Dainik Bhaskar, 4 Dec 2003 : भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे-कैसे अजूबे होते रहते हैं| दोनों पड़ौसियों के संबंध कब खाई में उतर जाऍंगे और कब पहाड़ पर चढ़ जाऍंगे, कुछ पता ही नहीं चलता| अभी कुछ माह पहले दोनों देश एक-दूसरे को सबक सिखाने का दावा कर रहे थे और अब अचानक उन्होंने अपनी सीमाओं पर शस्त्र-विराम लागू कर दिया है और हवाई मार्ग खोलने की घोषणा कर दी है| कोई आश्चर्य नहीं कि शीघ्र … [Read more...] about दक्षेस के कारण नरम होता पाकिस्तान
Archives for 2003
कश्मीर : राग संयुक्तराष्ट्र ?
R Sahar, Dec 2003: जनरल परवेज़ मुशर्रफ के मुंह से निकली बात अगर सही है तो मानना पड़ेगा कि पाकिस्तान अपने पचास साल पुराने पिंजरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है| ‘रायटर’ को दी भेंट में मुशर्रफ ने कश्मीर पर संयुक्तराष्ट्र के प्रस्ताव को अलग रखने की बात कही है| कश्मीर के रेकॉर्ड में संयुक्तराष्ट्र की सुई इतनी गहरी अटक गई थी कि ताशकंद, शिमला और लाहौर घोषणाओं के बावजूद पाकिस्तान … [Read more...] about कश्मीर : राग संयुक्तराष्ट्र ?
टेढ़-मेढ़े सवालों पर सोनिया के सटीक जवाब
R Sahara, Dec 2003 : पॉच राज्यों के चुनाव-परिणाम आने के बाद जिस सोनिया गॉंधी को कई समीक्षक ‘गॅूगी गुडि़या’ कहने लगे थे, उसे सोनिया गॉंधी ने आज एक अन्तरराष्ट्रीय समारोह में अचानक पूछे गए टेढ़े-मेढ़े सवालों के सटीक जवाब देकर श्रोताओं का मन मोह लिया| तथाकथित ‘गॅूंगी गुडि़या’ ने अपने आपको ‘मनमोहक गुडि़या’ सिद्घ कर दिया| श्रीमती सोनिया गॉंधी ‘दक्षिण एशिया में शांति-प्रक्रिया के … [Read more...] about टेढ़-मेढ़े सवालों पर सोनिया के सटीक जवाब
विदेशी की लताड़
रा. सहारा, 30 नवंबर 2003: हिन्दी की अन्तरराष्ट्रीय स्थिति पर तीन मूर्ति भवन में संगोष्ठी चल रही है| अनेक देशों के विद्वान आए हुए हैं| चीन के युवा प्राध्यापक ज्यांग जिंग कुई ने चीन में हिन्दी की स्थिति पर अच्छा प्रकाश डाला| कैसे चीनी-हिन्दी शब्दकोश बन रहा है, कैसे रामचरितमानस का चीनी पद्यानुवाद हुआ, कैसे हिन्दी छात्रों की संख्या बढ़ रही है, आदि-आदि| हिन्दी विश्व भाषा बने, यह … [Read more...] about विदेशी की लताड़
विदेशी की लताड़
R Sahara, 30 Nov 2003 : हिन्दी की अन्तरराष्ट्रीय स्थिति पर तीन मूर्ति भवन में संगोष्ठी चल रही है| अनेक देशों के विद्वान आए हुए हैं| चीन के युवा प्राध्यापक ज्यांग जिंग कुई ने चीन में हिन्दी की स्थिति पर अच्छा प्रकाश डाला| कैसे चीनी-हिन्दी शब्दकोश बन रहा है, कैसे रामचरितमानस का चीनी पद्यानुवाद हुआ, कैसे हिन्दी छात्रों की संख्या बढ़ रही है, आदि-आदि| हिन्दी विश्व भाषा बने, यह इच्छा … [Read more...] about विदेशी की लताड़
भारत की बोली बोलता हुआ रूस
R Sahara, 25 Nov 2003 : भारत के प्रति रूस का रवैया क्या है, यह समझना दो घटनाओं के कारण जरा मुश्किल हो गया था| पहली मुशर्रफ की मास्को-यात्रा और दूसरी व्लादिमीर पूतिन का अन्तरराष्ट्रीय इस्लामी सम्मेलन में भाग लेना| इन दोनों घटनाओं के संकेत ये थे कि रूस पाकिस्तान के प्रति नरम पड़ता जा रहा है| फलस्वरूप भारत के प्रति उसकी गर्मजोशी घटती चली जाएगी| पिछले माह इंडोनेशिया में हुए … [Read more...] about भारत की बोली बोलता हुआ रूस
गीदड़ों का टीला
R Sahara, 23 Nov 2003 : क्या अपने देश में कोई ऐसा नेता है, जो यह कहे कि मैं दिलीपसिंह जू देव नहीं हॅूं ? पिछले 45 वर्षों में देश के लगभग हर महत्वपूर्ण नेता से मेरा सम्पर्क रहा है,च लेकिन आज तक मैं ऐसे किसी नेता को नहीं जानता जो अपनी राजनीति और अपनी गृहस्थी चलाने के लिए सेठों, दलालों और राजकीय कृपाकांक्षियों से पैसा नहीं लेता| पैसा लेते वक्त कोई भी नेता देनेवाले को यह कहने की … [Read more...] about गीदड़ों का टीला
Non-Indian Prime Minister in Mauritius
Hindustan Times, 20 Nov 2003 :Mauritiusattained its freedom in 1968 and every Prime Minister, since then, has been a person of Indian Origin. It is for the first time that a person of Franco-Mauritian origin, named Paul Remond Berenger (Beranje in French) has assumed the Prime Ministership of Mauritius. This political surprise has shotMauritius, a 720 sq. mile island situated … [Read more...] about Non-Indian Prime Minister in Mauritius
भारत-रूस मैत्री दुबारा पटरी पर
Dainik Bhaskar, 17 Nov 2003 : पहली बार ऐसा लग रहा है कि भारत-रूस मैत्री की गाड़ी दुबारा पटरी पर आ रही है| अब से 12 साल पहले बोरिस येल्तसिन के जमाने में जो पटरी से उतरी तो यह गाड़ी सम्हल ही नहीं पा रही थी| राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के दो-दो बार भारत आने के बावजूद यह समझ ही नहीं पड़ रहा था कि आखिर भारत से रूस चाहता क्या है ? दोनों देशों के व्यापार की सुई 7-8 करोड़ डॉलर पर ही अटक … [Read more...] about भारत-रूस मैत्री दुबारा पटरी पर
श्रीलंकाई संकट और भारत
Nav Bharat Times, 17 Nov 2003 : यह गनीमत है कि श्रीलंका में खून की नदियॉं नहीं बहीं| ऐसा नहीं है कि वहॉं सिर्फ सिंहलों और तमिलों के बीच ही तलवारें खिंचती हैं| कई बार सिंहलों और सिंहलों के बीच इतना उत्पात मचता है कि वह भारत की चिन्ता का विषय बन जाता है| 1971 में ‘जातीय विमुक्ति पेरामून’ ने चंदि्रका कुमारतुंग की माता प्रधानमंत्री सिरीमावो बंडारनायक का लगभग तख्ता ही उलट दिया था| … [Read more...] about श्रीलंकाई संकट और भारत