Nav Bharat Times, 23 Feb 2005 : विदेश सचिव श्याम सरन न तो विदेश मंत्री हैं और न ही विदेश नीति-विचारक ! उनसे यह आशा करना उचित नहीं कि वे भारतीय विदेश नीति का कोई सिद्घांत प्रतिपादित करेंगे| 14 फरवरी को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में उन्हें सुनने को जैसी भीड़ जुटी थी, वह यह मानकर चल रही थी कि विदेश नीति के मामले में आज कोई धमाका होनेवाला है| लोग यह समझ रहे थे कि या तो वे नेपाल के … [Read more...] about विदेश नीति तो है, सिद्घांत कहॉं है
Archives for February 2005
हामिद करज़ई तीसरी बार
R Sahara, 25 Feb 2005 : अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई तीसरी बार भारत आए| चार साल में तीन बार कोई भी अफगान नेता कभी भारत नहीं आया| भारत के प्रधानमंत्री को अफगानिस्तान गए 35 साल से भी ज्यादा हो गए| हामिद करज़ई आधुनिक अफगानिस्तान के ढाई सौ साल के इतिहास में पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं, जो जनता द्वारा सीधे चुने गए हैं| भारत से उनका विशेष संबंध है| वे शिमला विश्वविद्यालय में … [Read more...] about हामिद करज़ई तीसरी बार
विदेश नीति तो है, सिद्धांत कहॉं है
नवभारत टाइम्स, 23 फरवरी 2005: विदेश सचिव श्याम सरन न तो विदेश मंत्री हैं और न ही विदेश नीति-विचारक ! उनसे यह आशा करना उचित नहीं कि वे भारतीय विदेश नीति का कोई सिद्घांत प्रतिपादित करेंगे| 14 फरवरी को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में उन्हें सुनने को जैसी भीड़ जुटी थी, वह यह मानकर चल रही थी कि विदेश नीति के मामले में आज कोई धमाका होनेवाला है| लोग यह समझ रहे थे कि या तो वे नेपाल के बारे … [Read more...] about विदेश नीति तो है, सिद्धांत कहॉं है
नेपाल में क्या करें?
R Sahara, 22 Feb 2005 : आपात्काल कहीं भी थोपा जाए, भारत में या नेपाल में, उसका डटकर विरोध होना चाहिए| इसीलिए नेपाल के आपात्काल का वह पार्टी भी विरोध कर रही है, जिसने खुद भारत में कभी आपात्काल थोपा था| भारत का आपात्काल नेपाल के आपात्काल से ज्यादा बुरा था, क्योंकि यहॉं वह एक व्यक्ति की कुर्सी बचाने के लिए थोपा गया था और वहॉं वह एक संस्था का निकम्मापन सिद्घ करने के लिए थोपा गया … [Read more...] about नेपाल में क्या करें?
कौन हैं ये माओवादी
Nav Bharat Times, 15 Feb 2005 : माओवादी शब्द काफी गलतफहमी पैदा करता है| नेपाल के माओवादियों का न माओ त्से दुंग से कुछ लेना-देना है और न ही चीन से ! यह बात चीनी सरकार ने भी कई बार खुलकर कही है| अगर माओवादी किसी के बहुत समान दिखते हैं तो वे हमारे नक्सलवादी हैं| उनसे भी ज्यादा वे पेरू के ‘शाइनिंग पाथ’ आंदोलन के निकट हैं| इस आंदोलन को ‘प्रचंड पाथ’ भी कहा जाता है| माओवादियों के … [Read more...] about कौन हैं ये माओवादी
सुरक्षा पर सलाह चाहिए, दादागीरी नहीं
रा. सहारा, 12 फरवरी 2005। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर एम.के. नारायणन की नियुक्ति ने इस बहस को ठंडा कर दिया है कि भारत की सुरक्षा के लिए कोई सलाहकार परिषद् भी होनी चाहिए या नहीं| इसका मतलब क्या लगाया जाए? क्या यह नहीं कि सारा किस्सा कुर्सी का है? याने किसी खास आदमी को जब तक कुर्सी न मिले, तब तक बहस चलती रहे और कुर्सी मिलते ही वह ठंडी पड़ जाए| यह स्थिति बहुत दुर्भाग्यपूर्ण … [Read more...] about सुरक्षा पर सलाह चाहिए, दादागीरी नहीं
सुरक्षा पर सलाह चाहिए, दादागीरी नहीं
R Sahara, 12 Feb 2005 : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर एम.के. नारायणन की नियुक्ति ने इस बहस को ठंडा कर दिया है कि भारत की सुरक्षा के लिए कोई सलाहकार परिषद् भी होनी चाहिए या नहीं| इसका मतलब क्या लगाया जाए? क्या यह नहीं कि सारा किस्सा कुर्सी का है? याने किसी खास आदमी को जब तक कुर्सी न मिले, तब तक बहस चलती रहे और कुर्सी मिलते ही वह ठंडी पड़ जाए| यह स्थिति बहुत दुर्भाग्यपूर्ण … [Read more...] about सुरक्षा पर सलाह चाहिए, दादागीरी नहीं
अहिंसा ग्राम
R Sahara, 6 Feb 2005 : अहिंसा ग्राम शब्द से ऐसी ध्वनि निकलती है मानो यह कोई गॉंधीवादी या सर्वोदय आश्रम हो लेकिन यह कोरा आश्रम नहीं है| रतलाम में इस हफ्ते जिस अहिंसा ग्राम का उद्घाटन हुआ है, वह आश्रम भी है, ‘कम्यून’ भी है, यूटोपिया भी है, कार्यशाला भी है और सच पूछा जाए तो एक सपना है| एक ऐसा सपना जिसका लक्ष्य है, लोगों को गरीबी से मुक्त करना| गरीबी से मुक्ति : विकास की युक्ति – … [Read more...] about अहिंसा ग्राम
भारत की नेपाली दुविधा
NavBharat Times, 3 Feb 2005 : नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र का समर्थन कौन कर सकता है ? न भारत, न बि्रटेन और न ही अमेरिका| चीन जरा ज्यादा सावधान है, इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा यही कहेगा कि यह नेपाल का आंतरिक मामला है| नेपाल में सत्ता किसके हाथ में रहती है, राजा के हाथ में या पार्टी-नेताओं के हाथ में, यह ऊपरी तौर पर नेपाल का आंतरिक मामला ही मालूम पड़ता है ? लेकिन असली सवाल यह है कि क्या … [Read more...] about भारत की नेपाली दुविधा
हामिद करज़ई तीसरी बार
रा. सहारा, 25 Feb 2005 : अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई तीसरी बार भारत आए| चार साल में तीन बार कोई भी अफगान नेता कभी भारत नहीं आया| भारत के प्रधानमंत्री को अफगानिस्तान गए 35 साल से भी ज्यादा हो गए| हामिद करज़ई आधुनिक अफगानिस्तान के ढाई सौ साल के इतिहास में पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं, जो जनता द्वारा सीधे चुने गए हैं| भारत से उनका विशेष संबंध है| वे शिमला विश्वविद्यालय में … [Read more...] about हामिद करज़ई तीसरी बार