राष्ट्रीय सहारा, 28 जनवरी 2006 : फलस्तीन के आम-चुनाव में ‘हमस’ की प्रचंड विजय विश्व-राजनीति की महत्वपूर्ण घटना है| फलस्तीन यों तो कोई स्वतंत्र् और संप्रभु राष्ट्र नहीं है| उसकी जनसंख्या और राष्ट्रीय सम्पदा भी नगण्य ही है लेकिन पश्चिम एशिया की राजनीति का वह बेरोमीटर है| फलस्तीन में जो कुछ होता है, उसका सीधा प्रभाव इस्राइल पर पड़ता है और इन दोनों राष्ट्रों के बीच जो कुछ होता है, … [Read more...] about हमास की प्रचंड विजय का कारण
Archives for January 2006
अमेरिका के सुर में हम अपना सुर क्यों मिलाएँ
दैनिक भास्कर, 28 जनवरी 2006 : अमेरिका के राजदूत डेविड मल्फोर्ड ने मनमोहन-सरकार को साँसद में डाल दिया है| उन्होंने पी टी आई को भेंटवार्ता क्या दी, पूरे नेपथ्य का पर्दा ही हटा दिया है| भारत और अमेरिका के बीच अभी तक दबे-छिपे जो कुछ चल रहा था, वह सब उजागर हो गया है| लोगों को पता चल गया है कि रंगमंच पर जो चेहरे चिकने-चुपडे़ दिखाई पड़ते हैं, नेपथ्य में वे कितने बदसूरत होते हैं| … [Read more...] about अमेरिका के सुर में हम अपना सुर क्यों मिलाएँ
हमास की प्रचंड विजय का कारण
राष्ट्रीय सहारा, 28 जनवरी 2006 : फलस्तीन के आम-चुनाव में ‘हमस’ की प्रचंड विजय विश्व-राजनीति की महत्वपूर्ण घटना है| फलस्तीन यों तो कोई स्वतंत्र् और संप्रभु राष्ट्र नहीं है| उसकी जनसंख्या और राष्ट्रीय सम्पदा भी नगण्य ही है लेकिन पश्चिम एशिया की राजनीति का वह बेरोमीटर है| फलस्तीन में जो कुछ होता है, उसका सीधा प्रभाव इस्राइल पर पड़ता है और इन दोनों राष्ट्रों के बीच जो कुछ होता है, … [Read more...] about हमास की प्रचंड विजय का कारण
यह है बोफोर्स को दफन करने का समय
राष्ट्रीय सहारा, 22 जनवरी 2006 : भारत के सिर पर बोफोर्स का भूत कब तक नाचता रहेगा? क्या इसे दफन करने का वक्त नहीं आ गया है? जिस भूत ने राजीव सरकार और नेहरू परिवार की प्रतिष्ठा को दफन कर दिया, जिसने वी.पी. सिंह, देवगौड़ा, गुजराल और अटल सरकार को निकम्मा सिद्घ कर दिया, जिसने नरसिंहराव सरकार के विदेश मंत्री को लील लिया, जिसने भारत की सी.बी.आई. की इज्जत दो कौड़ी कर दी, जिसने अदालती … [Read more...] about यह है बोफोर्स को दफन करने का समय
विश्व हिंदी : मजबूरी नहीं, चुनौती
राष्ट्रीय सहारा, 22 जनवरी 2006 : हर 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाएगा, यह घोषणा सरकार ने इतनी दबी जुबान से की है कि बहुत से हिंदी अखबारों को ही कुछ पता नहीं चला है हैदराबाद के प्रवासी सम्मेलन के दौरान सरकार को याद आया कि पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में 10 जनवरी 1975 को आयोजित किया गया था| इस घोषणा को खुद सरकार ने कितना महत्व दिया है, वह इसी से साबित हो जाता है कि … [Read more...] about विश्व हिंदी : मजबूरी नहीं, चुनौती
