Nav Bharat, 29 Oct. 2002 : जयललिता ने धर्म-परिवर्तन विरोधी अध्यादेश जारी क्या किया, जैसे मुर्गियों के दड़बे में बिल्ली घुस गई | पादरी और मुल्ला इस क़दर चिल्ला रहे है, मानो क़यामत आ गई हो| विरोधी दल कह रहे हैं कि भाजपा की खुशामद का यह नायाब तरीका है| जयललिता अपने मुकदमे जीतना चाहती हैं और केन्द्र सरकार में भागीदारी भी ! वे कावेरी मुद्दे से भी लोगों का ध्यान हटाना चाहती हैं| … [Read more...] about धर्म-परिवर्तन नहीं, मर्म-परिवर्तन !
Archives for October 2002
अफगानिस्तान कभी आर्याना था
आज अफगानिस्तान और इस्लाम एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं, इसमें शक नहीं लेकिन यह भी सत्य है कि वह देश जितनेसमय से इस्लामी है, उससे कई गुना समय तक वह गैर-इस्लामी रह चुका है| इस्लाम तो अभी एक हजार साल पहले हीअफगानिस्तान पहुँचा, उसके कई हजार साल पहले तक वह आर्यों, बौद्घों और हिन्दुओं का देश रहा है| धृतराष्ट्र की पत्नीगांधारी, महान संस्कृत वैयाकरण आचार्य पाणिनी और गुरू गोरखनाथ पठान ही … [Read more...] about अफगानिस्तान कभी आर्याना था
अपशब्द की राजनीति : राजधर्म की मर्यादा
R Sahar, 23 Oct 2002 : मतवाद में फँसा आदमी कितना मतवाला हो जाता है, इसका प्रमाण हैं, प्रवीण तोगडि़या, जिन्होंने ‘इटली नी कूतरी’ शब्द का प्रयोग किया| अच्छा हुआ कि अंग्रेजी अखबार गुजराती नहीं जानते | वे इसका अनुवाद ‘इटली का कुत्ता’ कर रहे हैं| यह गलत अनुवाद उतना घातक नहीं है, जितना कि सही अनुवाद होता| अनुवाद सही हो या गलत, ‘कुत्ता’ शब्द भारत में जितना गंदा माना जाता है, यूरोप और … [Read more...] about अपशब्द की राजनीति : राजधर्म की मर्यादा
मुसलमानों से कुछ बुनियादी सवाल
Jansatta, 20 Oct 2002 : मुसलमान आखिर कौन हैं, कैसे हैं, कहाँ से आए हैं, क्या करते हैं, क्या सोचते हैं, कैसे रहते हैं, गैर-मुस्लिमों से उनके रिश्ते कैसे हैं, उनके प्रति गैर-मुस्लिमों का रवैया क्या है, मुस्लिम जगत के प्रति उनका अपना रवैया क्या है, भारत और मुसलमान साथ-साथ रह सकते हैं या नहीं – ये प्रश्न इतने जटिल और गंभीर हैं कि एक-एक प्रश्न के लिए एक-एक ग्रंथ की जरूरत है और ग्रंथ … [Read more...] about मुसलमानों से कुछ बुनियादी सवाल
बुरे फँसे मुशर्रफ चुनाव के दाँव में
Dainik Bhaskar, 20 Oct 2002 : ज़रा तुलना करें, दो चुनावों की ! एक तो जो पाकिस्तान में हुआ और दूसरा, जो कश्मीर में हुआ| कश्मीरी चुनाव पर किसी ने भी उंगली नहीं उठाई| भारत-विरोधी तत्वों ने भी नहीं| उन्होंने केवल इतना ही कहा कि कई चुनाव-केन्द्रों पर मतदान लगभग शून्य रहा| यह तथ्य है| इस तथ्य के स्वीकार का अर्थ क्या है ? यही है कि जैसे लोगों को वोट देने की आज़ादी थी, वैसे ही नहीं … [Read more...] about बुरे फँसे मुशर्रफ चुनाव के दाँव में
चुनाव पाकिस्तान का और नुकसान भारत का !
R Sahara, 15 Oct 2002 : चुनाव पाकिस्तान का हुआ और नुकसान भारत का ! पाकिस्तान का यह पहला चुनाव है, जिसमें मज़हबी पार्टियों को इतनी जबर्दस्त सफलता मिली है| पिछले पचपन साल में मज़हबी पार्टियों ने हज़ार पापड़ बेले लेकिन संसद में वे कभी दस-पाँच सीटों से ज्यादा नहीं जीत पाईं| इस बार संसद में उन्हें 272 में से 51 सीटें मिली हैं याने वे तीसरी सबसे बड़ी पार्टी हैं| पहली पार्टी पाकिस्तान … [Read more...] about चुनाव पाकिस्तान का और नुकसान भारत का !
अक्षरधाम के सबक
NavBhart Times, 04 Oct 2002 : अक्षरधाम के सबक बहुत गहरे हैं| पहला सबक तो यही है कि अक्षरधाम और गोधरा जैसी घटनाओं को राज्य के निकम्मे नेतृत्व के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता| यदि अक्षरधाम को गोधरा की तरह नरेंद्र मोदी के हवाले कर दिया जाता तो इस बार क्रिया की प्रतिक्रिया इतनी भयंकर होती कि सारा भारत ही काँप उठता| अक्षरधाम गोधरा नहीं था| अक्षरधाम में मरनेवाले किसी पार्टी के … [Read more...] about अक्षरधाम के सबक
दूसरे गाँधी की तलाश
रा. सहारा, 2 अक्टूबर 2002 : गाँधी को गए 54 साल हो गए लेकिन आज भी किसी की हिम्मत नहीं कि उन्हें वह अपने समय का सबसे असफल आदमी कह दे| इतनी हिम्मत तो उन कम्युनिस्टों ने भी नहीं की, जो गांधी और नेहरू को गालियाँ देते नहीं थकते थे लेकिन श्री एस.एस.गिल ने अपनी पुस्तक “गाँधी: उदात्त विफलता” में बड़ी दबी जुबान से यह कहने की कोशिश की है कि गाँधी ने जो-जो मुद्दे उठाए, लगभग सभी में वे विफल … [Read more...] about दूसरे गाँधी की तलाश
पाकिस्तानी प्रेत-बाधा और भारत-अमेरिकी संवाद
दैनिक भास्कर, 1 अक्टूबर 2002 : वह दिन पता नहीं कब आएगा, जब भारत और अमेरिका के बीच कोई तीसरा न होगा| दोनों महान लोकतंत्र सदा तीसरे की बाधा से ग्रस्त रहे हैं| भारत और अमेरिका जब भी मिलते हैं, पाकिस्तान या तो सशरीर उपस्थित होता है या मिलन-मंडप पर प्रेत की तरह मँडराता रहता है| ऐसा नहीं है कि सिर्फ बुश और वाजपेयी की मिलन-वेला में ऐसा हुआ है| चाहे नेहरू और केनेडी हों, चाहे इंदिरा और … [Read more...] about पाकिस्तानी प्रेत-बाधा और भारत-अमेरिकी संवाद