी वी चैनलों और कुछ अखबारों की मेहरबानी के कारण । हर हिंदी वाक्य में अटपटे अंग्रेजी शब्दों को घुसा दिया जाता है। भाषाएँ नए-नए शब्दों को स्वीकार करें तो उनका हाजमा जरुर बढ़ता है लेकिन नए के नाम पर बेढब, अनगढ़ और अप्रचलित शब्दों को ठॅूंस लिया जाए तो भाषाई अपच के अलावा क्या हासिल हो सकता है? अपनी भाषा में सरल और सटीक शब्द उपलब्ध … [Read more...] about हिंदी को अपच
अब ईरान की बारी है
Dainik Bhaskar, 20 Jan 2005 : अगर `द न्यूयार्कर’ में सेमौर हर्ष का लेख नहीं छपता तो लोग यही अंदाज लगाते कि राष्ट्रपति जॉर्ज बुश अपनी दूसरी पाली में पहले से अधिक संजीदा सिद्ब होंगे। वे दुबारा एराक़ नहीं रचाएँगे। किसी नए उसामा बिन लादेन की दाढ़ी नोंचने का काम नहीं करेंगे। किसी अराफ्ऎात के तख्ता-पलट की तदबीर नहीं खोजेंगे। किसी राष्ट्र की छाती पर `शैतान की आँत’ का बिल्ला नहीं … [Read more...] about अब ईरान की बारी है
दीक्षित और विदेश नीति
R Sahara, 09 Jan 2005 : श्री ज्योतींद्रनाथ दीक्षित से पहली भेंट आस्ट्रिया की राजधानी वियना में 1969 में हुई थी। वे हमारे दूतावास में प्रथम सचिव थे। भारतीय दूतावास का बोर्ड लगा देखा तो मैं अचानक अंदर चला गया। दीक्षित जी ने सम्मानपूर्वक बिठाया और कॉफी पिलाई। हिंदी में बात की और ‘धर्मयुग` का ताजा अंक खोलकर मेरे सामने रख दिया। उन्होंने कहा कि आज सुबह ही अफगानिस्तान पर आपका लेख … [Read more...] about दीक्षित और विदेश नीति
पित्रोदा की गंभीर भूल
R Sahara, 16 Jan 2005 : प्रवासी सम्मेलन की एक संगोष्ठी में सेम पित्रोदा ने जो व्यवहार किया, वह मुझे लगभग 40 साल पुरानी एक घटना की याद दिलाता है। मोरारजी देसाई सप्रू हाउस आए और उन्होंने `स्कूल ऑफ्ऎ इंटरनेशनल स्टडीज’ में भाषण दिया। भाषण शुरु करने के पहले उन्होंने मुझसे पूछा कि, “क्या करऎँ, हिंदी में बोलूँ कि अंग्रेजी में? यह `इंटरनेशनल स्कूल’ है न । मैं समारोह का अध्यक्ष था। … [Read more...] about पित्रोदा की गंभीर भूल
प्रवासी मालदारों का मेला
NavBharat Times, 12 Jan 2005 : भारत सरकार ने तीसरा प्रवासी भारतीय सम्मेलन आयोजित किया, यह अपने आप में उपलब्धि है। इसे आयोजित न करने के दो बहाने हो सकते थे। एक तो यह कि यह प्रवासी सम्मेलन संघी दिमाग की उपज है और वे ही लोग पिछले कुछ दशकों से प्रवासियों में सक्रिय रहे हैं। प्रवासियों के बीच काँग्रेसी खास सक्रिय नहीं रहे हैं। अत: संघी एजेन्डे को हवा देने का काम काँग्रेस सरकार क्यों … [Read more...] about प्रवासी मालदारों का मेला