जनसत्ता, 28 जून 2007 : इस बार राष्ट्रपति का चुनाव पता नहीं किस-किस की बलि लेगा? यह भारतीय राजनीति का निगम-बोध घाट क्यों बन गया है? राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अच्छे-खासे रिटायर हो रहे थे लेकिन तीसरे मोर्चे ने उनके गले में चुनाव का टायर बांध दिया| दुबारा राष्ट्रपति बनने की इमली लटकी देखकर कलाम के मुंह में पानी भर आया| सर्वसम्मति के कुतुब मीनार से उतरकर वे ‘जीत की संभावना’ के … [Read more...] about राष्ट्र (पति) की नब्ज़ कहॉं है
Archives for June 2007
राष्ट्र (पति) की नब्ज़ कहॉं है
जनसत्ता, 28 जून 2007 : इस बार राष्ट्रपति का चुनाव पता नहीं किस-किस की बलि लेगा? यह भारतीय राजनीति का निगम-बोध घाट क्यों बन गया है? राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अच्छे-खासे रिटायर हो रहे थे लेकिन तीसरे मोर्चे ने उनके गले में चुनाव का टायर बांध दिया| दुबारा राष्ट्रपति बनने की इमली लटकी देखकर कलाम के मुंह में पानी भर आया| सर्वसम्मति के कुतुब मीनार से उतरकर वे ‘जीत की संभावना’ के … [Read more...] about राष्ट्र (पति) की नब्ज़ कहॉं है
फलस्तीन में नए अल-क़ायदा का उदय
नवभारत टाइम्स, 28 June 2007 : अब से डेढ़ साल पहले किसने सोचा था कि फलस्तीन के दो टुकड़े हो जाऍंगे और वहॉं भी एक नए अल-क़ायदा की नींव पड़ सकती है| सच्चाई तो यह है कि पिछले 59 साल में उसके तीन टुकड़े हो गए हैं| पहले इस्राइल और फलस्तीन बने और अब ‘फतहस्तान’ और ‘हमास्तान’ बन गए| ‘फतह’ और ‘हमास’ की लड़ाई ने अब बचे-खुचे फलस्तीन के भी दो टुकड़े कर दिए| पश्चिमी तट पर ‘फतह’ का कब्जा है … [Read more...] about फलस्तीन में नए अल-क़ायदा का उदय
पाकिस्तान फंसा है अज़ीब असमंजस में
जनसत्ता, 19 जून 2007 : जनरल परवेज़ मुशर्रफ अब जाऍंगे या रहेंगे, यह प्रश्न दिल्ली के कूटनीतिक तबकों में आजकल जमकर पूछा जा रहा है| यह प्रश्न अभी तक इसीलिए नहीं पूछा गया था कि बलूच नेता अकबर बुगती की हत्या और मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी के बावजूद मुशर्रफ की शेष सारी गोटियॉं फिट मालूम पड़ रही थीं| फौज उनके साथ थी, अमेरिकी उनको टिकाए रखना चाहते थे, सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग उनका झंडा … [Read more...] about पाकिस्तान फंसा है अज़ीब असमंजस में
राष्ट्रपति के चुनाव में नई परंपरा कायम करें
NavBharat Times, 16 June 2007 : सत्तारूढ़ दल ने प्रतिभा पाटिल को अपना उम्मीदवार बनाया तो लोग यह मानकर चल रहे हैं कि अगली राष्ट्रपति वही होंगी। संजीव रेड्डी के अपवाद को भूल जाएं तो अब तक ऐसा ही होता आया है। यदि प्रतिभा राष्ट्रपति महोदया कहलाएंगी, तो स्वतंत्र भारत केइतिहास में यह 1 नई बात होगी। भारत ने दुनिया को उस समय महिला प्रधानमंत्री दी थी, जब पश्चिमी जगत इस अजूबे की कल्पना … [Read more...] about राष्ट्रपति के चुनाव में नई परंपरा कायम करें
हिरना, समझ-बुझ बन चरना
राष्ट्रीय सहारा, 12 जून 2007 : भारत-अमेरिका वार्ता भंग नहीं नहीं हुई, यह खुशी की बात है| अगर वह सफल हो जाती तो वह दुनिया का आठवाँ आश्चर्य होता| वह सफल हो जाए, यह कौन नहीं चाहेगा? यदि दोनों राष्ट्रों के बीच परमाणु-सहयोग के दरवाज़े खुल जाएँ तो पता नहीं ऊर्जा के कौन-कौन से एरावत भारत में टहलने लगेंगे| परमाणु ऊर्जा की उपलब्धि बिजली और पेट्रोल को पानी की तरह सस्ता कर देगी| भारत के … [Read more...] about हिरना, समझ-बुझ बन चरना
हिरना, समझ-बुझ बन चरना
राष्ट्रीय सहारा, 12 जून 2007 : भारत-अमेरिका वार्ता भंग नहीं नहीं हुई, यह खुशी की बात है| अगर वह सफल हो जाती तो वह दुनिया का आठवाँ आश्चर्य होता| वह सफल हो जाए, यह कौन नहीं चाहेगा? यदि दोनों राष्ट्रों के बीच परमाणु-सहयोग के दरवाज़े खुल जाएँ तो पता नहीं ऊर्जा के कौन-कौन से एरावत भारत में टहलने लगेंगे| परमाणु ऊर्जा की उपलब्धि बिजली और पेट्रोल को पानी की तरह सस्ता कर देगी| भारत के … [Read more...] about हिरना, समझ-बुझ बन चरना
गुर्जरों के बहाने आरक्षण पर नया सोच
नवभारत टाइम्स, 3 जून 2007 : गुर्जरों को डंडे के जोर से अगर दबा भी दिया गया तो भी आरक्षण की यह आग पूरे देश में फैले बिना नहीं रहेगी| जातीय विद्वेष का यह मामला सिर्फ राजस्थान तक ही सीमित नहीं है| देश के हर प्रांत में आग का यह दरिया खदबदा रहा है| जो देख सकते हैं, उन्हें वह पहले से दिखाई दे रहा है| मीणों और गुर्जरों के बीच जो जातीय जलन हम राजस्थान में देख रहे हैं, वह अन्य प्रांतों … [Read more...] about गुर्जरों के बहाने आरक्षण पर नया सोच