नवभारत टाइम्स, 28 अप्रैल 2008 : सरकार और उद्दंड नेताओं पर हमारी अदालतें आजकल जैसे कोड़े बरसाती हैं, उसके कारण उनकी प्रतिष्ठा में चार चॉंद लग गए हैं लेकिन क्या इसी कारण अदालतों और जजों को कानून के ऊपर मान लिया जाना चाहिए? अगर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन की बात मान ली जाए तो हमारे जज सिर्फ स्वतंत्र् ही नहीं होंगे, कानून के ऊपर भी होंगे| मुख्य न्यायाधीश … [Read more...] about हमारे जज कानून के ऊपर नहीं
Archives for April 2008
शिक्षा से ही नहीं, नौकरी से भी जाए अंग्रेजी
दैनिक भास्कर, 28 अप्रैल 2008 : प्रो. यशपाल यों तो हैं, वैज्ञानिक लेकिन बात उन्होंने ऐसी कह दी है, जो महात्मा गांधी और राममनोहर लोहिया ही कह सकते थे| आजकल वे एनसीईआरटी की राष्ट्रीय पाठ्रयक्रम समिति के अध्यक्ष हैं| इस समिति का काम देश भर की शिक्षा-संस्थाओं के लिए पाठ्रयक्रम बनाना है| ऐसी कई समितियॉं पहले भी बन चुकी हैं और कई नामी-गिरामी शिक्षाविद उनके अध्यक्ष और सदस्य रहे हैं … [Read more...] about शिक्षा से ही नहीं, नौकरी से भी जाए अंग्रेजी
मुशर्रफ-बेनज़ीर सौदेबाजी के खतरे
नवभारत टाइम्स, 28 अप्रैल 2007 : मुशर्रफ और बेनज़ीर के बीच सौदेबाजी चल रही है या नहीं, इस बारे में अब कोई संदेह नहीं रह गया है| खुद बेनज़ीर ने मंगलवार को लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में सारी धुंध छाँट दी है| अपने भाषण के बाद एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने साफ़-साफ़ मान लिया कि मुशर्रफ के साथ सौदेबाजी करने से उनकी साख को बट्टा जरूर लगेगा, लेकिन उनके लिए अपनी साख से भी ज्यादा जरूरी … [Read more...] about मुशर्रफ-बेनज़ीर सौदेबाजी के खतरे
हमारे जज कानून के ऊपर नहीं
नवभारत टाइम्स, 28 अप्रैल 2008 : सरकार और उद्दंड नेताओं पर हमारी अदालतें आजकल जैसे कोड़े बरसाती हैं, उसके कारण उनकी प्रतिष्ठा में चार चॉंद लग गए हैं लेकिन क्या इसी कारण अदालतों और जजों को कानून के ऊपर मान लिया जाना चाहिए? अगर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन की बात मान ली जाए तो हमारे जज सिर्फ स्वतंत्र् ही नहीं होंगे, कानून के ऊपर भी होंगे| मुख्य न्यायाधीश … [Read more...] about हमारे जज कानून के ऊपर नहीं
चापलूसी भारतीय राजनीति का ब्रह्रमास्त्र् है
जनसत्ता, 22 अप्रैल 2008 : समझ में नहीं आता कि बेचारे अर्जुनसिंह के पीछे सारे लोग हाथ धोकर क्यों पड़े हैं? ऐसा क्या कह दिया है, अर्जुन सिंह ने? उन्होंने यह तो नहीं कहा कि राहुल गॉंधी को अभी प्रधानमंत्री बनाओ| उन्होंने खुद कुछ नहीं कहा| एक पत्र्कार ने पूछा तो वे बोल पड़े कि ‘कोई हर्ज नहीं, राहुल को प्रधानमंत्री बनाने में !’ राहुल को प्रधानमंत्री कब बनाऍं, इस बारे में उन्होंने कुछ … [Read more...] about चापलूसी भारतीय राजनीति का ब्रह्रमास्त्र् है
प्रियंका-नलिनी प्रसंग के गहरे अर्थ
दैनिक भास्कर, 18 अप्रैल 2008 : प्रियंका और नलिनी की भेंट में बहुत-से लोग राजनीति पढ़ रहे हैं| यह उनका दोष नहीं है| राजनीति की फितरत ही कुछ ऐसी है| अपने प्रतिस्पर्धी तो क्या, अपने किसी पि्रय साथी का यदि थोड़ा-सा भी उत्कर्ष हो जाए, उसकी लोकपि्रयता बढ़ जाए या मीडिया में उसे प्रचार मिल जाए तो अच्छे-अच्छे भी जल-भुनकर राख हो जाते हैं| पि्रयंका ने अपने पिता की हत्यारी नलिनी से मिलकर … [Read more...] about प्रियंका-नलिनी प्रसंग के गहरे अर्थ
पटरी पर लौटेगी कोटा एक्सप्रेस
नवभारत टाइम्स, 15 अप्रैल 2008 : आरक्षण की क्रांति पथभ्रष्ट होने लगी थी| उच्चतम न्यायालय ने उसे बचा लिया| यदि उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण पर जो निर्णय आज दिया है, वह नहीं देता तो कार्ल मार्क्स का वर्ग-संघर्ष भारत में जात-संघर्ष के रूप में प्रगट होता| नौकरियों के आरक्षण ने पिछड़ों और अनुसूचितों का भला तो बहुत कम किया लेकिन आम लोगों में इतनी जलन पैदा कर दी कि वे आरक्षण को ही उखाड़ … [Read more...] about पटरी पर लौटेगी कोटा एक्सप्रेस
नेपाली चुनाव के रंग अनेक
रा. सहारा, 8 अप्रैल 2008 : नेपाल अपनी संविधान सभा 10 अप्रैल को चुनेगा| 10 अप्रैल को चुनाव होंगे या नहीं, यह भी अभी तक सुनिश्चित नहीं है| संविधान सभा के चुनाव पिछले साल दो बार स्थागित हो चुके हैं| चुनावों को स्थगित करने में हर प्रमुख दल और प्रमुख नेता की दिलचस्पी है| यदि चुनाव नहीं होंगे तो यही संसद, यही सरकार, यह व्यवस्था जैसे-तैसे चलती रहेगी| जो लोग सत्ता में बैठे हैं, उनकी … [Read more...] about नेपाली चुनाव के रंग अनेक
नई दिशा में बढ़ता पाकिस्तान
दैनिक भास्कर, 3 अप्रैल 2008 : साठ साल बाद अब पाकिस्तान का पुण्योदय हो रहा है| पिछले साठ साल में किसी भी प्रधानमंत्री को संसद ने कभी सर्वसम्मति से वैसे स्वीकार नहीं किया, जैसे सय्यद युसुफ रज़ा गिलानी को किया है| हारी हुई मुस्लिम लीग (क़ायदे आज़म) ने भी गिलानी का समर्थन किया है| इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में जनमत की ऑंधी कितनी प्रबल है| गिलानी के विरोध का मतलब होता मुशर्रफ का … [Read more...] about नई दिशा में बढ़ता पाकिस्तान