दैनिक भास्कर, 11 अक्टूबर 2007 : सरकार को यों तो दस दिन की मोहलत और मिल गई है लेकिन वह यह समझ नहीं पा रही है कि कम्युनिस्टों के साथ चल रही रस्साकशी में वह रोज़ अपना कितना नुकसान करती जा रही है| 22 अक्तूबर तक मोहलत मिलने के कारण सेंसक्स में तो उछाल आ गया लेकिन सरकार के इक़बाल में कितनी गिरावट आ गई, क्या इसका अंदाज कॉंग्रेसियों को है? सेंसेक्स का जादू किन पर चलता है? देश के 5-7 … [Read more...] about सरकार गिराने की कोई तुक नहीं
Archives for 2007
सरकार गिराने की कोई तुक नहीं
दैनिक भास्कर, 11 अक्टूबर 2007 : सरकार को यों तो दस दिन की मोहलत और मिल गई है लेकिन वह यह समझ नहीं पा रही है कि कम्युनिस्टों के साथ चल रही रस्साकशी में वह रोज़ अपना कितना नुकसान करती जा रही है| 22 अक्तूबर तक मोहलत मिलने के कारण सेंसक्स में तो उछाल आ गया लेकिन सरकार के इक़बाल में कितनी गिरावट आ गई, क्या इसका अंदाज कॉंग्रेसियों को है? सेंसेक्स का जादू किन पर चलता है? देश के 5-7 … [Read more...] about सरकार गिराने की कोई तुक नहीं
ऐसे पड़ोस का हम करें क्या
NavBharat Times, 06 Oct 2007 : भारत क्या करे? अपने राष्ट्रहितों की रक्षा करे या पड़ोसी देशों में लोकतंत्र की रक्षा करे? अपना राष्ट्रहित बड़ा है या दूसरों कालोकतंत्र? भारत के चारों तरफ लोकतंत्र लहूलुहान हुआ पड़ा है और भारत ने अपने होंठ सिले हुए हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का दुखड़ा यह है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा जैसे बड़े पड़ोसियों की छाती पर सेना सवार है और … [Read more...] about ऐसे पड़ोस का हम करें क्या
बर्मा के मामले में भारत चुप न बैठे
राष्ट्रीय सहारा, 28 सितंबर 2007 : बर्मा, जिसे हम ब्रह्रमदेश कहते रहे हैं, भ्रमदेश बन गया है| बर्मा को लेकर भारत जितना भ्रमित है, कोई अन्य देश नहीं है| बर्मा के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का सारी दुनिया समर्थन कर रही है लेकिन हमारे विदेश मंत्री कहते हैं कि यह बर्मा का आंतरिक मामला है| फौज और जनता मिलकर इसे सुलझाए| ऐसा कहने का क्या मतलब है? कुछ भी नहीं| यह कूटनीतिक शून्य है| भारत के … [Read more...] about बर्मा के मामले में भारत चुप न बैठे
नेपाल फिर चौराहे पर
रा. सहारा, 21 सितंबर 2007 : माओवादियों ने कोईराला सरकार से इस्तीफा क्या दिया, नेपाल को दुबारा चौराहे पर ला खड़ा किया है| अभी केवल चार माओवादी मंत्री ही सरकार से बाहर आए हैं| कोई आश्चर्य नहीं कि सारे माओवादी सांसद अपने पद से इस्तीफा दे दें| यों तो आज की नेपाली सरकार और संसद दोनों ही जनता द्वारा नहीं चुनी गई हैं| वे नेताओं के आपसी समझौंतों की उपज हैं लेकिन फिर भी यह माना जा रहा … [Read more...] about नेपाल फिर चौराहे पर
मुशर्रफ सिंहासन खाली करो कि नवाज़ आते है
जनसत्ता, 7 सितंबर 2007 : रावलपिंडी में हुए दो बम-विस्फोटों ने मुशर्रफ-बेनज़ीर सौदेबाजी के कोढ़ में नई खाज पैदा कर दी है| जिस आधार पर अमेरिका इस समझौते को बढ़ावा दे रहा है, वह ढहता हुआ नज़र आ रहा है| अमेरिका का लक्ष्य बहुत सीमित है| तानाशाह से भी हाथ मिलाना पड़े तो उसे कोई एतराज़ नहीं है| आतंकवादियों ने पाकिस्तान के फौजी मुख्यालय के निकट बम-विस्फोट करके यह स्प”ट संदेश दे दिया है … [Read more...] about मुशर्रफ सिंहासन खाली करो कि नवाज़ आते है
भाजपा के पैंतरा-पलट की पहेली
रा. सहारा, 1 सितंबर 2007 : परमाणु समझौते के सवाल पर भाजपा के बदलते हुए पैतरे जनता के लिए एक पहेली बन गये है| क्या प्रतिपक्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शीर्षासन कर दिया था? क्या उन्होंने मनमोहनसिंह-सरकार से गुपचुप हाथ मिला लिया था? क्या अमेरिकियों ने उन्हें अपने जाल में वैसे ही फॅंसा लिया है, जैसे उन्होंने बेनज़ीर भुट्टो को फॅंसा रखा है? जैसे बेनज़ीर मुशर्रफ से हाथ मिलाने को … [Read more...] about भाजपा के पैंतरा-पलट की पहेली
आतंकवादी हवा में से पैदा नहीं होते
Navbharat Times, 29 Aug 2007 : क्या अब हैदराबाद भी आतंकवाद की सूची में एक और नाम की तरह टांग दिया जाएगा? लगता तो यही है। हर आतंकवादी खून-खराबे के बाद हमारे नेतागण जैसे मगरमच्छ के आंसू हमेशा बहाते हैं, वैसे उन्होंने अब भी बहा दिए हैं। हताहतों के प्रति सहानुभूति और सरकारी ढिलाई की निंदा करके विपक्षी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। सरकार मोटा सा मुआवजा देकर पड़ोसी राष्ट्रों के माथे काला … [Read more...] about आतंकवादी हवा में से पैदा नहीं होते
जब दो सागर मिलते हैं
NavBharat Times, 25 Aug 2007 : भारत और जापान का मिलन क्या एशिया की शक्ल बदल सकता है, यह सवाल उभरता है जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से। इस सवाल का जवाब सकारात्मक ही है, क्योंकि जापान एशिया का सबसे मालदार देश है और भारत के पास सर्वश्रेष्ठ जनबल और बुद्धिबल है। दोनों का मिलन एशिया की गरीबी दूर करने में वह भूमिका निभा सकता है, जो किन्हीं अन्य दो राष्ट्रों का मिलन नहीं निभा … [Read more...] about जब दो सागर मिलते हैं
सरकार पर सवार खुदकुशी की सनक
दैनिक भास्कर, 22 अगस्त 2007 : इस समय सबसे ज्वलंत प्रश्न यही है कि क्या मनमोहन-सरकार गिर जाएगी? और गिर गई तो देश की राजनीति किधर जाएगी? परमाणु-समझौते का क्या होगा? भारत की विदेश नीति पर उसका क्या असर पड़ेगा? सरकार के गिरने का अंदेशा इसलिए बढ़ गया है कि वामपंथियों द्वारा निकाला गया मध्यम मार्ग भी सरकार के गले नहीं उतर रहा है| शनिवार को अनेक टीवी चैनलों ने प्रचार कर दिया था कि … [Read more...] about सरकार पर सवार खुदकुशी की सनक