यह है बोफोर्स को दफन करने का समय
राष्ट्रीय सहारा, 22 जनवरी 2006 : भारत के सिर पर बोफोर्स का भूत कब तक नाचता रहेगा? क्या इसे दफन करने का वक्त नहीं आ गया है? जिस भूत ने राजीव सरकार और नेहरू परिवार की प्रतिष्ठा को दफन कर दिया, जिसने वी.पी. सिंह, देवगौड़ा, गुजराल और अटल सरकार को निकम्मा सिद्घ कर दिया, जिसने नरसिंहराव सरकार के विदेश मंत्री को लील लिया, जिसने भारत की सी.बी.आई. की इज्जत दो कौड़ी कर दी, जिसने अदालती … [Read more...] about यह है बोफोर्स को दफन करने का समय
कर्नाटक में दोहरा तख्ता-पलट
दैनिक भास्कर, 21 जनवरी 2006 : कर्नाटक से बढ़कर बुरी खबर काँग्रेस के लिए क्या हो सकती थी? वोल्कर रिपोर्ट और क्वात्रेची-प्रसंग के बादलों ने काँग्रेस की मलिका को पहले से घेर रखा था और अब कर्नाटक में वज्रपात हो गया| काँग्रेस को पता था कि देवगौड़ा उसकी सरकार गिराने पर आमादा हैं और वह इस धक्के को सहने के लिए तैयार भी हो गई थी| वह जानती थी कि यदि विधानसभा भंग हुई तो चुनाव में उसकी … [Read more...] about कर्नाटक में दोहरा तख्ता-पलट
चंग पर चढ़ा ईरान और बेबस अमेरिका
दैनिक भास्कर, 12 जनवरी 2006 : ईरान ने अपनी परमाणु भट्टी दुबारा सुलगा ली है| उसने 30 माह पहले यूरोपीय देशों के आग्रह पर अपना यूरेनियम संवर्द्घन का कार्यक्रम बंद कर दिया था| उसका कहना है कि उसने अपनी मर्जी से यह कार्यक्रम बंद किया था और अब अपनी मर्जी से उसे वह चालू कर रहा है| वह किसी से भी कोई अनुमति क्यों ले? क्या वह संप्रभु राष्ट्र नहीं है? क्या अपनी नीति वह स्वयं निर्धारित … [Read more...] about चंग पर चढ़ा ईरान और बेबस अमेरिका
चंग पर चढ़ा ईरान और बेबस अमेरिका
दैनिक भास्कर, 12 जनवरी 2006 : ईरान ने अपनी परमाणु भट्टी दुबारा सुलगा ली है| उसने 30 माह पहले यूरोपीय देशों के आग्रह पर अपना यूरेनियम संवर्द्घन का कार्यक्रम बंद कर दिया था| उसका कहना है कि उसने अपनी मर्जी से यह कार्यक्रम बंद किया था और अब अपनी मर्जी से उसे वह चालू कर रहा है| वह किसी से भी कोई अनुमति क्यों ले? क्या वह संप्रभु राष्ट्र नहीं है? क्या अपनी नीति वह स्वयं निर्धारित … [Read more...] about चंग पर चढ़ा ईरान और बेबस अमेरिका
रामदेव नहीं, भारत पर हमला
नवभारत टाइम्स, 12 जनवरी 2006 : वृंदा कारत ने किसका भला किया? न खुद का, न मजदूरों का, न देश का, न आयुर्वेद का, न मार्क्सवादी पार्टी का! हर दृष्टि से उनका अभियान गलत साबित हो रहा है| वृंदाजी ने पहले इतने सही मुद्दों पर लड़ाइयाँ लड़ी हैं कि जब उन्होंने स्वामी रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोला तो किसी को भी उसमें से दुराशय की आहट तक नहीं मिली| सबने यही समझा कि दिव्य योग फार्मेसी के … [Read more...] about रामदेव नहीं, भारत पर हमला