Jansatta, 23 July 2006 : पिछले दो हजार साल में भारत ने चीनियों को इतनी विद्याएँ, इतना धर्म, इतना दर्शन और इतना आचार-विचार सिखाया है कि अब हम उनसे कुछ सीखना चाहें तो इसमें हमारे आत्म-सम्मान को ठेस लगने का कोई प्रश्न नहीं उठता| पिछले तीन हफ्ते मैं चीन में रहा तो पहले 8-9 दिन तो भाषणों और संगाष्ठियों में ही बीत गए| उनमें भी घूमने-फिरने और लोगों को देखने-बरतने का मौका मिला| लेकिन … [Read more...] about चीन से हम क्या सीखें
Archives for 2006
विश्व हिंदी : मजबूरी नहीं, चुनौती
राष्ट्रीय सहारा, 22 जनवरी 2006 : हर 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाएगा, यह घोषणा सरकार ने इतनी दबी जुबान से की है कि बहुत से हिंदी अखबारों को ही कुछ पता नहीं चला है हैदराबाद के प्रवासी सम्मेलन के दौरान सरकार को याद आया कि पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में 10 जनवरी 1975 को आयोजित किया गया था| इस घोषणा को खुद सरकार ने कितना महत्व दिया है, वह इसी से साबित हो जाता है कि … [Read more...] about विश्व हिंदी : मजबूरी नहीं, चुनौती
इस्राइली अतिवाद के खतरे
R Sahara, 26 July 2006 : किसे गलत कहें ? इस्राइल को या हमास और हिजबुल्लाह को ? यह दुविधा सिर्फ मेरे जैसे मामूली लोगों की ही नहीं है, खुद लेबनान के प्रधानमंत्री, फलस्तीन के राष्ट्रपति, मिस्र, सउदी अरब और जोर्डन के शासकों, यूरोपीय नेताओं और भारत सरकार की भी है| अगर कोई दुविधा में नहीं है तो इस्राइल के प्रधानमंत्री नहीं हैं, अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं हैं और दूसरी तरफ ईरान के … [Read more...] about इस्राइली अतिवाद के खतरे
प्रमोद महाजन के बिना भाजपा
दैनिक भास्कर, 6 मई 2006 … [Read more...] about प्रमोद महाजन के बिना भाजपा
बुश के विरोध का मजहबीकरण गलत
दैनिक भास्कर, 11 मार्च 2006 : ईरान और एराक के प्रति अमेरिकी नीतियाँ, बुश की भारत-यात्र और पैगंबर के कार्टूनों का कोई विरोध करे, इसमें ज़रा भी बुराई नहीं है| बुश- यात्रा का जमकर विरोध हीं होता तो भारत का बड़ा नुकसान हो सकता था| बुश का जितना विरोध हुआ, मनमोहनसिंह के हाथ उतने ही मजबूत हुए| भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र है| वह पाकिस्तान की तरह तानाशाही और सउदी अरब की तरह मज़हबी … [Read more...] about बुश के विरोध का मजहबीकरण गलत
अंडमान में देखा हमने भावी भारत का दर्पण
कादम्बिनी, फरवरी 2006 : जो काम अगले सौ साल में भी संभव दिखाई नहीं पड़ता, वह अचानक होता हुआ दिख जाए तो क्या होगा? क्या हमें अपनी आंखों पर विश्वास होगा? ऐसा ही अजूबा हमने अंडमान-निकोबार में देखा| अंडमान-निकोबार भारत की मुख्यभूमि से लगभग तीन हजार किलोमीटर दूर है| हवाई जहाज का किराया 40 हजार रु. से भी ज्यादा है| राजधानी पोर्ट ब्लेयर तक की कोई सीधी उड़ान नहीं है| कलकत्ता या चेन्नई … [Read more...] about अंडमान में देखा हमने भावी भारत का दर्पण
कर्नाटक के नाटक का अर्थ
टि्रब्यून, 06 फरवरी, 2006 : कर्नाटक में ह.डो. कुमारस्वामी का मुख्यमंत्री बनना भारतीय राजनीति की असाधारण घटना है| कर्नाटक का नाटक यद्यपि बेंगलूर में खेला गया है लेकिन उसकी प्रतिध्वनि सारे भारत में हुई है| कर्नाटक के नाटक को सारा भारत पिछले दो हफ्ते से एकटक देख रहा है| कर्नाटक ही नहीं, पूरे दक्षिण भारत और केंद्र की राजनीति पर भी इस नाटक का असर पड़े बिना नहीं रहेगा| कर्नाटक की … [Read more...] about कर्नाटक के नाटक का अर्थ
हमास की प्रचंड विजय का कारण
राष्ट्रीय सहारा, 28 जनवरी 2006 : फलस्तीन के आम-चुनाव में ‘हमस’ की प्रचंड विजय विश्व-राजनीति की महत्वपूर्ण घटना है| फलस्तीन यों तो कोई स्वतंत्र् और संप्रभु राष्ट्र नहीं है| उसकी जनसंख्या और राष्ट्रीय सम्पदा भी नगण्य ही है लेकिन पश्चिम एशिया की राजनीति का वह बेरोमीटर है| फलस्तीन में जो कुछ होता है, उसका सीधा प्रभाव इस्राइल पर पड़ता है और इन दोनों राष्ट्रों के बीच जो कुछ होता है, … [Read more...] about हमास की प्रचंड विजय का कारण
अमेरिका के सुर में हम अपना सुर क्यों मिलाएँ
दैनिक भास्कर, 28 जनवरी 2006 : अमेरिका के राजदूत डेविड मल्फोर्ड ने मनमोहन-सरकार को साँसद में डाल दिया है| उन्होंने पी टी आई को भेंटवार्ता क्या दी, पूरे नेपथ्य का पर्दा ही हटा दिया है| भारत और अमेरिका के बीच अभी तक दबे-छिपे जो कुछ चल रहा था, वह सब उजागर हो गया है| लोगों को पता चल गया है कि रंगमंच पर जो चेहरे चिकने-चुपडे़ दिखाई पड़ते हैं, नेपथ्य में वे कितने बदसूरत होते हैं| … [Read more...] about अमेरिका के सुर में हम अपना सुर क्यों मिलाएँ
हमास की प्रचंड विजय का कारण
राष्ट्रीय सहारा, 28 जनवरी 2006 : फलस्तीन के आम-चुनाव में ‘हमस’ की प्रचंड विजय विश्व-राजनीति की महत्वपूर्ण घटना है| फलस्तीन यों तो कोई स्वतंत्र् और संप्रभु राष्ट्र नहीं है| उसकी जनसंख्या और राष्ट्रीय सम्पदा भी नगण्य ही है लेकिन पश्चिम एशिया की राजनीति का वह बेरोमीटर है| फलस्तीन में जो कुछ होता है, उसका सीधा प्रभाव इस्राइल पर पड़ता है और इन दोनों राष्ट्रों के बीच जो कुछ होता है, … [Read more...] about हमास की प्रचंड विजय का कारण