R Sahara, 28 Nov 2004 :राजनीति के अपराधीकरण की बात तो हम कई वर्षों से सुनते चले आ रहे हैं लेकिन अब धर्म का अपराधीकरण एक नया मुद्दा बन गया है| शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को काफी तूल दे दिया है| जयेंद्र सरस्वती के पहले भी उनसे अधिक विख्यात धर्मगुरुओं के अपराधों की वीभत्स कहानियॉं उजागर हुई हैं लेकिन उन्हें सफलतापूर्वक दबा दिया गया| वे कुकृत्य दब गए, … [Read more...] about धर्म के कंधे पर अपराध
Archives for November 2004
शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
नवभारत टाइम्स, 25 नवम्बर 2004: लगता है कि शंकराचार्य के मामले में हमारे नेता गच्चा खा गए। वे जनता का मूड भॉंप नहीं पाए। हिन्दुत्ववादियों से लेकर समाजवादियों और सेक्यूलरवादियों तक सभी ऑंसुओं की गंगा में नहा रहे हैं। जो चुप थे, वे भी बोल पड़े। कहीं भाजपा हिन्दू वोटों की फसल अकेली न काट ले जाए, इस डर ने सभी दलों की घिग्घी बॉंध दी। कोई कह रहा है, शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को … [Read more...] about शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
नवभारत टाइम्स, 25 नवम्बर 2004: लगता है कि शंकराचार्य के मामले में हमारे नेता गच्चा खा गए। वे जनता का मूड भॉंप नहीं पाए। हिन्दुत्ववादियों से लेकर समाजवादियों और सेक्यूलरवादियों तक सभी ऑंसुओं की गंगा में नहा रहे हैं। जो चुप थे, वे भी बोल पड़े। कहीं भाजपा हिन्दू वोटों की फसल अकेली न काट ले जाए, इस डर ने सभी दलों की घिग्घी बॉंध दी। कोई कह रहा है, शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को … [Read more...] about शंकराचार्य की दवा शंकराचार्य ही हैं
प्रधानमंत्री के रसगुल्ले
R Sahara, 21 Nov 2004 : क्या सिरदर्द का इलाज रसगुल्लों से हो सकता है? शायद हो सकता है| हॉं सिर्फ रसगुल्लों से, दवा से नहीं| इसीलिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने कश्मीरियों के मॅुंह में 24000 करोड़ रु. का रसगुल्ला रख दिया है| इस तरह के रसगुल्ले देवेगौड़ा और वाजपेयी जैसे प्रधानमंत्रियों ने भी रखे थे लेकिन सिरदर्द का इलाज तो दूर रहा, कश्मीरियों के मॅुंह का ज़ायका भी ठीक नहीं … [Read more...] about प्रधानमंत्री के रसगुल्ले
अपनी आदिम मॉंद में लौटता अमेरिका
R Sahara, 16 Nov. 2004 : दुनिया के छह अरब लोगों की जिंदगी पर सिर्फ छह करोड़ लोग कितना असर डाल सकते हैं, इसका प्रमाण है, अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव| जॉर्ज बुश के पक्ष में मतदान करनेवालों की संख्या छह करोड़ भी नहीं है, लेकिन उन्होंने सारी दुनिया में सिहरन दौड़ा दी है| जहॉं तक दुनिया का सवाल है, वहॉं तो बुश अपना चुनाव लड़ने के पहले ही हार गए थे| जैसे प्रदर्शन बुश के खिलाफ … [Read more...] about अपनी आदिम मॉंद में लौटता अमेरिका
साधुओं की फिसलपट्टी
राष्ट्रीय सहारा, 14 नवम्बर 2004 : देश में कोई बड़े से बड़ा राजनेता गिरफ्तार हो जाए तो भी किसी को सदमा नहीं पहुंचता लेकिन अगर किसी धर्मध्वजी पर उंगली भी उठती है तो लोग बेचैन हो जाते हैं| कॉंची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी ऐसा ही सदमा है| गिरफ्तारी और लंबे मुकदमों के बावजूद हमारे नेतागण अक्सर बरी हो जाते हैं | उम्मीद की जाती है कि धर्मध्वजी भी इसी तरह बरी … [Read more...] about साधुओं की फिसलपट्टी
साधुओं की फिसलपट्टी
राष्ट्रीय सहारा, 14 नवम्बर 2004 : देश में कोई बड़े से बड़ा राजनेता गिरफ्तार हो जाए तो भी किसी को सदमा नहीं पहुंचता लेकिन अगर किसी धर्मध्वजी पर उंगली भी उठती है तो लोग बेचैन हो जाते हैं| कॉंची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी ऐसा ही सदमा है| गिरफ्तारी और लंबे मुकदमों के बावजूद हमारे नेतागण अक्सर बरी हो जाते हैं | उम्मीद की जाती है कि धर्मध्वजी भी इसी तरह बरी … [Read more...] about साधुओं की फिसलपट्टी
बुश की जीत का रहस्य क्या है
Dainik Bhaskar, 10 Nov 2004 : अगर जॉर्ज बुश का महिमा-मंडन करना हो तो कहा जा सकता है कि जैसी जीत बुश को मिली, आज तक अन्य किसी को नहीं मिली| बुश पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्हें 5 करोड़ 86 लाख वोट मिले| रेगन जैसे लोकपि्रय अभिनेता-राष्ट्रपति को भी 1984 में केवल 5 करोड़ 45 लाख वोट मिले थे| इसके अलावा पिछले 80 साल में बुश ऐसे पहले रिपब्लिकन राष्ट्रपति हैं, जिनका प्रतिनिधि सदन और सीनेट … [Read more...] about बुश की जीत का रहस्य क्या है
अफगानिस्तान का अपूर्व चुनाव
NavBharat Times, 6 Nov 2004 : अफगानिस्तान के सर्वोच्च शासक को जनता चुने, यह अपने आप में अजूबा है। हामिद करज़ई को अपना राष्ट्रपति चुनकर अफगानों ने नए इतिहास की नींव रखी है। अब से लगभग ढाई सौ साल पहले (1747) आधुनिक अफगानिस्तान के संस्थापक अहमद शाह अब्दाली भी चुने हुए शासक थे लेकिन उन्हें कंधार में कबीलों के मुखियाओं ने गद्दी पर बैठाया था, आम जनता ने नहीं। अफगान-इतिहास की यह पहली … [Read more...] about अफगानिस्तान का अपूर्व चुनाव
चीनियों से हुई काम की बातें
R Sahara, 4 Nov 2004 : इस बार शंघाई में चीनी विद्वानों के साथ जो गहन सम्वाद हुआ, उसके पहले दौर में ही अनेक रचनात्मक संकेत मिल गए| भारत और चीन के बीच छोटे-मोटे अनेक मतभेद हैं| उनके बावजूद चीनी विद्वानों ने कोई ऐसी टिप्पणी नहीं की कि भारतीय विद्वानों को उसका कड़ा प्रतिवाद करना पड़ता| सच्चाई तो यह है कि तीन दिन की धुऑंधार बहस में से सहमति के कई नए बिंदु उभरे, उनका त्वरित असर चीनी … [Read more...] about चीनियों से हुई काम की बातें