दैनिक भास्कर, 9 दिसंबर 2008 : पाँच राज्यों के चुनाव-परिणामों ने यह सिद्घ किया है कि भारत का लोकतंत्र् काफी परिपक्व होता जा रहा है| किसी भी लोकतंत्र् को कमज़ोर करनेवाले जितने भी तत्व हो सकते हैं, इन चुनावों ने उनको पराजित किया है| सबसे पहली बात तो यह कि लगभग सभी राज्यों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है| यह जनता की जागृति का प्रमाण है| दूसरी बात यह कि चुनावों में धांधली, हिंसा और … [Read more...] about जनता ने अपना फैसला खुद किया
2008
मालदीव का लोकतांत्रिक तख्ता-पलट और भारत
भास्कर, 31 अक्टूबर 2008 : मालदीव में हुआ सत्ता-परिवर्तन अपने आप में असाधरण घटना है| यों तो मालदीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है| उसकी आबादी सिर्फ तीन लाख है, दिल्ली के एक मोहल्ले के बराबर ! वह बसा हुआ भी एक कोने में है| श्रीलंका से भी नीचे| समुद्र के बीचोबीच | दक्षिण एशिया का यह अकेला ऐसा देश है, जिसकी सीमा भारत को नहीं छूती है| टापुओं के इस छोटे-से देश में सत्ता परिवर्तन … [Read more...] about मालदीव का लोकतांत्रिक तख्ता-पलट और भारत
क्यों करे भारत श्रीलंका में हस्तक्षेप
दै. भास्कर, 24 अक्टूबर 2008 : श्रीलंका एक बार फिर भारत के लिए चुनौती बन गया है| कोई विदेशी मामला भारत को कैसे दुविधा में फंसा देता है, इसका उदाहरण यह संकट है| श्रीलंका की सरकार ने अगर लिट्टे के मुख्यालय को घेर लिया है और वह तमिल आतंकवादियों का सफाया करनेवाली है तो इससे भारत का क्या लेना-देना है ? यों तो कुछ भी लेना-देना नहीं होना चाहिए लेकिन असलियत यह है कि लेना-देना है और बहुत … [Read more...] about क्यों करे भारत श्रीलंका में हस्तक्षेप
यह नहीं कहते, तो क्या कहते
NavBharat Times, 9 Oct 2008 : पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ ज़रदारी ने अमेरिका के अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को इंटरव्यू क्यादिया, एक चमत्कार सा हो गया। भारत और अफगानिस्तान के नेता आश्चर्यचकित रह गए। जो बात वे सालों से कह रहे हैं, वही ज़रदारी ने कह दी कि पाकिस्तान को भारत से कोई खतरा नहीं है। कश्मीर में हिंसा फैलाने वाले लोग स्वाधीनता सेनानी नहीं, आतंकवादी हैं। ज़रदारी के इन … [Read more...] about यह नहीं कहते, तो क्या कहते
यह हिंदुत्व का कौनसा चेहरा है
दैनिक भास्कर, 8 अक्टूबर 2008 : अगर यह हिंदुत्व है तो इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है ? कौनसे हिंदू धर्मग्रंथ में लिखा है कि निहत्थों की हत्या करो, भिक्षुणी से बलात्कार करोद्व गर्भवती स्त्रियों के पेट चीरो, अनाथ बच्चों के गले काट दो और बूढ़ों की हडि्रडयों तोड़ दो ? हिंदुत्व के नाम पर ये सब कुकर्म पहले गुजरात में हुए और उड़ीसा में हो रहे हैं| यह बहादुरी नहीं, घनघोर कायरता है| … [Read more...] about यह हिंदुत्व का कौनसा चेहरा है
मुसलमान अपनी दुविधा खत्म करें
दैनिक भास्कर, 25 सितंबर 2008 : यह ठीक है कि हर आतंकवादी मुसलमान है लेकिन क्या हर मुसलमान आतंकवादी है? जब तक इस सवाल का हम सही जवाब नहीं ढूंढते, आतंकवाद का खात्मा असंभव है| सच्चाई तो यह है कि आतंकवाद और इस्लाम एक दूसरे के पर्याय नहीं हैं| इस्लाम को माननेवालों के अलावा भी कई तरह के लोग आतंकवादी हैं| भारत में सिख, इसाई मिजो और नगा, नेपाल में माओवादी हिंदू, श्रीलंका के तमिल हिंदू … [Read more...] about मुसलमान अपनी दुविधा खत्म करें
अमेरिकी घनिष्ठता के फायदे हैं तो खतरे भी
दैनिक भास्कर, 25 सितंबर 2008 : भारत-अमेरिकी परमाणु सौदे का भविष्य चाहे जो भी हो, भारत और अमेरिका के संबंध अब एक नए युग में प्रवेश कर गए हैं| अब से 17 साल पहले जब शीतयुद्घ समाप्त हुआ तो भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा नहीं रहा| उसने विश्व राजनीति के बदलते हुए आयामों को पहचाना और उनके साथ ताल-मेल बिठाया| सोवियत संघ का बिखरना और अमेरिका का एक मात्र् विश्व-शक्ति के रूप में उभरना इस नई … [Read more...] about अमेरिकी घनिष्ठता के फायदे हैं तो खतरे भी
पाकिस्तान बंद करें संप्रभुता का ढोंग
NavBharat Times, 25 सितंबर 2008 : अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ ज़रदारी को कल वाशिंगटन में यह दिलासा दिया है कि अमेरिका पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं करेगा| यह दिलासा कूटनीतिक दिखावे के अलावा क्या है ? भोले पाकिस्तानियों के दिलों पर कुछ देर के लिए मरहम छिड़कने के अलावा यह दिलासा क्या कर सकता है ? जो अमेरिका क्यूबा को घेर सकता है, … [Read more...] about पाकिस्तान बंद करें संप्रभुता का ढोंग
भारत जीता जरूर, लेकिन जोखिम बाकी
NavBharat Times, 9 Sept. 2008 : विएना में हुई विजय पर भारतसरकार यदि इतरा रही है तो इसमें गलत क्या है? इतना बड़ा कूटनीतिक युद्ध भारत ने इसके पहले कभी नहीं लड़ा। चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों के समय हमारा विदेश मंत्रालय विशेष सक्रिय होता था और संयुक्त राष्ट्र में पश्चिमी राष्ट्रों का मुकाबला करता था। उस समय हमारी पीठ पर सोवियत रूस का हाथ होता था और हम बच निकलते थे। इस बार … [Read more...] about भारत जीता जरूर, लेकिन जोखिम बाकी
दुविधा की ड्यौढी पर खडे राष्ट्रपति जरदारी
Dainik Bhaskar, 09 Sept 2008 : आसिफ ज़रदारी जितने प्रचंड बहुमत से पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने हैं, वह यह सिद्ध करता है कि लोग उनकी पुरानी छवि को भूलने की कोशिश कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो उन्हें 702 में से 479 वोट नहीं मिलते। उन्हें कुल मतदान के लगभग 70 प्रतिशत वोट मिले हैं। चुनाव के पहले शक यह था कि उनकी पार्टी में बगावत हो जाएगी और उनकी सहयोगी पार्टियॉं भी तहे दिल से … [Read more...] about दुविधा की ड्यौढी पर खडे राष्ट्रपति जरदारी