नई दुनिया, 28 फरवरी 2007 : पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर के चुनावों से यह स्पष्ट संदेश उभर रहा है कि कांग्रेस पार्टी की ताकत बुरी तरह से घट रही है. अब पूरे राष्ट्र में मुश्किल से गिनी-चुनी जगहों पर ही कांग्रेस की सरकार है, वो भी दूसरों के टेकों पर टिकी हुई है. इसका सीधा परिणाम केंद्र की राजनीति और आगे आनेवाले राष्ट्रपति चुनाव पर भी देखने को मिलेगा| अब कांग्रेस अपने उम्मीदवार को … [Read more...] about भाजपा के मजबूत और केंद्र के कमज़ोर होने के संकेत
Archives for February 2007
1857 का विद्रोह : उपनिवेशवाद
मैं साहित्य अकादमी और उसके अध्यक्ष डॉ. गोपीचंद नारंग का हृदय से आभारी हूँ, जिन्होंने 1857 जैसे महत्वपूर्ण विषय पर मुझे आज यहाँ बोलने का मौका दिया| साहित्य महोत्सव की इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के चुने हुए विद्वान्र और साहित्यकार भाग ले रहे हैं| आज यहाँ उच्च-स्तर के इतने बौद्घिकों को देखकर कोई भी वक्ता पर्याप्त प्रोत्साहित हो सकता है| यही तथ्य उसे घबरा देने के लिए भी काफी हो … [Read more...] about 1857 का विद्रोह : उपनिवेशवाद
क्या नए शीतयुद्घ का शंखनाद है यह
राष्ट्रीय सहारा, 19 फरवरी 2007 : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के म्युनिख-भाषण ने विश्व राजनीति में खलबली मचा दी है| क्या पुतिन के इस भाषण की तुलना विंस्टन चर्चिल के प्रसिद्घ फुल्टन-भाषण से की जा सकती है ? चर्चिल के भाषण को शीतयुद्घ का बीज-भाषण माना जाता है| क्या पुतिन का म्युनिख-भाषण नए शीतयुद्घ का शंखनाद है ? इस प्रश्न का जवाब हां या ना दोनों में ही है| म्युनिख के 43वें … [Read more...] about क्या नए शीतयुद्घ का शंखनाद है यह
चमत्कार दोहराए नहीं जा सकते
नवभारत टाइम्स, 19 फरवरी 2007 : उत्तर कोरिया में जो हुआ है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है| ईरान और उत्तर कोरिया, दोनों पर ही अमेरिका की तोप तनी हुई थी| यह तोप कभी भी चल सकती थी| जो गति एराक़ की हुई, वही दोनों राष्टों की हो सकती थी| एराक़ में बहाना रासायनिक हथियारों का था और यहां परमाणु हथियारों का है| उ. कोरिया ने तो कोई पर्देदारी भी नहीं रखी| उसने पहले परमाणु अप्रसार संधि का … [Read more...] about चमत्कार दोहराए नहीं जा सकते
रिश्तों को बचाने का एक सफर
NavBharat Times, 9 Feb 2007 : विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की ईरान यात्रा से नाटकीय नतीजे निकलने की उम्मीद जिन लोगों को रही होगी, वे निराश हो सकते हैं। लेकिन जिन्हें भारत-ईरान संबंधों की वर्तमान पेचीदगियों का पता है, वे मानेंगे कि यह यात्रा सार्थक रही। सबसे बड़ी बात तो यह कि यात्रा के दौरान कोई बदमजगी नहीं हुई। भारत सरकार में मुखर्जी की जैसी वरिष्ठता है, उसे तेहरान में पूरी … [Read more...] about रिश्तों को बचाने का एक सफर
रिश्तों को बचाने का एक सफर
NavBharat Times, 9 Feb 2007 : विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की ईरान यात्रा से नाटकीय नतीजे निकलने की उम्मीद जिन लोगों को रही होगी, वे निराश हो सकते हैं। लेकिन जिन्हें भारत-ईरान संबंधों की वर्तमान पेचीदगियों का पता है, वे मानेंगे कि यह यात्रा सार्थक रही। सबसे बड़ी बात तो यह कि यात्रा के दौरान कोई बदमजगी नहीं हुई। भारत सरकार में मुखर्जी की जैसी वरिष्ठता है, उसे तेहरान में पूरी … [Read more...] about रिश्तों को बचाने का एक सफर