Dainik Bhaskar, 27 June 2004 : भारत के लिए चीन आज भी अजूबा है| भारत का सबसे बड़ा पड़ौसी लेकिन सबसे बड़ा अजनबी भी ! 42 साल का अंतराल पड़ गया| अगर 1962 का युद्घ नहीं होता तो शायद भारत और चीन मिलकर दुनिया का नक्शा ही बदल देते| दोनों देश इस बीच एक-दूसरे से कटे रहे| चीन दुनिया का ऐसा अकेला देश है, जिसमें अगर कोई भारतीय यात्री जाए तो उससे पूछा जाता है कि क्या आप पाकिस्तान से आए हैं? … [Read more...] about चीन में मैंने क्या देखा?
Archives for June 2004
आगे बढ़ रहा है भारत-पाक कारवॉं
R Sahara, 26 June 2004 : भारत में नई सरकार बनते ही भारत और पाकिस्तान के बीच गलतफहमियों का बाजार गर्म हो गया था। तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई थी लेकिन अब जो रहा है, वह लगभग चमत्कार ही है। चाहे परमाणु मुद्दे पर अफसरों की बातचीत हो या दोनों देशों के विदेश मंत्रिायों की चीन में भेंट हो, ऐसा लग रहा है, मानो भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, सहयोगी हैं और यह भी संभव है कि … [Read more...] about आगे बढ़ रहा है भारत-पाक कारवॉं
भाजपा जड़ों की ओर या जड़ता की ओर ?
नवभारत टाइम्स, 26 जून 2004 : भाजपा के मुंबई अधिवेशन की इबारत बहुत उलझी हुई है| उसे कैसे पढ़ा जाए? उसका पहला संकेत तो यही है कि भाजपा अब भी एक अनुशासित और शालीन पार्टी है| अगर ऐसा नहीं होता तो अटलबिहारी वाजपेयी पर सीधा हमला होता, जैसा कि 1977 की हार के बाद कॉंग्रेस (इ) की पहली बैठक में इंदिरा गॉंधी पर हुआ था| पार्टी अध्यक्ष ने व्यक्तिवाद के विरुद्घ मॅुंह जरूर खोला लेकिन उसमें से … [Read more...] about भाजपा जड़ों की ओर या जड़ता की ओर ?
विदेश नीति के दड़बे में नटवर की बिल्लियॉं
नई दुनिया, इंदौर, 18 जून 2004: कॉंग्रेस-गठबंधन सरकार बनने के बाद अखबारों की सुर्खियों में विदेशमंत्री नटवर सिंह जितने उछले हैं, उतने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नहीं ! यों नटवर और मनमोहन का मतलब एक ही है| दोनों शब्दों का मतलब है – कृष्ण कन्हैया ! कृष्ण को कूटनीति का सबसे बड़ा और सबसे पहला पंडित माना जाता है| नटवर सिंह भी वर्तमान भारतीय कूटनीति के कृष्ण बन सकते हैं, क्योंकि किसी … [Read more...] about विदेश नीति के दड़बे में नटवर की बिल्लियॉं
चेहरे और मुखौटे की लड़ाई
Nav Bharat Times, 18 June 2004 : क्या मुकुट अब सिर्फ मुखौटा रह गया है? ‘मुखौटा’ कह देने भर से गोविन्दाचार्य जैसे प्रतिभाशाली नेता की कभी बलि चढ़ गई थी और अब जबकि पार्टी अध्यक्ष वैंकय्या नायडू ने पार्टी का असली चेहरा दिखा दिया है, कोई उनका बाल भी बॉंका नहीं कर सकता| वैंकय्या पार्टी-अध्यक्ष जरूर हैं लेकिन गोविंदाचार्य उनसे कमतर नहीं थे| फिर क्या वजह है कि वैंकय्या ने खुलकर हर … [Read more...] about चेहरे और मुखौटे की लड़ाई
विदेश नीति के दड़बे में नटवर की बिल्लियॉं
Nai Dunida, Indore, 18 June 2004 : कॉंग्रेस-गठबंधन सरकार बनने के बाद अखबारों की सुर्खियों में विदेशमंत्री नटवर सिंह जितने उछले हैं, उतने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नहीं ! यों नटवर और मनमोहन का मतलब एक ही है| दोनों शब्दों का मतलब है – कृष्ण कन्हैया ! कृष्ण को कूटनीति का सबसे बड़ा और सबसे पहला पंडित माना जाता है| नटवर सिंह भी वर्तमान भारतीय कूटनीति के कृष्ण बन सकते हैं, क्योंकि … [Read more...] about विदेश नीति के दड़बे में नटवर की बिल्लियॉं
क्यों हुए विदेशमंत्री विवादग्रस्त ?
Dainik Bhasakra, 18 June 2004 : विदेश मंत्री बनते ही नटवरसिंह के बयानों ने जितने विवाद खड़े कर दिए, अब तक किसी अन्य विदेश मंत्री के बयानों ने नहीं किए| सिर्फ विदेश में ही नहीं, अपने देश में भी विवाद खड़े हो गए| विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ऐसे मंत्रालय हैं, जिनके बारे में विवाद कम ही होते हैं, क्योंकि सरकारें बदल जाने के बावजूद विदेश और रक्षा नीतियॉं नहीं बदलती हैं| इसके … [Read more...] about क्यों हुए विदेशमंत्री विवादग्रस्त ?
चीन में चैन मनमोहन से
NavBharat Times, 8 June 2004 : श्रीमती सोनिया गॉंधी ने जिस रात घोषणा की कि वे प्रधानमंत्री नहीं बनेंगी, उसके अगले दिन ही हम शंघाई पहॅुंचे| शंघाई के विश्व-अध्ययन संस्थान में भारतीय और चीनी विद्वानों के बीच दो दिन तक भारत-चीन संबंधों पर गहन सम्वाद चलता रहा| चीनी पक्ष चिंतित था कि जो भी नई सरकार बनेगी, वह चीन के साथ पता नहीं कैसे संबंध रखेगी| पता नहीं कौन भारत का प्रधानमंत्री … [Read more...] about चीन में चैन मनमोहन से
एराक में संप्रभुता लौटाने का नाटक
पिछले सवा साल में अमेरिका की छवि कई स्तरों पर धूमिल हुई है| बि्रटेन को छोड़ दें| वह अपवाद है| फ्रांस और जर्मनी ने अमेरिकी हमले का डटकर विरोध किया था| अमेरिकी फौजी कार्रवाई के विरुद्घ जितने प्रचंड प्रदर्शन सारे विश्व में हुए पहले कभी नहीं हुए| टोनी ब्लेयर ने बुश का साथ जरूर दिया लेकिन इसी कारण वे इतने कमजोर हो गए हैं कि इस बार वे चुनाव हार जाऍंगे| बुश भी हार सकते हैं और ब्लेयर … [Read more...] about एराक में संप्रभुता लौटाने का नाटक