राष्ट्रीय सहारा, 19 जनवरी 2007 : राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष सेम पित्रेदा के भोलेपन पर तरस आने के अलावा क्या आ सकता है ? उन्होंने प्रधानमंत्री को सिफारिश भेज दी है कि भारत के सभी बच्चों को पहली कक्षा से अंगे्रजी पढ़ाओ और अनिवार्य रूप से पढ़ाओ| पित्रेदा का आशय पवित्र् है| इरादा गलत नहीं है| वे कहते हैं कि देश में एक प्रतिशत लोग भी ऐसे नहीं हैं, जो अंगे्रजी को दूसरी भाषा की … [Read more...] about रोटी नहीं है तो रबड़ी खाओ
Archives for January 2007
रूस ने दी नई दिशा
रा. सहारा, 29 जनवरी 2007 : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह भारत-यात्र भारतीय विदेश नीति और विश्व राजनीति, दोनों को नई दिशा दे रही है| इस अजूबे का मूल कारण है, रूस में पैदा हुई अपूर्व समृद्घि और स्थायित्व| सोवियत संघ के भंग होते ही येल्तसिन का रूस अचानक बूढ़ा और बीमार हो गया था लेकिन पिछले सात वर्षों में पुतिन ने रूस को एक बार फिर उसी पायदान पर ला खड़ा किया है, जिस पर खड़े … [Read more...] about रूस ने दी नई दिशा
बेनक़ाब होता पाकिस्तान
Navbharat Times, 27 Jan 2007 : पाकिस्तान की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। शीर्षासन की मुद्रा भी काम नहीं आ रही है। अफगानिस्तान में अमेरिका के आगमन के अवसर पर जनरल मुशर्रफ ने जो पैंतरा पलटा था, उसने अब तक तो पाकिस्तान की गाड़ी किसी तरह धका दी थी, लेकिन अबअमेरिका ही मुशर्रफ प्रशासन की सबसे कड़ी आलोचना कर रहाहै। अफगानिस्तान में ज्यों-ज्यों तालिबान का असर बढ़ रहा है, उसी अनुपात में … [Read more...] about बेनक़ाब होता पाकिस्तान
किसी तरह भारत-पाक गाड़ी चलती रहे
नवभारत टाइम्स, 18 जनवरी 2007 : पिछले छह दशकों में अनेक भारतीय और पाकिस्तानी विदेश मंत्री एक-दूसरे के देशों में गए, लेकिन प्रणव मुखर्जी की यात्र-जैसी अन्य कोई यात्र नहीं हुई| क्या कभी ऐसा हुआ कि भारत का विदेश मंत्री अभी घर लौटा नहीं कि उसे पता चले कि पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक दल एकजुट होकर अपने ही राष्ट्रपति का विरोध करने लगे हैं| मुत्तहिदा, पीपल्स पार्टी, मुस्लिम लीग (न) तथा … [Read more...] about किसी तरह भारत-पाक गाड़ी चलती रहे
न कोर्ट, न पार्लियामेंट, सबसे ऊपर है पब्लिक
नवभारत टाइम्स, 13 जनवरी 2007 : हम ज़रा सोचें कि यदि उच्चतम न्यायालय का फैसला उलटा होता तो क्या होता ? यदि 11 सांसदों को वह बरी कर देता तो क्या होता ? सबसे पहले तो संसद और न्यायालय के बीच तलवारें खिंच जातीं| लगभग वही दृश्य उपस्थित हो जाता जो लगभग 40 साल पहले लखनऊ में हुआ था| इससे भी बुरा यह होता कि संसद पर से जनता का विश्वास उठ जाता| लोग यह मानने लगते कि हमारे सांसद भ्रष्ट हैं| … [Read more...] about न कोर्ट, न पार्लियामेंट, सबसे ऊपर है पब्लिक
बांग्ला अस्थिरता के निहितार्थ
जनसत्ता, 13 जनवरी 2007 : बांग्लादेश के राष्ट्रपति एजाजुद्दीन अहमद को जल्दी ही समझ आ गया कि बेगम खालिदा जि़या का मोहरा बनना कितना खतरनाक है| उन्होंने पहले तो कार्यवाहक प्रधानमंत्री का पद छोड़ा और फिर 22 जनवरी के चुनावों को स्थगित करने की घोषणा की| यह कितनी विचित्र् बात थी कि वे राष्ट्रपति तो पहले से थे और अब वे प्रधानमंत्री भी बन गए थे| उन्होंने बांग्लादेश के संविधान को शीर्षासन … [Read more...] about बांग्ला अस्थिरता के निहितार्थ
सद्दाम की मौत और भारत
नवभारत टाइम्स, 3 जनवरी 2007 : फांसी तो सद्दाम को लगी है, लेकिन वह अनेक राष्ट्रों, पार्टियों और नेताओं के गले की फांस बन गई है| कुवैत और ईरान को ज़रा अभी छोड़ दें| उन दोनों देशों पर सद्दाम ने हमला किया था| इसीलिए वे तो गद्रगद् हैं, लेकिन लीब्या के अलावा दुनिया का कोई भी राष्ट्र ऐसा नहीं है, जिसने सद्दाम की हत्या को राजवध का दर्जा दिया हो और तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया … [Read more...] about सद्दाम की मौत और भारत
सद्दाम की मौत और भारत
नवभारत टाइम्स, 3 जनवरी 2007 : फांसी तो सद्दाम को लगी है, लेकिन वह अनेक राष्ट्रों, पार्टियों और नेताओं के गले की फांस बन गई है| कुवैत और ईरान को ज़रा अभी छोड़ दें| उन दोनों देशों पर सद्दाम ने हमला किया था| इसीलिए वे तो गद्रगद् हैं, लेकिन लीब्या के अलावा दुनिया का कोई भी राष्ट्र ऐसा नहीं है, जिसने सद्दाम की हत्या को राजवध का दर्जा दिया हो और तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया … [Read more...] about सद्दाम की मौत और भारत