राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने आग्रह किया है कि लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। यदि ऐसा हो जाए तो नरेंद्र मोदी का नाम भारत के इतिहास में जरुर दर्ज हो सकता है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तो आते-जाते रहते हैं। इतिहास के बरामदों में उनके नाम कहां गुम हो जाते हैं, किसी को पता नहीं चलता लेकिन ऐसे लोगों के नाम, चाहे वे इन कुर्सियों को भरें या न भरें, इतिहास हमेशा … [Read more...] about सारे चुनाव एक साथ हों
Archives for January 2018
चपरासी की नौकरी के लिए भगदड़
मध्यप्रदेश में चपरासी की नौकरी के लिए 2 लाख 81 हजार लोगों ने अर्जी लगाई है और नौकरियां हैं, कुल 738 क्या सर्वज्ञी इस मोटी-मोटी बात को भी कभी अपने मन में जगह देंगे? और इस पर कुछ अपने मन की बात कहेंगे? इस बात का अर्थ क्या है? चपरासी की 7-8 सौ नौकरियों के लिए लगभग 3 लाख नौजवान दौड़ पड़े हैं, आखिर क्यों? इसीलिए कि देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। भूखा-प्यासा आदमी क्या करे? और कुछ … [Read more...] about चपरासी की नौकरी के लिए भगदड़
अफगानिस्तान में अराजकता
अभी काबुल के इंटरकांटिनेंटल होटल पर हुए तालिबानी हमले का खून सूखा भी नहीं था कि दूसरा हमला इतना भयंकर हो गया कि पूरा अफगानिस्तान थर्रा गया। पहले हमले में 22 लोग मारे गए थे और इसमें 100 लोग मारे गए हैं। सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। अफगानिस्तान में शायद ही कोई दिन बीतता हो, जबकि आतंकी हमलों में लोग न मारे जाते हों। संयुक्तराष्ट्र संघ के एक आंकड़े के अनुसार लगभग 10 लोग रोज मारे जाते … [Read more...] about अफगानिस्तान में अराजकता
डार्विन और सत्यपाल सिंह
केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री सत्यपाल सिंह के एक बयान को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है। अपने आप को वैज्ञानिक समझने वाले लोग काफी बौखलाए हुए हैं। डा. सत्यपाल सिंह ने अपने एक भाषण में चार्ल्स डार्विन के विकासवाद को रद्द कर दिया और कह दिया कि ऐसे तर्करहित सिद्धांतों को भारतीय पाठ्य-पुस्तकों से निकाल बाहर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डार्विन सही होता तो पिछले 2 लाख साल … [Read more...] about डार्विन और सत्यपाल सिंह
भारत माता के मानस-पुत्र ये देश
भारत के दक्षिण पूर्व में बसे ‘एसियान’ संगठन के दस सदस्य-देशों का एक साथ भारत में जुटना अपने आप में अपूर्व घटना है, बिल्कुल वैसे ही जैसे कि 2014 में मोदी के शपथ समारोह में दक्षेस के आठों राष्ट्र उपस्थित हुए थे। दक्षेस-राष्ट्रों को एकजुट करने का मूल विचार मेरा था और मैंने पड़ौसी देशों के कुछ नेताओं को खुद फोन करके भारत आने के लिए प्रेरित किया था। वह सम्मेलन तो अद्भुत था लेकिन … [Read more...] about भारत माता के मानस-पुत्र ये देश
यह शायद ताजमहल से भी सुंदर
आज पुणें में एक एतिहासिक समारोह में भाग लेने का मौका मुझे मिला। पुणें शहर से लगा हुआ एक राजबाग नामक क्षेत्र है। यहां कभी राजकपूर का विशाल फार्म हाउस हुआ करता था। आजकल उसकी मिल्कियत पुणें के प्रसिद्ध शिक्षाविद डाॅ. विश्वनाथ कराड़ के पास है। डाॅ. कराड़ ने इस विशाल क्षेत्र में फिल्मी हस्तियों और प्रसिद्ध कलाकारों का सुंदर संग्रहालय तो बना ही दिया है। अब वे जो स्तूप या गुंबद वहां … [Read more...] about यह शायद ताजमहल से भी सुंदर
मार्क्सवादी पार्टी: सिद्धांत पर सत्ता भारी
मार्क्सवाद और लोकतंत्र में 36 का आकड़ा है। दोनों एक दूसरे के घनघोर विरोधी हैं। लेकिन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने इस धारणा को शीर्षासन करवा दिया है। किसी भी कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव उसके देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी अधिक शक्तिशाली होता है। वह किसी तानाशाह से कम नहीं होता लेकिन इस बार भारत की मार्क्सवादी पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी अपनी ही पार्टी … [Read more...] about मार्क्सवादी पार्टी: सिद्धांत पर सत्ता भारी
दावोस में हम क्या मुंह दिखाएंगे?
दावोस में होनेवाले विश्व आर्थिक मंच पर हम क्या मुंह दिखाएंगे ? 20 साल में हमारा कोई भी प्रधानमंत्री वहां क्यों नहीं गया ? जिन दिनों भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे तेज रफ्तारवाली अर्थव्यवस्था माना जा रहा था, उन दिनों भी हमारे प्रधानमंत्री, जो कि अच्छे-खासे अर्थशास्त्री थे, वहां नहीं गए लेकिन हमारे सर्वज्ञजी वहां खुशी-खुशी पहुंच गए हैं। मैं उनकी हिम्मत की दाद देता हूं। … [Read more...] about दावोस में हम क्या मुंह दिखाएंगे?
हिंदी अखबारों की भ्रष्ट भाषा
आजकल मैं मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई शहरों और गांवों में घूम रहा हूं। जहां भी रहता हूं, सारे अखबार मंगवाता हूं। मराठी के अखबारों में बहुत कम ऐसे हैं, जो अपनी भाषा में अंग्रेजी का प्रयोग धड़ल्ले से करते हों। उनके वाक्यों में कहीं-कहीं अंग्रेजी के शब्द आते जरुर हैं लेकिन वे ऐसे शब्द हैं, जो या तो अत्यंत लोकप्रिय हो गए हैं या फिर उनका अनुवाद करना ही कठिन है लेकिन हिंदी के … [Read more...] about हिंदी अखबारों की भ्रष्ट भाषा
ट्रंप के दूध में मक्खी गिरी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही है। उनकी चार वर्षीय अवधि का ज्यों ही दूसरा साल शुरु हुआ, दूध में मक्खी गिर गई। पिछले एक साल में उनके कई मंत्रियों, अफसरों और सलाहकारों ने इस्तीफे दे दिए। लगभग दर्जन स्त्रियों ने उन पर व्यभिचार और बलात्कार के आरोप जड़ दिए। अब अमेरिकी संसद (सीनेट) ने उनकी सरकार का हुक्का-पानी बंद कर दिया है याने वह जब तक बजट पास नहीं … [Read more...] about ट्रंप के दूध में मक्खी गिरी